चेन्नईः तमिल बनाम हिंदी भाषा विवाद को लेकर अभिनेता से राजनेता बने विजय ने डीएमके और भाजपा दोनों की तीखी आलोचना की। तमिलगा वेत्री कझगम (TVK) पार्टी के प्रमुख विजय ने इस बहस को "किंडरगार्टन (KG) के बच्चों की लड़ाई" करार दिया है। विजय के इस बयान पर डीएमके ने तुरंत पलटवार किया और उन्हें भ्रम फैलाने और भाजपा से डरने का आरोप लगाया।
विजय ने आरोप लगाया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) और तीन-भाषा नीति को लेकर ये दोनों दल जानबूझकर लड़ाई का नाटक कर रहे हैं। विजय ने कहा, "एक (डीएमके) गाता है और दूसरा (भाजपा) उस पर नाचता है। दोनों का यह मेल-जोल केवल सत्ता को बनाए रखने के लिए है। आम जनता की असली समस्याओं को कोई सुन ही नहीं रहा है।"
तीन-भाषा नीति का खुला विरोध
विजय ने साफ कर दिया कि वह तीन-भाषा नीति के सख्त खिलाफ हैं। उन्होंने डीएमके के इस दावे का समर्थन किया कि इस नीति के जरिए तमिल छात्रों पर हिंदी थोपने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने इसे संघीय ढांचे (cooperative federalism) के खिलाफ बताया और मौजूदा दो-भाषा नीति को बेहतर बताया।
विजय ने केंद्र सरकार को आड़े हाथों लेते हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के उस कथित बयान पर निशाना साधा, जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर तमिलनाडु सरकार राष्ट्रीय शिक्षा नीति और तीन-भाषा नीति को पूरी तरह लागू नहीं करती है, तो राज्य को 2,400 करोड़ रुपये की फंडिंग नहीं दी जाएगी।
"எவ்வளவு சீரியஸ் பிரச்னை... இவங்க hashtag போட்டு விளையாடிட்டு இருக்காங்க!" - விஜய் #NationalEducationPolicy | #Vijay | #TVK | #VikatanReels | #TVKVijay pic.twitter.com/0v2GuzohGi
— விகடன் (@vikatan) February 26, 2025
इस पर मुख्यमंत्री एमके स्टालिन और उपमुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए केंद्र को "एक और भाषा युद्ध" के लिए तैयार रहने की चुनौती दे दी।
विजय ने इस विवाद को एक बचकानी लड़ाई करार देते हुए कहा, "तमिलनाडु को केंद्र से मिलने वाला फंड रोकना नर्सरी के बच्चों की लड़ाई जैसा है। पैसा देना केंद्र की जिम्मेदारी है, यह कोई एहसान नहीं है!"
उधर एनडीटीवी से बात करते हुए केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने आरोप लगाया कि डीएमके सरकार इस मुद्दे पर "गलत प्रचार" कर रही है। उन्होंने दावा किया कि NEP में कहीं भी किसी राज्य पर कोई विशेष भाषा थोपने की बात नहीं कही गई है। प्रधान ने डीएमके पर राजनीतिक एजेंडे के तहत झूठ फैलाने का आरोप लगाया।
विजय की "#GetOut" रणनीति
रिपोर्टों की मानें तो 2026 के विधानसभा चुनाव में विजय बतौर प्रत्याशी मैदान में उतर सकते हैं। यही वजह है कि भाषा विवाद में डीएमके और भाजपा की मिलीभगत का पर्दाफाश करने की कोशिश कर रहे हैं। विजय ने तमिल संस्कृति और भाषाई पहचान को लेकर लोगों को एकजुट होने का आह्वान किया। उन्होंने "#GetOut" अभियान की शुरुआत की, जिसका मकसद तमिलनाडु से डीएमके और केंद्र से भाजपा को सत्ता से बेदखल करना है।
विजय ने कहा कि तमिलनाडु आत्म-सम्मान की भूमि है। एक संघीय व्यवस्था में किसी राज्य की नीति के खिलाफ भाषा कैसे थोपी जा सकती है? उन्होंने 1967 और 1977 के चुनावों की याद दिलाई, जब हिंदी थोपने के खिलाफ आंदोलन कांग्रेस सरकार की हार की बड़ी वजह बना था।
इस विवाद के बीच भाजपा को करारा झटका लगा, जब पार्टी की वरिष्ठ नेता और तमिल अभिनेत्री रंजना नचियार ने भाजपा छोड़कर विजय की TVK पार्टी जॉइन कर ली। भाजपा में आठ साल तक रहने वाली रंजना ने पार्टी छोड़ने की वजह बताते हुए कहा, भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व द्रविड़ों के प्रति लगातार शत्रुतापूर्ण रवैया अपना रहा है और तमिलनाडु की जरूरतों की अनदेखी कर रहा है। तीन-भाषा नीति को थोपना इसका एक बड़ा उदाहरण है।