नई दिल्लीः दिल्ली के मुख्यमंत्री रहते अरविंद केजरीवाल के सरकारी निवास (6, फ्लैगस्टाफ रोड) के निर्माण और मरम्मत में हुए भारी खर्च को लेकर एक बार फिर से विवाद गहराता जा रहा है। हाल ही में भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट में इस प्रोजेक्ट पर खर्च की गई भारी-भरकम राशि पर सवाल खड़े किए गए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, शुरू में अनुमानित लागत ₹7.91 करोड़ थी, जो बढ़कर ₹33 करोड़ तक पहुंच गई।
निर्माण के दौरान कई गुना बढ़ाई गई राशि
इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित रितु सरीन और जतिन आनन्द की रिपोर्ट के अनुसार कैग रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि पुनर्निर्माण के दौरान कुछ अन्य वस्तुओं की लागत में आश्चर्यजनक वृद्धि हुई। मसलन, दीवारों पर मार्बल लगाने के लिए 20 लाख रुपये का बजट निर्धारित था, जबकि अंतिम लागत 66.89 लाख रुपये तक पहुंच गई। इसी तरह, फ्लोर टाइल्स का बजट 5.5 लाख रुपये था, लेकिन यह 14 लाख रुपये तक पहुंच गया। इसके अलावा, मुख्य और शीयर पर्दों पर ₹96 लाख खर्च किए गए।
निवास स्थान पर कुछ सबसे महंगे सामानों (स्थापना शुल्क सहित) की लागत इस प्रकार है:
आइटम | खर्च (रु.) |
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टीवी कंसोल | ₹20,34,200 |
मिनीबार यूनिट | ₹4,80,052 |
एल-शेप्ड सोफा | ₹6,40,604 |
ट्रेडमिल और जिम उपकरण | ₹18,52,155 |
रसोई उपकरण | ₹39,08,846 |
सिल्क कालीन | ₹16,27,690 |
गोल डाइनिंग टेबल | ₹8,40,052 |
गद्देदार बिस्तर | ₹3,99,499 |
फॉक्स लेदर क्लैडिंग | ₹5,45,878 |
बर्मा टीक और वेनियर-निर्मित सजावटी दर्पण | ₹2,39,223 |
(स्रोत: कैग रिपोर्ट, मार्च 2022)
क्यों बढ़ा खर्च?
रिपोर्ट के अनुसार, शुरुआत में इस प्रोजेक्ट के लिए अनुमानित लागत ₹7.91 करोड़ थी, लेकिन कार्य के दौरान बार-बार संशोधन होते रहे। और यह लागत बढ़कर ₹33 करोड़ तक पहुंच गई। रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि निर्माण के दौरान बिल्ट-अप क्षेत्र में 36% की वृद्धि हुई, जो 1,397 वर्गमीटर से बढ़कर 1,905 वर्गमीटर तक पहुंच गया।
गौरतलब है कि यह रिपोर्ट कैग के निवर्तमान प्रमुख गिरीश चंद्र मुर्मू ने अपनी विदाई से पहले पेश की। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने अरविंद केजरीवाल के मुख्यमंत्री रहते सीएम आवास को लेकर ऑडिट रिपोर्ट पर हस्ताक्षर किए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, जहां 7.91 करोड़ रुपये का प्रारंभिक अनुमान था, वहीं 2020 में यह बढ़कर 8.62 करोड़ रुपये हो गया। लेकिन जब 2022 में लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) द्वारा कार्य पूरा किया गया, तो कुल लागत 33.66 करोड़ रुपये तक पहुंच गई। रिपोर्ट में “शक के दायरे में” आए कुछ सलाहकारों और बार-बार संशोधित किए गए अनुमानों पर सवाल उठाए गए हैं।
भाजपा के आरोपों पर आप का जवाब
इस मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने केजरीवाल सरकार को निशाने पर लिया है। पार्टी ने इस खर्च को “जनता के पैसों की बर्बादी” और “राजशाही जीवनशैली” का उदाहरण बताया है। हालांकि, आम आदमी पार्टी (आप) ने इन आरोपों को खारिज करते हुए इसे चुनावों से पहले का “ध्यान भटकाने वाला” कदम बताया। पार्टी का कहना है कि यह मुद्दा जनता का ध्यान महत्वपूर्ण विषयों से हटाने के लिए उछाला गया है।