नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि हुर्रियत से जुड़े दो और समूहों ने अलगाववाद को त्याग दिया है। शाह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी समूह तहरीकी इस्तेकलाल और तहरीक-ए-इस्तिकामत ने 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा निर्मित नए भारत में अपना भरोसा जताया है।'
गृह मंत्री शाह ने गुरुवार को एक्स पर इस संबंध में घोषणा करते हुए कहा कि, 'मोदी सरकार के शासन में अलगाववाद अपनी अंतिम सांसें ले रहा है और एकता की जीत पूरे कश्मीर में गूंज रही है।'
शाह ने पोस्ट में कहा, 'हुर्रियत से जुड़े दो और समूहों जेएंडके तहरीकी इस्तेकलाल और जेएंडके तहरीक-ए-इस्तिकामत ने अलगाववाद को त्याग दिया है और पीएम नरेंद्र मोदी जी द्वारा निर्मित नए भारत में अपना विश्वास जताया है।'
Another great news from Kashmir Valley.
— Amit Shah (@AmitShah) March 27, 2025
Two more groups affiliated with the Hurriyat, namely J&K Tahreeqi Isteqlal and J&K Tahreek-I-Istiqamat, have discarded separatism and reposed their trust in the new Bharat built by PM Shri @narendramodi Ji.
Under the Modi government,…
इससे दो दिन पहले मंगलवार को भी अमित शाह ने बताया था कि हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के दो समूहों- जम्मू और कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट (जेकेपीएम) और डेमोक्रेटिक पॉलिटिकल मूवमेंट ने अलगाववाद से सभी संबंध खत्म करने की घोषणा की है।
शाह ने कश्मीर के दूसरे अलगाववादी समूहों से भी आग्रह किया कि वे 'आगे आएं और इसे हमेशा के लिए खत्म करें।' शाह ने कहा, 'यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के विकसित, शांतिपूर्ण और एकीकृत भारत के निर्माण के दृष्टिकोण की बड़ी जीत है।'
कश्मीर में अलगाववाद पर एक्शन
इस महीने की शुरुआत में केंद्र ने ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के घटक दो अन्य समूहों पर उनकी कथित राष्ट्र विरोधी गतिविधियों, 'आतंकवाद का समर्थन करने और अलगाववादी गतिविधियों को बढ़ावा देने' के लिए पांच साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया था।
ये संगठन कश्मीर के प्रमुख मौलवी मीरवाइज उमर फारूक की अध्यक्षता वाली अवामी एक्शन कमेटी (एएसी) और मोहम्मद अब्बास अंसारी की अगुवाई वाली जम्मू-कश्मीर इत्तिहादुल मुस्लिमीन (जेकेआईएम) हैं।
अलग-अलग नोटिफिकेशन में गृह मंत्रालय ने कहा कि एएसी और जेकेआईएम गैरकानूनी गतिविधियों में लिप्त हैं जो देश की अखंडता, संप्रभुता और सुरक्षा के लिए हानिकारक हैं।
नोटिफिकेशन के अनुसार उपलब्ध सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए, गृह मंत्रालय ने दोनों समूहों को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत पांच साल के लिए गैरकानूनी घोषित कर दिया। प्रतिबंध पर प्रतिक्रिया देते हुए, मीरवाइज फारूक ने कहा कि यह कदम अगस्त 2019 (जब केंद्र ने अनुच्छेद 370 को निरस्त किया) से जम्मू-कश्मीर में अपनाई गई 'डराने और शक्तिहीन करने' की नीति को जारी रखने का एक हिस्सा है।
इससे पहले पिछले साल फरवरी में गृह मंत्रालय ने मुस्लिम कॉन्फ्रेंस जेएंडके के दोनों गुटों, जो ऑल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस (एपीएचसी) का भी हिस्सा हैं, इन पर 'राष्ट्र की संप्रभुता और अखंडता के खिलाफ गतिविधियों में संलग्न होने' के लिए प्रतिबंध लगा दिया था।