लखनऊः इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक आदेश के बाद उत्तर प्रदेश में शादी पंजीकरण के लिए वर-वधु को मिले उपहारों का विवरण देना अनिवार्य कर दिया गया है। नए नियम के मुताबिक, अगर यूपी में शादी पंजीकरण करवाना है तो वर और वधु को मिले उपहारों की सूची भी दाखिल करनी पड़ेगी। प्रदेश के अपर महानिरीक्षक निबंधन मनींद्र कुमार सक्सेना ने इस बाबत अधिकारियों को निर्देश दिया है।
राज्य सरकार द्वारा यह निर्देश इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक फैसले के बाबत आया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 15 मई को अपने एक फैसले में दहेज निषेध अधिनियम, 1961 की धारा 3(2) के तहत विवाह के समय वर और वधु द्वारा प्राप्त उपहारों की एक सूची बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया था। हाईकोर्ट के जस्टिस डी विक्रम सिंह चौहान ने कहा कि दहेज से जुड़े फर्जी मुकदमों से बचने के लिए दहेज निषेध अधिनियम को लागू किया जाना जरूरी है।
उपहारों की सूची बनाए रखना क्यों महत्वपूर्ण है?
जस्टिस विक्रम डी. चौहान ने कहा ने कहा था कि उपहारों की सूची बनाए रखना इसलिए भी महत्वपूर्ण है ताकि विवाह के बाद दूल्हे या दुल्हन के परिवार के सदस्य दहेज लेने या देने के झूठे आरोप न लगा सकें। दहेज निषेध अधिनियम के प्रावधान बाद के मुकदमों में पक्षकारों की मदद भी कर सकते हैं, यह निर्धारित करने में कि दहेज लेने या देने से जुड़े आरोप दहेज निषेध अधिनियम, 1961 की धारा 3(2) के तहत अपवाद के दायरे में आते हैं या नहीं।
धारा 3(2) दहेज निषेध अधिनियम क्या कहता है?
धारा 3(2) दहेज निषेध अधिनियम में छूट का प्रावधान करता है, जहाँ शादी के समय व बिना किसी मांग के दुल्हन को उपहार दिए जाते हैं। बशर्ते कि ऐसे उपहारों को नियमों के अनुसार बनाई गई सूची में दर्ज किया जाए। यह सूची विवाह के समय दहेज मांगने और देने के बीच स्पष्ट अंतर स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
यही वह जगह है जहां दहेज निषेध (वधु और वर को दिये जाने वाले उपहारों की सूची का रखरखाव) नियम, 1985 का नियम 2 आता है। यह नियम बताता है कि उपहारों की सूची कैसे बनाई जानी चाहिए। दहेज निषेध अधिनियम उपहारों और दहेज के बीच स्पष्ट अंतर करता है।
दहेज लेने या देने पर 5 वर्ष की कैद और ₹50,000 का जुर्माना
उपहार वे स्वैच्छिक चीजें हैं जो शादी के समय दी जाती हैं, जबकि दहेज वह मांगी गई चीज है जो शादी को तय करने के लिए एक शर्त के रूप में दी जाती है। उपहारों की सूची बनाए रखने का प्रावधान यह सुनिश्चित करता है कि बाद में कोई विवाद होने पर भी यह स्पष्ट हो सके कि दिया गया उपहार दहेज था या नहीं। बता दें कि अधिनियम की धारा 3 में दहेज लेने या देने पर कम से कम 5 वर्ष की कैद और कम से कम ₹ 50,000 का जुर्माना या दहेज के मूल्य के बराबर राशि, जो भी अधिक हो, का प्रावधान है।
रजिस्ट्रेशन के लिए क्या चाहिए?
रजिस्ट्रेशन के लिए शादी कार्ड, आधार कार्ड और हाई स्कूल की मार्कशीट के साथ दो गवाह की जरूरत पड़ेगी। रजिस्ट्रेशन अधिकारी दीपक श्रीवास्तव ने कहा कि शादी पंजीकरण के दौरान वर पक्ष को एक शपथ पत्र भी जमा करना होगा जिसमें वे यह सुनिश्चित करेंगे कि उन्होंने दहेज नहीं लिया है।