नई दिल्ली: अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरामनी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि केंद्र के पास मौजूद कुछ ‘संवेदनशील सामग्री’ हाई कोर्टों के चीफ जस्टिस की नियुक्ति में देरी की वजह है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा था कि वह बताए किन वजहों से कुछ हाई कोर्टों में चीफ जस्टिस की नियुक्ति को लेकर शीर्ष न्यायालय के कॉलेजियम के प्रस्ताव भेजे जाने के बावजूद कार्यान्वयन में इतनी देरी हो रही है।
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार अटॉर्नी जनरल ने कहा कि उन्हें केंद्र से कुछ इनपुट मिले हैं और इनमें से कुछ संवेदनशील हैं। उन्होंने कहा कि यही वजहें सरकार को हलफनामा दायर करने से रोक रही हैं क्योंकि इन मुद्दों को सार्वजनिक डोमेन में लाना न तो संस्था के हित में होगा और न ही इसमें शामिल व्यक्तित्वों के हित में होगा।
वेंकटरमनी ने चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ से कहा, ‘मैं अपने इनपुट और सुझावों को जजों के गौर करने के लिए सीलबंद लिफाफे में रखना चाहूंगा।’ दरअसल, पूरा मामला सात उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों की नियुक्ति से जुड़ा है। करीब दो महीने पहले सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम ने इन नियुक्तियों को करने के लिए अपनी सिफारिश भी भेज दी थी। हालांकि नियुक्तियां नहीं हुई है। कोर्ट ने अब लॉ अफसर को ‘मुद्दे’ को सुलझाने को कहा है।
पीठ एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें केंद्र सरकार के लिए एससी कॉलेजियम की सिफारिशों को तेजी से लागू करने के बजाय इसे अनिवार्य बनाने की मांग की गई थी। दरअसल, नियमों के मुताबिक कॉलेजियम उन नामों की सिफारिश सरकार को भेजती है, जिन्हें नियुक्त किया जाना है। सरकार के लिए कॉलेजियम की सिफारिश मानना जरूरी है।
11 जुलाई को कॉलेजियम ने भेजा था नाम
भारत के चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ सहित जस्टिस संजीव खन्ना और बीआर गवई वाले सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 11 जुलाई को केंद्र को विभिन्न हाई कोर्ट में मुख्य न्यायाधिशों की नियुक्ति के लिए नाम भेजे थे। इनमें जस्टिस मनमोहन को दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस, राजीव शकधर को हिमाचल प्रदेश, सुरेश कुमार कैथ को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के मुख्य न्यायाधीश के तौर पर नियुक्त करने की सिफारिश की गई थी थी।
इसके अलावा जीएस संधवालिया को मध्य प्रदेश, एनएम जामदार को केरल, ताशी रबस्तान को मेघालय और केआर श्रीराम को मद्रास हाई कोर्ट का चीफ जस्टिस नियुक्त करने की सिफारिश थी।
इसके अलावा उच्च न्यायालयों के अन्य न्यायाधीशों की नियुक्तियों और तबादलों के लिए भी सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की कई अन्य सिफारिशें हैं, जो सरकार के पास लंबित पड़ी हैं। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि उन्होंने गुरुवार को अटॉर्नी जनरल से बातचीत की थी और उनसे कॉलेजियम प्रस्तावों के कार्यान्वयन के रास्ते में आने वाले मुद्दों को सुलझाने का अनुरोध किया है। पीठ ने अटॉर्नी जनरल के जवाब का इंतजार करने के लिए सुनवाई अगले सप्ताह के लिए टालने का फैसला किया।
आंकड़ो के अनुसार देश भर के उच्च न्यायालयों में 60 लाख से अधिक मामले लंबित हैं। वहीं, 30% न्यायाधीशों के पद खाली होने के कारण सुनवाई की गति भी बेहद धीमी है, जिससे मामलों का निपटारा होने में काफी समय लग जाता है।