नई दिल्ली: 1984 सिख विरोधी दंगे से जुड़े मामले में पूर्व कांग्रेस सांसद सज्जन कुमार को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। दिल्ली के सरस्वती विहार इलाके में पीड़िता की आंख के सामने भीड़ ने उनके पति और बेटे की हत्या कर दी थी। बाद में आग के हवाले कर दिया था।

विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा की अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि साक्ष्य और पीड़ितों के बयान से यह साबित हुआ है कि लाठी और सरिया जैसे घातक हथियारों से लैस भीड़ को सज्जन कुमार भड़का रहे थे। जिसके बाद भीड़ ने न सिर्फ दंगा फैलाया बल्कि हत्याओं को भी अंजाम दिया। आइए जानें, इस केस में कब क्या हुआ...

1991: मामले में प्राथमिकी दर्ज की गई। 

-आठ जुलाई 1994: दिल्ली की अदालत ने अभियोजन शुरू करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं पाए। मामले में कुमार के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल नहीं किया गया।

-12 फरवरी 2015: सरकार ने विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया। 

-21 नवंबर 2016: एसआईटी ने अदालत से कहा कि मामले में आगे जांच की जरूरत है। 

-छह अप्रैल 2021: कुमार को गिरफ्तार किया गया। 

-पांच मई 2021: पुलिस ने आरोपपत्र दाखिल किया। 

-26 जुलाई: अदालत ने आरोपपत्र पर संज्ञान लिया। 

-एक अक्टूबर: अदालत ने आरोपों पर बहस शुरू की। 

-16 दिसंबर: अदालत ने हत्या, दंगा और अन्य अपराधों के आरोप तय किए। 

-31 जनवरी 2024: अदालत ने अंतिम दलीलें सुनना शुरू किया।

-आठ नवंबर: अदालत ने फैसला सुरक्षित रखा। 

-12 फरवरी, 2025: अदालत ने कुमार को दोषी ठहराया। 

-25 फरवरी: कुमार को आजीवन कारावास की सजा दी गई।

हिंसा और उसके बाद की घटनाओं की जांच के लिए गठित नानावटी आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में दंगों के संबंध में 587 प्राथमिकी दर्ज की गई थीं। इन दंगों में 2,733 लोग मारे गए थे। कुल मिलाकर, लगभग 240 प्राथमिकियों को पुलिस ने कोई सुराग न मिलने का हवाला देते हुए बंद कर दिया और 250 मामलों में आरोपियों को बरी कर दिया गया। केवल 28 मामलों में ही सजा हो सकी, जिनमें लगभग 400 लोगों को दोषी ठहराया गया। कुमार सहित लगभग 50 लोगों को हत्या के लिए दोषी ठहराया गया। उस समय प्रभावशाली कांग्रेस नेता और सांसद रहे कुमार 1984 में एक और दो नवंबर को दिल्ली की पालम कॉलोनी में पांच लोगों की हत्या के मामले में भी आरोपी थे।

इस मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी और सजा को चुनौती देने वाली उनकी अपील सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। कुमार को निचली अदालत द्वारा बरी किए जाने के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में एक और अपील लंबित है, जबकि दिल्ली की एक अदालत फिलहाल में चौथे मामले में सुनवाई कर रही है।