ओडिशा में बीजद की हार के बाद पटनायक के करीबी वीके पांडियन ने छोड़ी सक्रिय राजनीति, पार्टी कार्यकर्ताओं से मांगी माफी

पिछले साल 27 नवंबर को औपचारिक तौर पर पार्टी की सदस्यता ग्रहण करने वाले पांडियन 12 साल तक मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के निजी सचिव रहे। इस चुनाव में भाजपा ने पांडियन के तमिल मूल के होने मुद्दा बनाया था।

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VK Pandian left politics, Pandian retired from active politics

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भुवनेश्वः ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के करीबी माने जाने वाले बीजू जनता दल (बीजद) के नेता वीके पांडियन ने रविवार को सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लिया। पांडियन ने एक वीडियो जारी कर अपने फैसले की घोषणा की। पूर्व आईएएस अधिकारी ने कहा कि उन्होंने अपनी अंतरात्मा की आवाज पर यह फैसला किया है। उन्होंने कहा,  उनके ऊपर विरोधी दलों द्वारा लगाये गये आक्षेप यदि इस चुनाव में पार्टी की हार का कारण रहे हैं तो वह इसके लिए माफी चाहते हैं।

कोई राजनीतिक आकांक्षा नहीं थी

वीडियो में बीजद की हार की तरफ इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि वह कुछ पॉलिटिकल नैरेटिव का समय पर जवाब देने में असफल रहे। पांडियन ने वीडियो में कहा कि वह सिर्फ "मेरे गुरू" नवीन पटनायक और ओडिशा के लोगों की मदद करने के लिए राजनीति में आए थे। उनकी कोई राजनीतिक आकांक्षा नहीं थी और इसलिए उन्होंने कभी चुनाव भी नहीं लड़ा।

सबसे बड़ी संपत्ति ओडिशा के लोगों का प्यार और स्नेह है

पांडियन ने स्पष्ट किया कि उन्हें उनके दादा से संपत्ति मिली थी, उसके अलावा देश या विदेश में उनकी कोई संपत्ति नहीं है। उनकी सबसे बड़ी संपत्ति "ओडिशा के लोगों का प्यार और स्नेह है"। उन्होंने कहा कि अगर मैंने इस सफर में किसी को ठेस पहुंचाई है, तो मुझे खेद है। पांडियन ने आगे कहा कि यदि उन्होंने किसी का दिल दुखाया है तो वह माफी मांगते हैं।

मेरे गुरु नवीन बाबू मेरी सांसों में

बीजद नेता ने पार्टी के लाखों कार्यकर्ताओं का आभार जताया।  वीडियो के अंत में उन्होंने कहा, "ओडिशा हमेशा मेरे दिल में, मेरे गुरु नवीन बाबू मेरी सांसों में और भगवान जगन्नाथ मेरी आस्था में हैं।"

गौरतलब है कि ओडिशा में लोकसभा के साथ हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने अपने प्रदर्शन से बीजद को 147 सीटों में से सिर्फ 51 सीटों पर समेट दिया। चुनाव में भाजपा ने 78 सीटें हासिल की हैं। कांग्रेस ने 14 और माकपा ने एक सीट जीती जबकि तीन निर्दलीय उम्मीदवार विजयी रहे।

लोकसभा की 21 सीटों में से 20 भाजपा के खाते में और एक कांग्रेस के खाते में गई जबकि बीजद एक भी सीट नहीं जीत सकी। इस हार से साथ ही राज्य में 24 साल से ज्यादा चली नवीन पटनायक की बीजद सरकार के हाथ से सत्ता चली गई।

भाजपा ने पांडियन के तमिल मूल के होने का मुद्दा उठाया था

पिछले साल 27 नवंबर को औपचारिक तौर पर पार्टी की सदस्यता ग्रहण करने वाले पांडियन 12 साल तक मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के निजी सचिव रहे। पांडियन के एक तमिलियन होने का भाजाप ने अपना चुनावी मुद्दा बनाया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर अमित शाह और असम के मुख्यमंत्री तक ने पांडियन के तमिल होने का मुद्दा उछाला था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि भाजपा के मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार कोई ऐसा व्यक्ति होगा जो ओडिशा में पैदा हुआ हो और ओडिया बोलता हो। भाजपा ने पटनायक के स्वास्थ्य का हवाला देते हुए यह भी आरोप लगाया था कि यदि बीजद फिर से जीतती है तो पांडियन ओडिशा के सीएम का पद संभालेंगे।

भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बैजयंत पांडा ने पांडियन पर आरोप लगाया था कि उन्‍होंने मुख्यमंत्री पटनायक को अपने "कब्जे" में कर लिया गया है और उन्हें एक व्यक्ति द्वारा कठपुतली के रूप में नियंत्रित किया जा रहा है।  उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि हाल के दिनों में जारी किए गए "नवीन बाबू" के अधिकांश वीडियो वास्तविक नहीं हैं और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उपयोग से मुख्यमंत्री के "डीपफेक वीडियो" तैयार किए जा रहे हैं।

वीके पांडियन के बारे में

वीके पांडियन तमिलनाडु राज्य से ताल्लुक रखते हैं। ओडिशा उनका ससुराल और कर्मभूमि है। उन्होंने 2000 बैच आईएएस अधिकारी के रूप में कार्य किया। साल 2023 में वीआरएस लेकर बीजद में शामिल हुए थे। पांडियन को उसी साल कैबिनेट मंत्री के पद के साथ 5टी (ट्रांसफॉर्मेशनल इनिशिएटिव्स) के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था। पार्टी में वह पटनायक के बाद दूसरे सबसे बड़े नेता माने जाते थे।

आईएएनएस इनपुट के साथ

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