'ड्राइवरों के रोजगार को खत्म न कर दे एआई...', सुप्रीम कोर्ट ने जताई चिंता

सुप्रीम कोर्ट ने एआई के बढ़ते प्रभाव पर चिंता जताई है। एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि वकीलों को भी एआई आधारित टूल्स से प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ सकता है।

ai may take job of drivers supreme court concerns

सुप्रीम कोर्ट ने एआई के बढ़ते प्रभाव पर जताई चिंता Photograph: (ग्रोक)

नई दिल्लीः आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) हर क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ा रहा है जिससे लोगों को चिंता है कि उनकी नौकरी का भविष्य क्या होगा? अब सुप्रीम कोर्ट ने भी इस पर चिंता जताई है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक सुनवाई के दौरान चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि भविष्य में एआई ड्राइवर और अन्य क्षेत्रों के लोगों की नौकरी ले सकता है।

दरअसल न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ एक जनहित याचिका की सुनवाई कर रही थी। इस जनहित याचिका में इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) की खरीद और उपयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सरकार की नीतियों के उचित कार्यान्वयन पर मांग की गई थी। 

एआई के बढ़ते प्रभाव से चिंतित जस्टिस

सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने एआई के बढ़ते प्रभाव पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यह ड्राइवरों के रोजगार पर असर डाल सकता है। 

अदालत ने कहा "मेरी चिंता यह है कि एआई ड्राइवरों के रोजगार को खत्म न कर दे...भारत में ड्राइवर (नौकरी) रोजगार का एक बड़ा स्रोत है।"

इसके अलावा न्यायमूर्ति ने यह भी कहा कि वकीलों को भी एआई से प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ सकता है। उन्होंने कहा "एआई अपने आप में तेजी से उभरती टेक्नोलॉजी है। एक मॉड्यूल कुछ महीनों में अप्रचलित हो जाता है। अभी हमने एआई आधारिक अधिवक्ताओं को देखा है... उन्होंने अमेरिका में तर्क दिया है। हम बार के बारे में चिंतित हैं।" 

प्रशांत भूषण ने जनहित याचिका का किया प्रतिनिधित्व

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, इस जनहित याचिका का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने किया। यह याचिका सेंटर फॉर पब्लिक इंटेरेस्ट लिटिगेशन द्वारा दायर की गई थी।

प्रशांत भूषण ने इलेक्ट्रिक व्हीकल के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने पर्यावरण के प्रति चिंता जाहिर करते हुए कहा कि दुनिया के सबसे ज्यादा प्रदूषित 15 शहरों में 14 भारत में हैं। 

भूषण ने बुनियादी ढांचा बढ़ाने पर भी जोर दिया। हालांकि, अदालत ने कहा कि सिर्फ सरकार ही नहीं बल्कि अन्य संस्थाओं को भी इसके लिए आगे आना चाहिए। इस पर भूषण ने कुछ मामलों के बारे में बताया जहां चार्जिंग प्वाइंट 400 किमी की दूरी पर उपलब्ध हैं। 

सरकार की तरफ से इस मामले में अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि पेश हुए थे। उन्होंने इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार द्वारा क्या कदम उठाए गए हैं, इसकी जानकारी देने के लिए कोर्ट से समय मांगा। इसके बाद मामले की अगली सुनवाई 14 मई तय की गई है। 

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