प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फतेहपुर जिले के मलवा गाँव में स्थित मस्जिद के ध्वस्तीकरण आदेश पर फिलहाल अंतरिम रोक लगा दी है। अदालत ने राज्य सरकार से इस मामले में तीन सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है। यह आदेश वक्फ सुन्नी मदीना मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष हैदर अली की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद दिया गया।

याचिका में 22 अगस्त 2024 को डीएम द्वारा पारित ध्वस्तीकरण आदेश को चुनौती दी गई थी। याची की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता फरमान अहमद नकवी ने पैरवी की, जबकि राज्य सरकार की ओर से चीफ स्टैंडिंग काउंसिल जेएन मौर्य ने पक्ष रखा।

याचिकाकर्ता का आरोप है कि जिला प्रशासन ने उन्हें अपनी बात रखने का अवसर दिए बिना ही 22 अगस्त 2024 को मस्जिद ढहाने का आदेश पारित कर दिया। उनका कहना है कि उन्हें केवल 26 दिनों के भीतर पूरी प्रक्रिया में शामिल किया गया, जबकि पर्याप्त समय और साक्ष्य प्रस्तुत करने का अवसर नहीं मिला। याचिका में दावा किया गया है कि 1976 में ग्रामसभा मलवा ने उन्हें तीन बिस्वा जमीन मस्जिद निर्माण के लिए दी थी। अब उसी जमीन को तालाब की भूमि बताकर अवैध कब्जा माना जा रहा है।

डीएम ने मस्जिद ढहाने का दिया था आदेश

इस मामले में फतेहपुर प्रशासन ने मस्जिद को ग्रामसभा की जमीन पर अवैध कब्जा कर बना हुआ ढांचा करार देते हुए ध्वस्तीकरण की कार्यवाही शुरू की थी। तहसीलदार की ओर से नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया था, जिसके बाद डीएम ने मस्जिद ढहाने का आदेश दिया। मस्जिद कमेटी द्वारा की गई अपील को भी डीएम ने खारिज कर दिया था, जिसके बाद मामला हाईकोर्ट पहुंचा।

याचिकाकर्ता ने यह भी आरोप लगाया कि संबंधित भूमि पर अन्य लोगों के भी कब्जे हैं, लेकिन केवल मस्जिद के मामले में इतनी तेज़ी से कार्रवाई की गई। इससे प्रशासन की मंशा पर सवाल उठते हैं।

गौरतलब है कि इससे पहले अक्टूबर 2024 में फतेहपुर की ललौली क्षेत्र स्थित 185 साल पुरानी नूरी मस्जिद का एक हिस्सा भी अतिक्रमण बताकर तोड़ा गया था। यह कार्रवाई हाईवे चौड़ीकरण परियोजना के तहत की गई थी और उस दौरान इलाके को 500 मीटर तक सील कर भारी सुरक्षा में बुलडोजर चलाया गया था।

हाईकोर्ट ने मौखिक टिप्पणी करते हुए फिलहाल ध्वस्तीकरण पर रोक लगाई है और सरकार से विस्तृत जवाब मांगा है। इस मामले में अगली सुनवाई 23 मई को होगी।