नई शुरुआत! पाकिस्तान से तनाव के बीच एस जयशंकर ने पहली बार की तालिबान के मंत्री से बात

भारत ने अभी तक अफगानिस्तान में तालिबान शासन को मान्यता नहीं दी है। भारत की तालिबान से यह बातचीत उस समय हुई है जब पाकिस्तान के साथ रिश्ते तनावपूर्ण बने हुए हैं।

S Jaishankar, foreign ministry contact usa to urgent visa for meelam's family

Photograph: (आईएएनएस)

नई दिल्ली: भारत के विदेश मंत्री एय जयशंकर ने गुरुवार को तालिबान शासित अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी से आधिकारिक तौर पर बातचीत की। भारत सरकार में मंत्री के स्तर यह पहली बार है जब तालिबानी शासन के किसी मंत्री से बातचीत हुई है। इस बातचीत में एस जयशंकर ने पहलगाम आतंकी हमले की निंदा करने के लिए मुत्ताकी का आभार भी जताया। 

भारत की तालिबान से यह बातचीत उस समय हुई है जब पाकिस्तान के साथ रिश्ते तनावपूर्ण बने हुए हैं। यहां गौर करने वाली बात ये भी है कि भारत ने अभी तक अफगानिस्तान में तालिबान शासन को मान्यता नहीं दी है। इस बातचीत में एस जयशंकर ने भारत-अफगानिस्तान मित्रता और अफगानिस्तान के लिए भारत के निरंतर जारी सहयोग की भी चर्चा की।

एस जयशंकर ने क्या बताया?

फोन पर बातचीत के बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में जयशंकर ने लिखा, 'आज शाम कार्यवाहक अफगान विदेश मंत्री मावलवी आमिर खान मुत्ताकी के साथ अच्छी बातचीत हुई। पहलगाम आतंकवादी हमले की उनकी निंदा की मैं तहे दिल से सराहना करता हूँ।'

उन्होंने आगे कहा कि चर्चा के दौरान 'अफगान लोगों के साथ हमारी (भारत की) पारंपरिक मित्रता और उनकी विकास आवश्यकताओं के लिए निरंतर समर्थन को रेखांकित किया गया। साथ ही सहयोग को आगे बढ़ाने के तरीकों और साधनों पर चर्चा की गई।

एस जयशंकर ने पोस्ट में साथ ही कहा कि झूठी और निराधार रिपोर्टों के माध्यम से भारत और अफगानिस्तान के बीच अविश्वास पैदा करने के हाल के प्रयासों पर उनकी तरफ (तालिबान) से मजबूत तरीके से इसे अस्वीकार करने का भी स्वागत किया। गौरतलब है कि पाकिस्तान कई जम्मू-कश्मीर की घटनाओं के लिए तालिबान से भी जोड़ने की कोशिश करता रहा है।

ईरान के चाबहार पोर्ट पर भी हुई बात

तालिबान के संचार निदेशक हाफिज जिया अहमद ने भी एस जयशंकर और तालिबानी मंत्री के बीच हुई बातचीत का जिक्र अपने एक पोस्ट में किया। जिया अहमद के अनुसार बातचीत में मुत्ताकी ने एस जयशंकर से अफगान नागरिकों को और अधिक वीजा प्रदान करने की गुजारिश की। खास तौर पर चिकित्सा सहायता चाहने वालों को जल्द और ज्यादा वीजा देने को लेकर बात हुई। उन्होंने यह भी बताया कि द्विपक्षीय व्यापार, भारतीय जेलों में अफगान कैदियों की रिहाई और वापसी सहित ईरान में चाबहार बंदरगाह के विकास पर चर्चा हुई।

चाबहार बंदरगाह पर चर्चा इस समय इसलिए अफगानिस्तान के लिए अहम हो गई है क्योंकि भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के मद्देनजर पाकिस्तान के साथ सभी व्यापारिक संबंध पूरी तरह से खत्म कर दिए हैं और अपनी सीमा चौकियों को बंद कर दिया है। अफगानिस्तान एक लैंड लॉक यानी जमीन से घिरा देश है। ऐसे में भारत के पाकिस्तान के साथ सभी तरह के व्यापार और अन्य लेन-देन बंद करने का खासा असर अफगानिस्तान पर भी पड़ेगा। ऐसा इसलिए क्योंकि अफगानिस्तान को भारत तक पहुँचने के लिए पाकिस्तान के जरिए ही भूमि मार्ग पर निर्भर रहना पड़ता है।

वैसे, भारत और अफगानिस्तान एक-दूसरे से बॉर्डर भी साझा करते हैं, लेकिन यह 1947 में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर या पीओके की वजह से कटा हुआ है। इसलिए व्यापार के लिए एकमात्र दूसरा विकल्प ईरान में चाबहार बंदरगाह के माध्यम से ही है।

1999 के प्लेन हाईजैक के बाद पहली बार मंत्री स्तर की बातचीत

यहां ये जानना भी जरूरी है कि इससे पहले भारत और तालिबान के बीच अंतिम राजनीतिक स्तर का संपर्क 1999-2000 में हुआ था। उस समय तत्कालीन विदेश मंत्री जसवंत सिंह दिसंबर 1999 में इंडियन एयरलाइंस की उड़ान IC-814 के अपहरण के बाद तालिबान के विदेश मंत्री वकील अहमद मुत्तवकिल से संपर्क में थे। 

साल 2021 में तालिबान ने अफगानिस्तान पर फिर से कब्जा कर लिया था और शासन चला रहा है। हालांकि, भारत ने अभी तक इसे मान्यता नहीं दी है। हालांकि, राजनयिक स्तरों पर भारत और तालिबान का संपर्क बना हुआ है। भारत लगातार अफगान नागरिकों के लिए सहायता भेजता रहा है।

इसके अलावा हाल में 27 अप्रैल को, पहलगाम आतंकी हमले के कुछ दिनों बाद वरिष्ठ भारतीय राजनयिक आनंद प्रकाश ने काबुल का दौरा किया था। ये वो समय था जब भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पर लेकर तनाव चरम पर था। प्रकाश ने इस यात्रा के दौरान अफगान विदेश मंत्री मुत्ताकी के साथ बैठक की थी।

इसके अलावा वरिष्ठ भारतीय राजनयिकों की अन्य प्रमुख यात्राओं में जेपी सिंह का दौरा भी शामिल हैं, जिन्होंने पिछले साल दो बार अफगानिस्तान का दौरा किया था। उन्होंने मार्च में कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी से मुलाकात की थी। इसके बाद नवंबर में कार्यवाहक रक्षा मंत्री मोहम्मद याकूब मुजाहिद से मुलाकात हुई। दोनों बैठकें काबुल में हुई थी।

अफगानिस्तान में इन बैठकों के अलावा इस साल जनवरी में दुबई में एक उच्च स्तरीय बैठक भी हुई, जब भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल के साथ तालिबान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी और एक अफगान प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की।

अफगान मिशनों में तालिबान को इजाजत

हाल के दिनों में, भारत सरकार ने तालिबान को एक-एक कर नई दिल्ली, मुंबई और हैदराबाद में अफगान मिशनों पर नियंत्रण करने की भी अनुमति दी है, ताकि भारत अपने नागरिकों को कांसुलर सेवाएं प्रदान कर सकें। साथ ही अफगानिस्तान से भारत में व्यापार, चिकित्सा या पढ़ाई के लिए आने वाले लोगों को सहायता मिल सके।

इसके अलावा मानवीय सहायता के संदर्भ में भारत ने पिछले कुछ वर्षों में दिसंबर 2024 तक 50,000 मीट्रिक टन से अधिक गेहूं, 300 टन दवाइयां, 27 टन भूकंप राहत सहायता, 40,000 लीटर कीटनाशक, 100 मिलियन पोलियो खुराक, कोविड वैक्सीन की 1.5 मिलियन खुराक, नशा मुक्ति कार्यक्रम के लिए 11,000 यूनिट स्वच्छता किट, 500 यूनिट सर्दियों के कपड़े और 1.2 टन स्टेशनरी किट सहित कई शिपमेंट भेजे हैं।

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