अहमदाबाद विमान हादसा: मलबे से 80 तोला सोना और ₹15 लाख नकद बरामद, एयर होस्टेस का पर्स भी मिला सुरक्षित

जांच अधिकारियों ने बताया कि जिस स्थान पर विमान की पूंछ हॉस्टल की छत से टकराई, वहीं एक एयर होस्टेस और दो बच्चों के जले हुए शव पाए गए। लेकिन उनके पास की वस्तुएं – जैसे कि एयर होस्टेस का पर्स, मेकअप किट और कुछ दस्तावेज – प्रभावित नहीं हुए थे..

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Photograph: (IANS)

अहमदाबादः एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 के 12 जून को अहमदाबाद से लंदन के लिए उड़ान भरते ही दुर्घटनाग्रस्त होने की घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया है। इस भयावह हादसे में 275 लोगों की जान गई, सिर्फ एक शख्स आश्चर्यजनक रूप से जीवित बच सका। अब जांच में जुटे अधिकारी इस बात से हैरान हैं कि भीषण आग जिसने यात्रियों को भागने तक का मौका नहीं दिया,बावजूद इसके दुर्घटनास्थल से कई चीजें बिल्कुल सुरक्षित मिली हैं। और भी चौंकाने वाली बात यह है कि जहां विमान की पूंछ हॉस्टल की छत से टकराई थी, वहीं एक एयर होस्टेस और दो बच्चों के जले हुए शव मिले, लेकिन उसी स्थान पर मिले सामान में आग का असर नहीं दिखा।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “जिस तरह से सामान बरामद हो रहे हैं, वह कम चौंकाने वाला नहीं है। जिस आग ने लोगों को पूरी तरह झुलसा दिया, वहां कपड़े, दस्तावेज़, एयर होस्टेस का पर्स और मेकअप किट तक सुरक्षित मिले हैं।”

 राख में मिले मूल्यवान सामान

दुर्घटनास्थल पर जांच में अब तक 50 से अधिक जले हुए पासपोर्ट मिले हैं, हालांकि इनमें से अधिकांश पर लिखावट पढ़ी नहीं जा सकती। मलबे से करीब 80 तोला सोना बरामद हुआ है, जिसमें मुख्य रूप से अंगूठियां और चूड़ियां शामिल हैं। इसके अलावा भारतीय और विदेशी मुद्रा – जिसमें डॉलर, यूरो, पाउंड और रुपये – का कुल अनुमानित मूल्य 15 लाख रुपये है।

80 से अधिक मोबाइल फोन भी बरामद हुए हैं, जिनमें से अधिकतर जल चुके हैं। घटनास्थल से एक भगवद गीता की जली हुई प्रति भी मिली है, जो अब पढ़ने योग्य नहीं है। साथ ही, पूजा की कुछ छोटी मूर्तियां भी बरामद हुई हैं, जिन्हें संभवतः माताजी या ठाकोरजी की प्रतिमाएं माना जा रहा है।

जांच अधिकारी इस बात से हैरान हैं कि जिस आग ने शरीर और कपड़े तक जला दिए, वहीं कुछ यात्रियों के पर्स, मेकअप किट, और दस्तावेज जैसे सामान बिना जले बचे रह गए। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हादसे के स्थल पर एक एयर होस्टेस और दो बच्चों के जले हुए शव पाए गए, लेकिन उनके आसपास रखे बैग, दस्तावेज और अन्य सामग्री लगभग सुरक्षित स्थिति में मिली।

कारोबारी और उनके साथियों ने पेश की इंसानियत की मिसाल

इस पूरे हादसे में एक और पहलू सामने आया जिसने इंसानियत का विश्वास जिंदा रखा। 56 वर्षीय निर्माण कारोबारी राजू पटेल, जो दुर्घटनास्थल के पास थे, सबसे पहले वहां पहुंचे। उन्होंने अपने साथियों के साथ मिलकर घायलों को चादरों और साड़ियों की मदद से एंबुलेंस तक पहुंचाया, क्योंकि उस समय स्ट्रेचर नहीं थे। पटेल ने टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में कहा कि, शुरुआती 15-20 मिनट तक आग इतनी भीषण थी कि मैं पास भी नहीं जा सका।

टीओई को उन्होंने बताया कि प्राथमिक राहत कार्य समाप्त होने के बाद उन्होंने मलबे से जले हुए बैगों की तलाशी लेकर करीब 70 तोला सोना, ₹80,000 नकद, भगवद गीता की एक प्रति और कई पासपोर्ट बरामद किए, जिन्हें अधिकारियों को सौंप दिया गया।

पटेल और उनकी टीम को रात 9 बजे तक स्थल पर काम करने की अनुमति दी गई थी। गुजरात के गृह राज्य मंत्री हर्ष सांघवी ने भी पुष्टि की कि पीड़ितों की वस्तुएं सावधानीपूर्वक संकलित और सूचीबद्ध की जा रही हैं, और उन्हें उनके परिजनों को लौटाया जाएगा। पटेल 2008 के अहमदाबाद धमाकों में भी राहत कार्य में शामिल रहे थे। उन्होंने इसे अपने जीवन का सबसे भयावह दृश्य बताया।

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