लखनऊः लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद से ही उत्तर प्रदेश में भाजपा संगठन के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव मौर्य मंगलवार को भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से दिल्ली के पार्टी मुख्यालय में मुलाकात की। वहीं, उनके निकलने के कुछ समय बाद भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी भी जेपी नड्डा के साथ मुलाकात करने के लिए पार्टी मुख्यालय पहुंचे।
जेपी नड्डा और केशव प्रसाद की बैठक में क्या हुआ?
एक घंटे तक चली बैठक के बाद केशव प्रसाद मौर्य भाजपा मुख्यालय से निकले तो मीडिया से कुछ भी नहीं कहा। दोनों नेताओं के बीच किस एजेंडे पर बैठक हुई यह अभी साफ नहीं हुआ है लेकिन मीडिया रिपोर्टों की मानें तो यह मुलाकात लोकसभा चुनावों में पार्टी के खराब प्रदर्शन और आगामी विधानसभा उपचुनाव की रणनीति के संदर्भ में हुई है।
हालांकि कुछ मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, नड्डा ने केशव प्रसाद मौर्य को बुलाया था और उन्हें सार्वजनिक मंचों पर ऐसे बयान नहीं देने की नसीहत दी है जिससे पार्टी को नुकसान हो। क्योंकि योगी आदित्यनाथ से उनके मतभेदों की चर्चा भी है। वहीं, रविवार को राज्य पार्टी की विस्तारित कार्यकारिणी बैठक में केशव प्रसाद मौर्य ने यह बयान भी दिया था कि “संगठन हमेशा सरकार से बड़ा होता है”।
गौरतलब बात है कि केशव मौर्य और योगी आदित्यनाथ के बीच संबंधों को लेकर लंबे समय से चर्चाएं होती रही हैं। बता दें कि 15 वर्षों के राजनीतिक वनवास के बाद जब वर्ष 2017 में भाजपा को उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में जीत हासिल हुई थी, उस समय केशव प्रसाद मौर्य ही उत्तर प्रदेश भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष थे।
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यह माना जा रहा है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव से पहले भाजपा उत्तर प्रदेश में अध्यक्ष के चेहरे में बदलाव कर सकती है और इस लिहाज से जेपी नड्डा की केशव प्रसाद मौर्य और भूपेंद्र चौधरी के साथ मुलाकात को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
रिपोर्टों की मानें तो निजी बातचीत में, राज्य के कई भाजपा नेताओं, जिनमें लोकसभा चुनाव हारने वाले भी शामिल हैं, ने मुख्यमंत्री के कार्य करने के तरीके की आलोचना की है और इसे उनकी हार के कारणों में से एक बताया है।
हाल ही में संपन्न हुए आम चुनावों में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के INDIA गठबंधन ने उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से 43 पर जीत हासिल की, जबकि भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए ने 36 सीटें जीतीं। एनडीए ने 2019 में 64 सीटें जीती थीं। राज्य में 10 विधानसभा सीटों के उपचुनाव होने वाले हैं, इसलिए राजनीतिक पर्यवेक्षक इसके परिणाम का बेसब्री से इंतजार करेंगे।
लोकसभा में निराशाजनक प्रदर्शन को लेकर केशव मौर्य और योगी आदित्यनाथ ने क्या कहा था?
भाजपा की एक दिवसीय राज्य कार्यसमिति की बैठक को संबोधित करते हुए मौर्य ने चुनावी हार के बाद अपने पहले बयान में कहा कि “पार्टी संगठन सरकार से बड़ा है और कोई भी संगठन से बड़ा नहीं है।” डिप्टी सीएम ने कहा था कि “हर भाजपा कार्यकर्ता हमारी प्रतिष्ठा है। मैं पहले भाजपा कार्यकर्ता हूं और बाद में उपमुख्यमंत्री और मेरा दरवाजा हमेशा सभी के लिए खुला रहता है।”
वहीं, योगी आदित्यनाथ ने बैठक में दावा किया कि “अति आत्मविश्वास” ने इस साल के चुनावों में भाजपा की उम्मीदों को चोट पहुंचाई। उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा पिछले चुनावों में अपने वोट शेयर को बनाए रखने में कामयाब रही है, लेकिन वोटों का स्थानांतरण हुआ।
यूपी में 10 सीटों पर होंगे उपचुनाव
उत्तर प्रदेश की 10 सीटों पर उपचुनाव होने वाले हैं, और भाजपा इन सभी सीटों पर जीतने का लक्ष्य लेकर चल रही है। लोकसभा चुनाव में अच्छे प्रदर्शन को देखते हुए कांग्रेस भी उपचुनाव में 2 से 3 सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना बना रही है। उधर, उपचुनावों से दूर रहने वाली बसपा भी इस बार विधानसभा उपचुनाव लड़ने की घोषणा की है।