नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक टीवी कार्यक्रम में भाजपा की लोकसभा जीत के बाद अपने पहले मीडिया संवाद में 'वन नेशन वन इलेक्शन' की वकालत की और इस पर संघीय ढांचे को कमजोर करने के आरोपों को खारिज किया। 'एजेंडा आज तक' कार्यक्रम में 'वन नेशन वन इलेक्शन' के सवाल पर अमित शाह ने शुरुआती चुनावों को उदाहरण देते हुए कहा कि यह कोई नई अवधारणा नहीं है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि  "1952, 1957 और 1962 में देश में विधानसभा और लोकसभा के चुनाव एक साथ हुए थे। हालांकि, 1957 में आठ राज्यों की विधानसभाओं को भंग कर एकसाथ चुनाव कराए गए थे। इसके बाद जवाहरलाल नेहरू ने केरल में सीपीआई (एम) की सरकार गिराई और इंदिरा गांधी ने बड़े स्तर पर यही तरीका अपनाया। 1971 में लोकसभा को तय समय से पहले भंग कर दिया गया, जिससे अलग-अलग चुनाव कराने का सिलसिला शुरू हुआ।"

भाजपा को लाभ पहुंचाने के आरोपों पर जवाब

'वन नेशन वन इलेक्शन' को राष्ट्रपति प्रणाली से जोड़ने और भाजपा को इसका फायदा मिलने के आरोपों पर शाह ने कहा, "यह पूरी तरह से गलत है। 2014 और 2019 में ओडिशा में विधानसभा और लोकसभा के चुनाव एक साथ हुए, लेकिन भाजपा हार गई। इसी तरह, 2019 में देशभर में भारी बहुमत मिलने के बावजूद हम आंध्र प्रदेश में हारे।"

अमित शाह का यह बयान तब आया जब कुछ ही घंटे पहले केंद्रीय कैबिनेट द्वारा 'वन नेशन वन इलेक्शन' बिल को मंजूरी दी गई। इस बिल को संसद के वर्तमान शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा। यह बिल संविधान में नया अनुच्छेद 82ए जोड़ने का प्रस्ताव रखता है, जिससे लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जा सकें। इसके अलावा, यह अनुच्छेद 83, 172 और 327 में संशोधन की भी सिफारिश करता है।

‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ पर विपक्ष का केंद्र पर हमला

‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ से जुड़े विधेयकों को सोमवार को लोकसभा में पेश किए जाने की संभावना है। इस पर विपक्ष ने इसे संघीय ढांचे पर हमला बताया है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा, “अगर प्रधानमंत्री मोदी को यह मॉडल लागू करना है तो राज्यों और केंद्र की सरकारों को भंग कर एकसाथ चुनाव कराएं। उनके जुमलों पर भरोसा नहीं किया जा सकता।”

वहीं, कांग्रेस नेता सुखदेव भगत ने इसे संविधान और संघीय ढांचे पर प्रहार बताते हुए कहा कि पिछले 10 सालों में संवैधानिक मूल्यों का हनन किया गया है। राहुल गांधी द्वारा शुरू किए गए ‘संविधान बचाओ अभियान’ को जरूरी करार देते हुए भगत ने सरकार पर विपक्ष को दबाने का आरोप लगाया।

कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने अल्पसंख्यकों पर सरकार की नीतियों को निशाना बनाते हुए कहा, “स्कॉलरशिप और विश्वविद्यालयों का बजट कम कर अल्पसंख्यक संस्थानों को बर्बाद किया गया।” वहीं, कांग्रेस के राजेश ठाकुर ने किसानों और युवाओं की समस्याओं को प्राथमिकता देने की मांग की। उन्होंने कहा, “सरकार पहले रोजगार और किसानों के मुआवजे का हल निकाले, फिर इस विधेयक की बात करे।”