Amarnath yatra 2025: 38 दिनों तक चलने वाली वार्षिक अमरनाथ यात्रा 2025 तीन जुलाई से शुरू होने जा रही है। यह यात्रा दो मार्गों- पारंपरिक 48 किलोमीटर लंबी पहलगाम (जिला अनंतनाग) और छोटी लेकिन कठिन 14 किलोमीटर की बालटाल (जिला गांदरबल) से होते हुए 3,880 मीटर की ऊंचाई पर स्थित पवित्र अमरनाथ गुफा तक पहुंचेगी। यात्रा की शुरुआत से एक दिन पहले भगवती नगर आधार शिविर (जम्मू) से श्रद्धालुओं का पहला जत्था कश्मीर के लिए रवाना होगा।
गौरतलब है कि 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद अमरनाथ यात्रियों की सुरक्षा एक बड़ी चुनौती बन गई है। इसे देखते हुए हाल ही में कश्मीर में यात्रा के आधार शिविरों और ट्रांजिट कैंपों पर व्यापक मॉक ड्रिल (अभ्यास) आयोजित किए गए ताकि अमरनाथ यात्रा के दौरान सुरक्षा और आपदा प्रबंधन की तैयारियों को परखा जा सके।
जम्मू जोन के पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) भीम सेन टुटी ने पत्रकारों को बताया, "प्रशासन इस साल यात्रा के सफल आयोजन के लिए पूरी तरह से तैयार और प्रतिबद्ध है। जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा बहुस्तरीय सुरक्षा व्यवस्था की गई है।"
उन्होंने जम्मू के मंडलायुक्त रमेश कुमार के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक में यात्रा की तैयारियों और सुरक्षा उपायों की समीक्षा की। टुटी ने बताया कि इस बार अर्धसैनिक बलों की तैनाती, संवेदनशील क्षेत्रों में सुरक्षा व्यवस्था और सीसीटीवी निगरानी पहले की तुलना में अधिक सघन और मजबूत होगी।
अमरनाथ यात्रा 2025 को लेकर इस बार क्या है सुरक्षा तैयारी?
इस बार अमरनाथ यात्रा को पूरी तरह सुरक्षित और सुचारू बनाने के लिए सुरक्षा व्यवस्था को अभूतपूर्व स्तर तक मजबूत किया गया है। आईजीपी ने बताया कि यात्रा मार्गों पर जम्मू-कश्मीर पुलिस के अतिरिक्त 180 से अधिक अर्धसैनिक बलों की कंपनियां तैनात की गई हैं। यात्रा मार्गों, आधार शिविरों और ट्रांजिट प्वाइंट्स पर 70,000 से अधिक सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं, जबकि जम्मू से श्रीनगर तक के राष्ट्रीय राजमार्ग पर 50,000 अतिरिक्त जवानों की मौजूदगी सुनिश्चित की गई है।
लखनपुर से बनिहाल तक जम्मू-कश्मीर राष्ट्रीय राजमार्ग पर सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है। उन्होंने बताया कि इस बार लखनपुर से जम्मू तक भी 'रोड ओपनिंग पार्टी' (ROP) की व्यवस्था की गई है, जो पिछले वर्ष नहीं थी। साथ ही सीसीटीवी कैमरे, लंगरों और विश्राम स्थलों पर सुरक्षा बलों की मौजूदगी भी सुनिश्चित की गई है।
यात्रियों की सुरक्षा को तकनीक से जोड़ते हुए पहली बार एआई आधारित फेस रिकग्निशन सिस्टम भी सक्रिय किया गया है, जो आतंकवादियों, ओवरग्राउंड वर्कर्स (OGWs) और ब्लैकलिस्टेड व्यक्तियों की पहचान करने में सक्षम है। हर श्रद्धालु को एक अनिवार्य RFID टैग दिया जाएगा, जिससे उनकी वास्तविक समय में ट्रैकिंग हो सकेगी।
इसके साथ ही हाई-रेजaल्यूशन सीसीटीवी कैमरों और ड्रोन की मदद से 24x7 निगरानी की जा रही है, जिसे कंट्रोल रूम्स से संचालित किया जा रहा है। यात्रा मार्गों पर किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए क्विक रिएक्शन टीम (QRT) और बम निरोधक दस्ते सभी संवेदनशील स्थलों पर तैनात किए गए हैं।
इस बार हेलीकॉप्टर सेवाएं बंद रहेंगी
पहलगाम हमले के बाद प्रशासन ने इस बार यात्रा के लिए हेलीकॉप्टर सेवाएं बंद कर दी हैं। 1 जुलाई से 10 अगस्त 2025 तक पहलगाम और बालटाल मार्ग को नो-फ्लाई जोन घोषित किया गया है। केवल सुरक्षा और आपातकालीन विमानों को ही अनुमति दी गई है। साथ ही, किसी भी अनधिकृत ड्रोन खतरे को निष्क्रिय करने के लिए एंटी-ड्रोन सिस्टम भी तैनात किए गए हैं।
सेना और सीआरपीएफ की टीमें ऊंचाई वाले इलाकों में गश्त कर रही हैं, ताकि आतंकी घुसपैठ को रोका जा सके। हर दिन यात्रा मार्गों की सैनिटाइजेशन ऑपरेशन के जरिए जांच की जाएगी ताकि किसी संभावित खतरे को समय रहते निष्क्रिय किया जा सके।
यात्रा मार्ग पर ट्रैफिक एडवाइजरी
आईजीपी ने बताया कि 2 जुलाई से ट्रैफिक पुलिस द्वारा दैनिक ट्रैफिक एडवाइजरी जारी की जाएगी। यात्रा से जुड़े सभी स्थानों पर कट-ऑफ समय निर्धारित किया जाएगा, जिसे सभी यात्रियों को पालन करना अनिवार्य होगा।
उन्होंने कहा, "सभी श्रद्धालुओं को सुबह 4:00 से 4:30 बजे के बीच रवाना होने वाले आधिकारिक काफिले में ही यात्रा करनी चाहिए। अकेले यात्रा करना सुरक्षित नहीं है। संगठित और संरक्षित तरीके से यात्रा करने वालों को सुरक्षा का संपूर्ण लाभ मिलेगा।"