1962 समते तीन युद्ध में काम आए एयरस्ट्रिप पर था माँ-बेटे का कब्जा, 28 साल बाद रक्षा मंत्रालय को लौटी जमीन

द्वितीय विश्व युद्ध के समय बना यह एयरस्ट्रिप भारत-पाकिस्तान सीमा के पास स्थित फत्तूवाला गांव में एक एडवांस लैंडिंग ग्राउंड (ALG) के रूप में काम करता था। लेकिन 1997 में एक महिला उषा अंसल और उसके बेटे नवीन चंद ने कथित रूप से...

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चंडीगढ़ः पंजाब के फिरोजपुर जिले के फत्तूवाला गांव में मौजूद एक ऐतिहासिक एयरस्ट्रिप (हवाई पट्टी), जो 1962, 1965 और 1971 के भारत-पाक युद्धों के दौरान भारतीय वायुसेना द्वारा इस्तेमाल किया गया था, अब 28 साल बाद रक्षा मंत्रालय को लौटा दिया गया है। यह कार्रवाई एक सेवानिवृत्त राजस्व अधिकारी की सतत शिकायत और अदालत के हस्तक्षेप के बाद संभव हो सकी है।

क्या है पूरा मामला?

द्वितीय विश्व युद्ध के समय बना यह एयरस्ट्रिप भारत-पाकिस्तान सीमा के पास स्थित फत्तूवाला गांव में एक एडवांस लैंडिंग ग्राउंड (ALG) के रूप में काम करता था। लेकिन 1997 में एक महिला उषा अंसल और उसके बेटे नवीन चंद ने कथित रूप से राजस्व अधिकारियों की मिलीभगत से इस जमीन को निजी व्यक्तियों को बेच दिया।

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, सेवानिवृत्त राजस्व अधिकारी निशान सिंह ने इस फर्जीवाड़े की शिकायत विजिलेंस ब्यूरो में की थी। हालांकि, कई सालों तक इसपर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। बाद में 16 अप्रैल 2021 को हलवाड़ा एयरफोर्स स्टेशन के कमांडेंट ने फिरोजपुर के डिप्टी कमिश्नर को इस मामले में औपचारिक शिकायत दी और जांच की मांग की।

अदालत के दबाव के बाद हुई कार्रवाई

स्थानीय प्रशासन भी उदासीन बना रहा। उसने इस शिकायत पर सालों तक ढिलाई बरती। दिसंबर 2023 में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने जब हस्तक्षेप करते हुए छह महीने के भीतर जांच पूरी करने का आदेश दिया, तब जाकर प्रशासन सक्रिय हुआ।

कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद डिप्टी कमिश्नर ने तीन पेज की रिपोर्ट दाखिल की, जिसमें बताया गया कि 1958-59 के रिकॉर्ड के अनुसार यह जमीन आज भी वायुसेना के कब्जे में है। हालांकि, शिकायतकर्ता निशान सिंह ने इस रिपोर्ट को गलत बताया और आरोप लगाया कि 2001 में जमीन का म्यूटेशन धोखाधड़ी से निजी व्यक्तियों के नाम कर दिया गया था।

मई 2025 में हुई जमीन की वापसी

एक प्रशासकीय समीक्षा के बाद मई 2025 में एयरस्ट्रिप को आधिकारिक तौर पर रक्षा मंत्रालय को लौटा दिया गया। एफआईआर कुलगढ़ी थाने में दर्ज हुई है जिसमें आरोपियों पर आईपीसी की धारा 419 (छद्मवेश), 420 (धोखाधड़ी), 465, 467 (जालसाजी), 471 (जाली दस्तावेजों का प्रयोग), और 120-B (आपराधिक साजिश) के तहत केस दर्ज किया गया है।

जांच अधिकारी डी. मनजीत सिंह के अनुसार, आरोपी उषा अंसल और उनका बेटा नवीन चंद इस वक्त दिल्ली में रहते हैं और दोनों डेमनीवाला गांव के निवासी हैं।

अभी और गिरफ्तारियां संभव

फिलहाल जांच जारी है और पुलिस ने संकेत दिया है कि आने वाले समय में और गिरफ्तारियां की जाएंगी। निशान सिंह का कहना है कि यह मामला न केवल ऐतिहासिक भूमि की रक्षा से जुड़ा है, बल्कि यह कानूनी जागरूकता और नागरिक सतर्कता का भी उदाहरण है।

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