नई दिल्ली: गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान एक बड़ी घोषणा की। उन्होंने कहा 'ऑपरेशन महादेव' के तहत सोमवार को मारे गए तीन आतंकी पहलगाम हमले में शामिल थे। उन्होंने कहा कि अप्रैल में पहलगाम हमले में 26 लोगों की हत्या करने वाले सभी तीन पाकिस्तानी आतंकवादियों को 28 जुलाई को 'ऑपरेशन महादेव' में मार गिराया गया है।

अमित शाह ने लोकसभा में कहा, 'ऑपरेशन महादेव के तहत भारतीय सेना, सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस की ओर से चलाए गए संयुक्त अभियान में वे सभी तीन आतंकी मारे गए जो पहलगाम हमले में शामिल थे।' उन्होंने मारे गए सुलेमान को मास्टरमाइंड बताया और बाकी दो लोगों के नाम अफगान और जिबरान बताए गए। अमित शाह ने बताया कि ये सभी पाकिस्तान स्थित प्रतिबंधित संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े शीर्ष आतंकवादी थे।

गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में बताया कि सुलेमान लश्कर-ए-तैयबा का कमांडर था, जो गगनगीर आतंकी हमले में शामिल था। इसके सारे सबूत एजेंसियों के पास हैं। आतंकी अफगान और जिबरान, लश्कर के 'ए' श्रेणी के आतंकी थे। अमित शाह ने स्पष्ट तौर पर कहा कि तीनों आतंकवादी बैसरन घाटी हमले में शामिल थे।

अमित शाह ने बताया कि मारे गए तीनों आतंकियों के पास से वो राइफलें भी बरामद की गईं जिससे पहलगाम में हमला किया गया था। उन्होंने बताया कि आतंकियों के पास से एम9 अमेरिकन राइफल्स और दो एके-47 बरामद किया गया है।

कैसे हुई आतंकियों की पहचान, अमित शाह ने बताई पूरी डिटेल

अमित शाह ने पहलगाम हमले में शामिल तीनों आतंकवादियों को पकड़ने के लिए चलाए गए अभियान का विवरण दिया। उन्होंने बताया कि आतंकवादियों के मारे जाने के बाद, उनके ओवरग्राउंड वर्करों को हिरासत में लिया गया और उनकी पहचान की गई।

अमित शाह ने बताया कि पहलगाम हमले की जाँच के दौरान 1055 लोगों से 3000 घंटे पूछताछ की गई और जाँच दल ने दो ओवरग्राउंड वर्करों की पहचान की, जिन्होंने हमले के बाद तीनों आतंकवादियों को पनाह दी थी। ये ओवरग्राउंड वर्कर हिरासत में हैं।

अमित शाह ने आगे कहा, 'मारे गए आतंकवादियों की पहचान उनके परिजनों से भी कराई गई है जो मारे गए थे। आतंकवादियों द्वारा इस्तेमाल की गई गोलियों की पुष्टि एफएसएल द्वारा की गई है और वे मारे गए आतंकवादियों से बरामद की गई गोलियों से मेल खाती हैं।'

गृह मंत्री ने लोकसभा में जानकारी दी कि चंडीगढ़ एफएसएल की रिपोर्ट में कारतूस के मिलान हुए हैं। 6 वैज्ञानिकों ने क्रॉस चेक किया है। वैज्ञानिकों ने पुष्टि की है कि यह वही गोलियां हैं जो पहलगाम में चलाई गई थीं।

आतंकियों तक पहुंचने के लिए क्या योजनाएं बनी?

अमित शाह ने कहा कि पहलगाम हमले के बाद 23 अप्रैल को एक सुरक्षा मीटिंग की गई। सबसे पहले फैसला लिया गया कि आतंकी देश छोड़कर पाकिस्तान भाग न पाएं। इसकी पूरी पुख्ता व्यवस्था की और आतंकियों को भागने नहीं दिया।

गृह मंत्री ने बताया कि 22 मई को आईबी के पास सूचना आई थी। डाचीगाम क्षेत्र में आतंकियों की मौजूदगी की जानकारी मिली थी। सेना और आईबी ने सिग्नल कैप्चर करके 22 आतंकवादियों के बारे में जानकारी पुख्ता की। 22 जुलाई को सेंसर के जरिए आतंकियों के मौजूद होने की पुष्टि हुई। 

सेना के 4 पैरा के जवान, सीआरपीएफ और जम्मू कश्मीर पुलिस के जवानों ने एक साथ आतंकियों को घेरने का काम किया। सोमवार को ऑपरेशन हुआ, उसमें पहलगाम हमले के तीनों आतंकवादी मौत के घाट उतार दिए गए।