अमित शाह ने गुजरात से निर्वासन के बारे में क्या कहा? Photograph: (x(https://x.com/ANI/status/1959844375724232945))
नई दिल्लीः केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 2010 में गुजरात से दो साल के लिए निर्वासित होने के मामले में खुलासा किया है। यह मामला सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ मामले से संबंधित था।
शाह ने एएनआई से बातचीत में बताया कि राज्य छोड़ने के लिए उन्होंने ही आवेदन किया था क्योंकि मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस आफताब आलम को डर था कि भाजपा नेता अपने प्रभावशाली पद का इस्तेमाल कर सबूतों के साथ छेड़खानी कर सकते हैं।
अमित शाह ने क्या कहा?
अमित शाह इस दौरान गुजरात के गृह मंत्री थे और नरेंद्र मोदी मुख्यमंत्री थे। एएनआई से बातचीत के दौरान जब अमित शाह से पूछा गया कि जस्टिस आफताब आलम निर्वासन संबंधी आदेश पर हस्ताक्षर लेने के लिए उनके घर आए थे, तो उन्होंने कहा "ऐसा कभी नहीं हुआ। आफताब आलम कभी मेरे घर आए और न ही कभी ऐसी जरूरत पड़ी। रविवार को उन्होंने मेरी जमानत याचिका पर सुनवाई के लिए एक विशेष अदालत बुलाई और कहा कि अमित शाह जो गृह मंत्री रह चुके हैं, सबूतों के साथ छेड़खाड़ कर सकते हैं।"
अमित शाह ने आगे कहा "इसलिए उस टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए मेरे वकील ने कहा कि जब तक जमानत आवेदन पर फैसला नहीं हो जाता, मेरा मुवक्किल गुजरात से बाहर रहेगा। यह मेरा बयान था।"
इसी जवाब में उन्होंने याचिका की सुनवाई में देरी की ओर भी इशारा किया। उन्होंने कहा "मैं दो साल तक गुजरात से बाहर रहा क्योंकि भारत के इतिहास में कोई भी जमानत याचिका इतने लंबे समय (2 साल) तक नहीं खींची गई।"
उन्होंने यह भी कहा कि जब तक मामला पूरी तरह से खारिज नहीं हो जाता तब तक वह किसी संवैधानिक पद नहीं थे। अमित शाह ने इस इंटरव्यू में संविधान के 130वें संशोधन विधेयक पर भी चर्चा की और विपक्ष के आरोपों का जवाब दिया।
इस विधेयक के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा कि पांच साल या उससे अधिक की सजा वाले मामलों में 30 से अधिक दिनों तक जेल में रहने वाले मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों, प्रधानमंत्री को हटाए जाने का प्रस्ताव है।
विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजा गया है। 31 सदस्यीय समिति इस विधेयक की जांच करेगी और इस पर चर्चा से पहले अपनी सिफारिशें भेजेगी।