नई दिल्लीः एयर इंडिया एक्सप्रेस के 28 वर्षीय पायलट की मौत कार्डिएक अरेस्ट से हो गई। पायलट की हाल ही में शादी हुई थी। पायलट की मौत पर विमान कंपनी एयर इंडिया एक्सप्रेस ने दुख व्यक्त किया है।
कंपनी के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा कि हमें एक मूल्यवान सहकर्मी की मौत पर गहरी दुख है। इस गहन दुख की घड़ी में हमारी संवेदनाएं परिवार के साथ हैं। इसके साथ ही प्रवक्ता ने कहा कि हम इस दुख से निपटने के लिए परिवार को हर संभव मदद कर रहे हैं।
प्रवक्ता ने आगे सभी संबंधित पक्षों से अनुरोध किया कि वे इस समय गोपनीयता का सम्मान करें और किसी भी प्रकार की अटकलबाजी करने से बचें। प्रवक्ता ने कहा कि हम आगे की प्रक्रिया में संबंधित अधिकारियों की सहायता करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
विमान लैंडिंग के दौरान हुई थी उल्टी
द हिंदू की खबर के मुताबिक, दिल्ली में विमान लैंड करने के बाद पायलट का स्वास्थ्य सही नहीं था जिसके चलते उसे पास के अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। अचानक हृदय गति रुक जाने से पायलट की मौत हो गई।
पायलट के सहयोगियों और एयरलाइन के स्टाफ ने बाद में बताया कि पायलट को लैंडिंग के दौरान कॉकपिट में उल्टी हुई थी।
इसी साल फरवरी में नागरिक विमानन महानिदेशक ने दिल्ली हाई कोर्ट के समक्ष एक ज्ञापन सौंपा था। इस ज्ञापन में चालक दल के सदस्यों को लेकर एक चरणबद्ध रोडमैप दिया गया था जिसमें कहा गया था कि पायलट के लिए उड़ान की अवधि और समय पर सख्त सीमाएं तय की जाएंगी।
एक जुलाई से लागू होगा नया नियम
हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, हाई कोर्ट के समक्ष दिए गए रोडमैप में पायलटों के साप्ताहिक आराम को 36 घंटों से बढ़ाकर 48 घंटे करने का प्रस्ताव दिया गया था। इसे एक जुलाई से लागू किया जाना था और एक नवंबर से रात्रि उड़ानों को कम करने का भी प्रस्ताव था।
दिल्ली हाई कोर्ट ने फरवरी में डीजीसीए को निर्देश दिया था कि वह पायलटों के लिए आराम के घंटों के संशोधित समय को एक जुलाई से चरणबद्ध तरीके से लागू करने की अपनी समय सीमा का सख्ती से पालन करे।
डीजीसीए के वकील द्वारा न्यायमूर्ति तारा वितस्ता गंजू को बताया गया था कि डीजीसीए ने 22 संशोधित क्लॉज का शपथ पत्र जमा किया। इसमें से 15 संशोधन एक जुलाई से लागू होंगे और बचे हुए एक नवंबर से लागू होंगे।
इस मामले में याचिकाकर्ता पायलट एसोसिएशन थी जिसके वकील ने अदालत से आग्रह किया कि वह निर्देश पारित करे कि प्रतिवादियों द्वारा हलफनामे में निर्धारित समयसीमा का सख्ती से पालन करना चाहिए।