जम्मू-कश्मीरः अरुंधति रॉय की 'आजादी' समेत 25 किताबों पर लगा प्रतिबंध, क्या आरोप लगाए गए?

जम्मू-कश्मीर में 5 अगस्त को एक अधिसूचना जारी कर 25 किताबों पर प्रतिबंध का आदेश दिया गया और बीएनएसएस की धारा- 98 के तहत इनकी जब्ती की गई। इनमें अरुंधति रॉय की 'आजादी' किताब भी शामिल है।

arundhati roy azadi and 24 other books banned by j and k government alleging promoting false narrative

अरुंधति रॉय की 'आजादी' समेत 25 किताबों पर प्रतिबंध Photograph: (आईएएनएस)

श्रीनगरः जम्मू-कश्मीर सरकार ने 25 किताबों पर प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी किया है। इन किताबों में कथित तौर 'झूठी कहानी और अलगाववाद' का प्रचार करने वाली किताबें भी शामिल हैं।

इसमें सामाजिक कार्यकर्ता अरुंधति रॉय की 'आजादी', संवैधानिक विशेषज्ञ ए जी नूरानी की 'द कश्मीर डिस्प्यूट 1947-2012', राजनीति शास्त्री सुमंत्र बोस की 'कश्मीर एट द क्रासरोड्स' और 'कंटेस्टेड लैंड्स' शामिल है। 

जम्मू-कश्मीर सरकार द्वारा जारी अधिसूचना

इस संबंध में जम्मू-कश्मीर के गृह विभाग द्वारा 5 अगस्त को एक अधिसूचना जारी की गई जिसमें मुख्य सचिव के हस्ताक्षर भी हैं। सरकार की ओर से जारी की गई अधिसूचना में यह तर्क दिया गया है कि इस तरह के साहित्य को अक्सर ऐतिहासिक या राजनैतिक टिप्पणी के रूप में प्रदर्शित किया जाता रहा है। युवाओं की भागीदारी, हिंसा और आंतकवाद के पीछे यह एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 

इसमें कहा गया "यह साहित्य शिकायत, पीड़ित होने और आतंकवादी वीरता की संस्कृति को बढ़ावा देकर युवाओं के मानस पर गहरा प्रभाव डालेगा। इस साहित्य ने जम्मू-कश्मीर में युवाओं को कट्टरपंथी बनाने में जिन तरीकों का योगदान दिया है, उनमें ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़ना-मरोड़ना, आतंकवादियों का महिमामंडन, सुरक्षा बलों का अपमान, धार्मिक कट्टरता, अलगाव को बढ़ावा देना, हिंसा और आतंकवाद का मार्ग प्रशस्त करना शामिल है।"

बीएनएसएस की धारा के तहत जब्त की गईं किताबें

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा- 98 के तहत इन्हें "जब्त" कर लिया गया है। सरकार ने कहा है कि इन पुस्तकों को अलगाववाद को उत्तेजित करने, भारत की संप्रभुता और अखंडता को खतरे में डालने वाला बताया गया। इसलिए भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 152, 196 और 197 के प्रावधान आकर्षित करते हैं।

जम्मू-कश्मीर सरकार की ओर से यह कदम ऐसे वक्त में आया है जब सुप्रीम कोर्ट 8 अगस्त इसे राज्य का दर्जा बहाल करने की याचिका पर सुनवाई करेगी। ज्ञात हो कि 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद-370 को हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर को दो केंद्रशासित प्रदेशों लद्दाख और जम्मू-कश्मीर में विभाजित किया गया था। 

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