दिल्ली: जेल में बंद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को बुधवार को एक और बड़ा झटका लगा। कथित शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में जेल में बंद अरविंद केजरीवाल की जमानत पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले सीबीआई ने भी उन्हें इसी मामले में हिरासत में ले लिया। इसके बाद राउज एवेन्यू कोर्ट में स्पेशल अमिताभ रावत ने भी सीबीआई को केजरीवाल को औपचारिक रूप से गिरफ्तार करने की अनुमति दे दी।
सीबीआई से केजरीवाल की गिरफ्तारी का क्या मतलब है?
केजरीवाल पहले से ही जेल में बंद हैं। ईडी की गिरफ्त में हैं। ऐसे में सवाल है कि सीबीआई की नई गिरफ्तारी का क्या मतलब है? ये गिरफ्तारी क्यों की गई है और सीबीआई की जांच ईडी की जांच से कैसे अलग है?
दरअसल, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) इस मामले में कथित पैसे के लेन-देन की जांच करेगी। वहीं सीबीआई पर मामले में लोक सेवकों द्वारा भ्रष्टाचार और रिश्वत लेने के आरोपों को साबित करने की जिम्मेदारी होगी।
ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में मार्च में केजरीवाल को गिरफ्तार किया था। केजरीवाल के खिलाफ एकमात्र आरोप था – कथित नाजायज धन का सृजन और उसका उपयोग करना। मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) की धारा 3 के तहत अवैध पैसों को छुपाना, कब्जा करना, अधिग्रहण, उपयोग, अवैध संपत्ति को वैध संपत्ति के रूप में पेश करना, या अवैध संपत्ति को वैध दिखाकर दावा करना आदि अपराध हैं।
सीबीआई ने क्या मामला दर्ज किया है?
दूसरी ओर सीबीआई ने 2022 में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (पीसी एक्ट) के तहत भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया था। हालांकि इसमें केजरीवाल का नाम आरोपी के रूप में शामिल नहीं किया गया था। वहीं, मार्च में जब ईडी ने केजरीवाल को हिरासत में लिया तो अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने दिल्ली की अदालत को बताया था कि ‘पीएमएलए के तहत आरोपी बनाने के लिए किसी को विशेष अपराध में आरोपी होना जरूरी नहीं है।’
इसके बाद इस अप्रैल में, सीबीआई ने केजरीवाल को पूछताछ के लिए बुलाया था लेकिन उनके वकीलों ने अदालत में दलील दी थी कि यह गवाह के तौर पर था, आरोपी के तौर पर नहीं। कुल मिलाकर भ्रष्टाचार के मामले में अभी तक केजरीवाल को आरोपी नहीं बनाया गया है।
फिर केजरीवाल को सीबीआई ने अब क्यों गिरफ्तार किया?
सीबीआई के पास हमेशा केजरीवाल को गिरफ्तार करने का विकल्प था। हालांकि उसे पहले केजरीवाल को कथित घोटाले से सीधे जोड़ने के लिए कुछ विश्वसनीय सबूत इकट्ठा करने की जरूरत थी। ईडी वाले मामले की वजह से यहां सीधा लिंक है। ईडी ने दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक होने के नाते केजरीवाल को कथित अवैध फंड से जोड़ते हुए एक मामला बनाया है।
सीबीआई ने कोर्ट में यह भी कहा कि वह पहले भी केजरीवाल को गिरफ्तार करना चाहती थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट की ओर से जमानत मिलने के बाद उसने कार्रवाई को रोक दिया था। सीबीआई ने ट्रायल कोर्ट में सुनवाई के दौरान कहा कि दस्तावेजों के मिलान के लिए केजरीवाल की हिरासत की जरूरत है। सीबीआई ने यह भी दावा किया कि केजरीवाल ने शराब नीति का जिम्मा दिल्ली के पूर्व मंत्री मनीष सिसोदिया पर डालते हुए कहा था कि यह उन्हीं का विचार था। सीबीआई ने ये भी दावा किया कि उसके पास मनी ट्रेल के सबूत मौजूद हैं। केजरीवाल ने अदालत में हालांकि कहा कि उन्होंने सिसोदिया को निर्दोष बताया है। उन्होंने सिसोदिया पर इस मामले में किसी भी प्रकार का आरोप नहीं लगाया।
केजरीवाल की जमानत अब कितनी मुश्किल?
ईडी के पास पीएमएलए एक्ट है। इस एक्ट में जमानत लेना बहुत मुश्किल माना जाता है। ईडी के पास इस एक्ट के तहत शक्ति है कि वह किसी भी अभियुक्त को बिना वारंट के भी गिरफ्तार कर सकता है और लंबे समय तक हिरासत में रख सकता है। यहां जमानत पूरी तरह से कोर्ट के फैसले पर निर्भर होता है। दूसरी ओर सीबीआई के मामले में जमानत हासिल करना कुछ हद तक आसान है। हालांकि यह इस पर भी निर्भर करता है कि सरकारी वकील जमानत का विरोध करते हुए कितने मजबूत या कमजोर तर्क रखता है।
सीबीआई ने कोर्ट के सामने और क्या तर्क रखे हैं?
राउज एवेन्यू कोर्ट ने केजरीवाल को तीन दिनों की सीबीआई रिमांड में भेजा है। हालांकि, सीबीआई ने पांच दिनों की हिरासत की मांग की थी। इस मामले में अगली सुनवाई 29 जून को होगी।
इससे पहले बुधवार को सुनवाई के दौरान सीबीआई ने आरोप लगाया कि जिस कैबिनेट ने नई आबकारी नीति को मंजूरी दी थी, उसका ना महज अरविंद केजरीवाल हिस्सा थे, बल्कि उन्होंने इस घोटाले में अहम भूमिका भी निभाई थी।
सीबीआई ने कहा कि वो केजरीवाल और मनीष सिसोदिया का आमना-सामना कराकर पूछताछ करना चाहते हैं, जिसे देखते हुए उनकी हिरासत जरूरी है। इसके अलावा, सीबीआई ने दावा किया कि जांच जारी है, जुलाई तक पूरी हो जाएगी।