जयपुर: राजस्थान सरकार ने सोमवार को विधानसभा के बजट सत्र के दौरान ‘राजस्थान अवैध धर्मांतरण निषेध विधेयक, 2025’ (Rajasthan Prohibition of Unlawful Conversion of Religion Bill 2025) पेश किया। स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह खीमसर ने इस विधेयक को सदन में रखा। विधेयक में प्रावधान किया गया है कि यदि कोई व्यक्ति अपना धर्म बदलना चाहता है, तो उसे कम से कम 60 दिन पहले जिला मजिस्ट्रेट को आवेदन देना होगा।
किसी भी व्यक्ति को धर्मांतरण से पहले 60 दिन पहले जिला मजिस्ट्रेट को सूचना देनी होगी। इसके साथ ही जिला मजिस्ट्रेट यह सुनिश्चित करेगा कि धर्मांतरण स्वेच्छा से हो रहा है या किसी तरह के प्रलोभन, बल, धोखाधड़ी अथवा अनुचित प्रभाव का उपयोग किया गया है। यदि कोई अनुचित दबाव नहीं पाया जाता है, तो धर्मांतरण की अनुमति दी जाएगी।
कठोर दंड का प्रावधान
विधेयक में जबरन धर्म परिवर्तन के दोषी पाए जाने पर 2 से 10 साल तक की सजा का प्रावधान है। महिलाओं, नाबालिगों और अनुसूचित जाति/जनजाति के लोगों को जबरन धर्म परिवर्तन कराने पर 25,000 रुपये का जुर्माना है। जबकि बड़े पैमाने पर धर्मांतरण कराने पर 3 से 10 साल तक की सजा और 50,000 रुपये का जुर्माना।
इसके साथ ही यदि कोई विवाह अवैध धर्म परिवर्तन के उद्देश्य से किया गया है, तो परिवार न्यायालय को उस विवाह को अमान्य घोषित करने का अधिकार होगा।
विधेयक का उद्देश्य और पृष्ठभूमि
राजस्थान में धर्मांतरण से जुड़ी घटनाओं को देखते हुए यह विधेयक लाया गया है। नवंबर 2024 में कैबिनेट ने इस विधेयक के मसौदे को मंजूरी दी थी। राजस्थान सरकार ने इसे अवैध धर्मांतरण को रोकने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताया है।
राज्य के मंत्री केके विश्नोई ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा, “यह विधेयक ‘लव जिहाद’ के खिलाफ लाया गया है ताकि भोली-भाली लड़कियों को बहला-फुसलाकर धर्म परिवर्तन करने की घटनाओं पर रोक लगाई जा सके।”
मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने पिछले साल एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर कहा था, “राजस्थान सरकार अवैध धर्मांतरण रोकने के लिए प्रतिबद्ध है। मुख्यमंत्री कार्यालय में हुई कैबिनेट बैठक में ‘राजस्थान अवैध धर्मांतरण निषेध विधेयक-2024’ को विधानसभा में पेश करने का निर्णय लिया गया। इस विधेयक के तहत किसी भी व्यक्ति या संस्था को गलत जानकारी, धोखाधड़ी, बल प्रयोग या अनुचित प्रभाव से धर्म परिवर्तन कराने से रोका जाएगा।”
भजनलाल शर्मा ने कहा था कि “इससे पहले उत्तर प्रदेश में 2021, मध्य प्रदेश में 2021, उत्तराखंड में 2018, गुजरात में 2021, हिमाचल प्रदेश में 2019, झारखंड में 2017 में, कर्नाटक में 2022, ओडिशा में 1967 में धर्मांतरण के विरुद्ध कानून बनाया जा चुके हैं। इसके अलावा, कई अन्य प्रदेशों में भी धर्मांतरण के विरुद्ध कानून बनाए गए हैं। इसे देखते अब हमने भी यह कदम उठाने का फैसला किया है।”
राजस्थानः धर्मांतरण विरोधी विधेयक का विपक्ष द्वारा विरोध
इस विधेयक को लेकर विपक्षी दलों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस और अन्य दलों ने इसे धार्मिक स्वतंत्रता के खिलाफ बताया है और कहा है कि यह व्यक्तिगत अधिकारों का उल्लंघन करता है। विपक्ष का कहना है कि यह कानून असहमति की स्वतंत्रता को बाधित कर सकता है।
गौरतलब है कि इससे पहले 2008 में वसुंधरा सरकार में धर्मांतरण बिल लाया गया था। 16 साल से यह बिल केंद्र में अटका हुआ था। जिसे अब तक राष्ट्रपति ने मंजूरी नहीं दी गई थी। वसुंधरा सरकार में पारित धर्मांतरण बिल को भजनलाल शर्मा की सरकार ने वापस लेते हुए धर्मांतरण पर नया बिल पेश किया है।