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अमृतसरः पंजाब के अमृतसर जिले के मजीठा क्षेत्र में जहरीली शराब पीने से कम से कम 17 लोगों की मौत हो गई है, जबकि छह अन्य की हालत गंभीर है और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। घटना के बाद पुलिस ने 9 आरोपियों को गिरफ्तार किया है और चार अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है, जिनमें स्थानीय आबकारी एवं कराधान अधिकारी (ETO) और डिप्टी एसपी शामिल हैं।
अधिकारियों के अनुसार, भंगाली, पटालपुरी, मरारी कलां और थरीवाल गांवों में ये मौतें दर्ज की गई हैं। पुलिस जांच में सामने आया है कि ऑनलाइन बड़ी मात्रा में मेथनॉल खरीदा गया था, जिसका इस्तेमाल नकली शराब बनाने में किया गया।
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने अमृतसर रवाना होने से पहले सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर लिखा, ये मौतें नहीं, हत्याएं हैं। मजीठा के गांवों में निर्दोष लोगों की मौत के जिम्मेदार किसी भी सूरत में बख्शे नहीं जाएंगे।
मुख्य सप्लायर समेत 9 गिरफ्तार, दो FIR दर्ज
पुलिस ने प्रमुख सप्लायर प्रभजीत सिंह और साहिब सिंह को राजासांसी से गिरफ्तार किया है। इनके अलावा सात अन्य आरोपी भी पकड़े गए हैं, जिन्होंने गांवों में ये शराब वितरित की थी। इस पूरे मामले में दो प्राथमिकियां दर्ज की गई हैं।
राज्य के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने तुरंत कार्रवाई करते हुए मजीठा के आबकारी एवं कर निरीक्षक को लापरवाही के आरोप में निलंबित कर दिया है। वहीं, पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) गौरव यादव ने मजीठा के डिप्टी एसपी अमोलक सिंह और थाना प्रभारी अवतार सिंह को निलंबित कर दिया है। इनके खिलाफ विभागीय जांच शुरू की गई है।
डीजीपी गौरव यादव ने 'एक्स' पर जानकारी साझा करते हुए बताया, "इस अवैध शराब रैकेट से जुड़े कुल 9 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें मुख्य सरगना और कई स्थानीय वितरक शामिल हैं। मेथनॉल को ऑनलाइन खरीदा गया और उससे नकली शराब बनाई गई। पूरे नेटवर्क और उसकी कार्यप्रणाली की जांच जारी है ताकि सभी दोषियों को कानून के कठघरे में लाया जा सके।"
परिवारों ने लगाया लापरवाही का आरोप
घटना के बाद अमृतसर के थरीयेवाल गांव में शोक और गुस्से का माहौल है, जहां तीन लोगों की मौत जहरीली शराब के सेवन से हुई। मृतकों के परिजनों और ग्रामीणों ने प्रशासन पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया है।
एक स्थानीय निवासी ने कहा, "जब आम आदमी पार्टी की सरकार बनी थी, तो उम्मीद थी कि नशा और शराब का कारोबार खत्म होगा। लेकिन आज लोग जहरीली शराब पीकर मर रहे हैं और सरकार राजनीति करने में व्यस्त है।"
गांव के सरपंच ने बताया कि यह कोई पहली घटना नहीं है। गांव में लंबे समय से नकली शराब का अवैध धंधा चल रहा था। हमने कई बार पुलिस को सूचना दी थी। हाल ही में दो लोगों की गिरफ्तारी भी हुई थी, लेकिन कई लोग अब भी सक्रिय हैं। यदि प्रशासन ने समय पर सख्ती दिखाई होती, तो आज ये जानें बचाई जा सकती थीं।
पांच वर्षों में यह तीसरी बड़ी शराब त्रासदी
पंजाब में पिछले पांच वर्षों में यह तीसरी बड़ी शराब त्रासदी है। जुलाई-अगस्त 2020 में तारणतारण, अमृतसर और गुरदासपुर—इन तीन सीमावर्ती जिलों में जहरीली शराब पीने से कम से कम 130 लोगों की मौत हो गई थी, जिनमें अधिकतर दिहाड़ी मजदूर थे। अकेले तारणतारण जिले में लगभग 80 लोगों की जान गई थी।
मार्च 2024 में एक बार फिर जहरीली शराब से संगरूर जिले में 20 दिहाड़ी मजदूरों की मौत हो गई थी। यह मुख्यमंत्री भगवंत मान का गृह जिला है और इस घटना ने गाँवों में आसानी से मिल रही जहरीली शराब और इसे बेचने वाले संगठित नेटवर्क की पोल खोल दी थी। सरकार के ‘माफिया पर नकेल कसने’ के दावों पर भी यह सवाल खड़ा कर गई थी।
6 पीड़ितों की हालत गंभीर
बता दें इस बार भी हादसे के शिकार ज्यादातर दिहाड़ी मजदूर हैं जो अस्पताल में भर्ती हैं। अमृतसर की डिप्टी कमिश्नर साक्षी सावनी ने बताया कि जैसे ही प्रशासन को मामले की जानकारी मिली, मेडिकल टीमें तुरंत प्रभावित गाँवों में भेजी गईं।
गुरु नानक देव अस्पताल में भर्ती 6 पीड़ितों की हालत गंभीर बनी हुई है। सिविल अस्पताल अमृतसर के वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डॉ. स्वर्णजीत धवन ने कहा कि मृतकों के पोस्टमार्टम की प्रक्रिया की प्रतीक्षा की जा रही है।
पुलिस को सोमवार रात इस त्रासदी की जानकारी मिली। एक स्थानीय अधिकारी के अनुसार, “हमें पता चला कि सभी पीड़ितों ने रविवार शाम एक ही स्रोत से शराब खरीदी थी। कुछ की मौत सोमवार सुबह हो गई और स्थानीय लोगों ने पुलिस को सूचना दिए बिना उनका अंतिम संस्कार कर दिया। कुछ ने मौत को दिल का दौरा बताकर छिपाने की कोशिश की।”
50 लीटर मिथेनॉल से बनी थी जानलेवा शराब
बॉर्डर रेंज के डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल सतिंदर सिंह ने बताया कि गिरफ्तार आरोपियों में से 5 की पहचान प्रभजीत सिंह (मुख्य आरोपी), कुलबीर सिंह, साहिब सिंह, गुर्जंत सिंह और निंदर कौर के रूप में हुई है।
प्रारंभिक जांच में सामने आया कि मुख्य आरोपी प्रभजीत सिंह ने 50 लीटर मिथेनॉल हासिल कर उसे पतला कर दो-दो लीटर की पैकिंग में बेचा। डीआईजी ने बताया कि हर एक पैकेट को ट्रेस कर जब्त किया जा रहा है।
पुलिस ने बताया कि पूछताछ में यह भी सामने आया कि साहिब सिंह ने मिथेनॉल की ऑनलाइन खरीद की थी। इस मामले में भारतीय न्याय संहिता और आबकारी अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।
'युद्ध नशे दे विरुद्ध' सिर्फ दिखावाः रवनीत बिट्टू
इस घटना पर केंद्रीय मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू ने मुख्यमंत्री भगवंत मान पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा- “नकली शराब से बर्बाद हुए परिवार, और भगवंत मान सरकार गहरी नींद में सोई है। उनका तथाकथित 'युद्ध नशे दे विरुद्ध' सिर्फ एक राजनीतिक तमाशा है। जब मुख्यमंत्री स्वयं शराब से जुड़े विवादों में रहे हों, तो नशे के खिलाफ जंग कैसे ईमानदार हो सकती है?”
उन्होंने आगे लिखा, “शराब माफिया का राज है, लोग मर रहे हैं, और मान सरकार आत्मप्रशंसा में व्यस्त है। पंजाब को अब नारे नहीं, ठोस कार्रवाई चाहिए। यह राजनीति का नहीं, बल्कि ज़िंदगियों का सवाल है।”