लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि शादी में दूल्हा-दुल्हन को मिलने वाले गिफ्ट्स की लिस्ट बननी चाहिए। यही नहीं दूल्हा-दुल्हन के पक्ष के लोगों को इस लिस्ट पर साइन भी करना चाहिए।
कोर्ट का कहना है कि इस तरह से लिस्ट बनने से शादी के बाद हुए विवाद और झूठे दहेज के मुकदमे को सुलझाने में मदद मिलेगी। अंकित सिंह केस में 482 दंड प्रक्रिया संहिता की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह सलाह दी।
कोर्ट ने यह भी कहा है कि शादियों में अगर सही तरीके से लिस्ट बनाकर गिफ्ट्स दिए जाते हैं तो इस हालत में इन्हें दहेज नहीं बल्कि गिफ्ट्स ही माना जाएगा। कोर्ट ने राज्य सरकार से दहेज निषेध अधिकारियों की नियुक्तियों के बारे में भी पूछा है।
कोर्ट ने क्या कहा है
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दहेज निषेध अधिनियम, 1961 की धारा 3(2) के तहत इस बात पर जोर दिया है कि शादी के समय दूल्हा-दुल्हन को मिलने वाले गिफ्ट्स दहेज नहीं होता हैं। कोर्ट ने कहा कि नियम के अनुसार, शादी में मिलने वाले उपहार दहेज नहीं होते हैं और उन्हें गिफ्ट्स ही माना जाता है।
ऐसे में कोर्ट ने कहा कि इन गिफ्ट्स की लिस्ट बननी चाहिए ताकि वर-वधू को यह पता चले कि शादी में उन्हें क्या मिला है। न्यायमूर्ति विक्रम डी. चौहान ने कहा है कि ऐसा करने से इस तरह के मामलों की सुनवाई में मदद मिलती है।
दहेज निषेध अधिकारी की नियुक्ति
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से पूछा कि नियमों के अनुसार क्या राज्य में दहेज निषेध अधिकारियों की नियुक्ति हुई है? कोर्ट ने यह भी पूछा है कि अभी तक कितने अधिकारियों को पोस्ट किया है और अगर ऐसा नहीं हुआ है तो बढ़ रहे मामलों में अभी तक कोई नियुक्ति क्यों नहीं हुई है।
दहेज लेने देने पर कितना हो सकता है सजा
मौजूदा कानून के तहत जो कोई भी दहेज लेता या फिर देता है तो इस मामले में पांच साल की सजा होती है। यही नहीं उन पर जुर्माना भी लगता है। ऐसे लोगों पर 50 हजार या फिर दहेज लेने की रकम, इन दोनों में जो ज्यादा हो इस पर जुर्माना देना होता है।