हिंडन एयरबेस पहुंची अपाचे हेलीकॉप्टर की पहली खेप, साल भर देरी के बाद पहुंचे तीन हेलीकॉप्टर

गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पर अपाचे हेलीकॉप्टर की पहली खेप पहुंची है। ये हेलीकॉप्टर करीब साल भर की देरी के बाद भारत पहुंचे हैं। अमेरिका, ब्रिटेन, इजराइल, मिस्र के बाद भारत भी इस लिस्ट में शामिल हो गया है।

APACHE HELICOPTER ARRIVED AT HINDON AIRBASE GHAZIABAD

15 महीनों की देरी के बाद भारत पहुंचे अपाचे हेलीकॉप्टर Photograph: (सोशल मीडिया - एक्स (https://x.com/adgpi/status/1947549041958785134/photo/1))

गाजियाबादः अमेरिका से आए अपाचे हेलीकॉप्टर की पहली खेप गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पर पहुंची है। भारत को इनका लंबे समय से इंतजार था। अंततः 15 महीनों की देरी के बाद ये विमान भारत पहुंचे हैं। इन विमानों को भारत पश्चिमी सीमा पर तैनात करेगा। 

भारतीय सेना के अतिरिक्त महानिदेशालय जन सूचना विभाग ने भी एक्स पर पोस्ट करते हुए इसकी पुष्टि की है। 

सीएनएन न्यूज-18 ने सूत्रों के हवाले से लिखा कि इन विमानों की पहली खेप गाजियाबाद पहुंच चुकी है। सूत्रों के मुताबिक, अमेरिका से आए इन लड़ाकू विमानों के लिए अन्य प्रक्रियाएं जैसे संयोजन, संयुक्त प्राप्ति निरीक्षण(जेआरआई) और प्रेरण प्रोटोकॉल के अनुसार अपनाई जाएंगी। 

अपाचे दुनिया के उन्नत विमानों में से एक

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ऐसा कहा जा रहा था कि तीन अपाचे विमान जल्द ही भारत आने वाले हैं। हालांकि, इसके लिए कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई थी लेकिन सूत्रों ने बताया था कि ये विमान 21 जुलाई तक जोधपुर आ सकते हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रक्रिया के मुताबिक, इनकी डिलीवरी और सैन्य बेड़े में शामिल करने से पहले एक जेआरआई (संयुक्त अनुसंधान रिपोर्ट) आयोजित की जाएगी। 

एएच-64ई अपाचे विमान दुनिया के सबसे उन्नत विमानों में गिना जाता है। इसे मुख्यतः अटैक हेलीकॉप्टर के रूप में जाना जाता है। युद्ध क्षेत्रों में इसे शक्तिशाली हमले के लिए डिजाइन किया गया है। 

अमेरिका रक्षा क्षेत्र की दिग्गज बोइंग द्वारा इसका निर्माण किया गया है। अपाचे विमान अभी कम ही देशों के सैन्य बेड़े में शामिल है। ये विमान अमेरिका, इजराइल, ब्रिटेन, मिस्र के बाद अब भारत में भी शामिल हो गए हैं।

क्या है इसकी क्षमता?

इस हेलीकॉप्टर में 30 मिमी की शक्तिशाली चेन गन, सटीक हमलों के लिए लेजर और रडार निर्देशित हेलफायर मिसाइलों और कई जमीनी लक्ष्यों को भेदने में रॉकेट पॉड्स से लैस है। 

इसमें रॉटर के ऊपर लगा लांगबो रडार भी है जिससे यह बिना किसी प्रत्यक्ष संपर्क के खतरों का पता लगाने में सक्षम है और इन पर हमले के लिए प्राथमिकता तय करता है। 

इससे पहले भारत ने साल 2015 में एक समझौते के तहत भारतीय वायु सेना ने 22 अपाचे हेलीकॉप्टर शामिल किए थे। वहीं, ये छह विमान भारतीय सेना की एविएशन कोर के लिए शामिल किए जाएंगे। 

आर्मी एविएशन कोर

बीते साल मार्च में आर्मी एविएशन कोर ने 25 नए एएलएच हेलीकॉप्टरों के लिए एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे। मंत्रालय ने भारतीय सेना और भारतीय तटरक्षक बल के लिए 34 उन्नत हल्के हेलीकॉप्टरों ध्रुव एमके III की खरीद के लिए 8073.17 करोड़ रुपये के संयुक्त मूल्य के दो अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए जो रक्षा विनिर्माण में स्वदेशीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। 

भारतीय सेना की आर्मी एविएशन कोर ने 15 मार्च को जोधपुर में अपाचे अटैक हेलीकॉप्टरों का अपना पहला स्क्वाड्रन स्थापित किया था।

इसके बाद भारतीय सेना ने अमेरिका से छह अपाचे हेलीकॉप्टरों के लिए अनुबंध पर समझौता किया। हालांकि, इनकी डिलीवरी के लिए तय दो तारीखों की समय सीमा चूक गई। 

पहले ये विमान जून 2024 तक आने वाले थे लेकिन नहीं आ सके। फिर इनकी तारीख दिसंबर 2024 में तय की गई थी लेकिन इस सीमा पर भी इनकी आपूर्ति नहीं हो सकी थी। 

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