अब्बास अंसारी को बड़ी राहत, इलाहाबाद HC ने सजा रद्द की, बहाल होगी विधानसभा सदस्यता

पिछले महीने 31 मई को, मऊ की विशेष एमपी एमएलए कोर्ट ने भड़काऊ भाषण देने के आरोप में अब्बास अंसारी को दो साल की कैद और 2,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई थी।

अब्बास अंसारी

अब्बास अंसारी Photograph: (Social Media)

प्रयागराज: गैंगस्टर से नेता बने मुख्तार अंसारी के बेटे और मऊ के विधायक अब्बास अंसारी को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। हाईकोर्ट ने बुधवार को 2022 के एक हेट स्पीच मामले में उनकी सजा को रद्द कर दिया, जिससे उनके विधायक पद की सदस्यता बहाल होने का रास्ता साफ हो गया है।

पिछले महीने 31 मई को, मऊ की विशेष एमपी एमएलए कोर्ट ने भड़काऊ भाषण देने के आरोप में अब्बास अंसारी को दो साल की कैद और 2,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई थी। इसी मामले में उनके चुनाव एजेंट मंसूर को छह महीने की कैद की सजा दी गई थी, जबकि अब्बास के छोटे भाई उमर को बरी कर दिया गया था।

क्या था मामला?

यह हेट स्पीच का मामला उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के दौरान 3 मार्च, 2022 का है। उस समय मऊ सदर से उम्मीदवार रहे अब्बास अंसारी पर सरकारी अधिकारियों को निशाना बनाकर भड़काऊ टिप्पणी करने का आरोप लगा था। उनके भाषण का एक वीडियो वायरल होने के बाद, पुलिस इंस्पेक्टर गंगाराम बिंद ने शिकायत दर्ज कराई थी और मऊ कोतवाली थाने में FIR दर्ज की गई थी।

सजा सुनाए जाने के बाद, उत्तर प्रदेश विधानसभा सचिवालय ने तुरंत जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8(3) के तहत 1 जून को अब्बास की सदस्यता समाप्त कर दी थी। इसके बाद विधानसभा सचिवालय ने चुनाव आयोग को उपचुनाव कराने की सिफारिश भी भेजी थी।

अब्बास ने इस फैसले को पहले मऊ के जिला न्यायाधीश के समक्ष चुनौती दी थी, लेकिन 5 जुलाई को उनकी अपील खारिज कर दी गई थी। इसके बाद उन्होंने अपनी दोषसिद्धि को रद्द करने और विधायक पद बहाल करने की मांग के साथ इलाहाबाद हाईकोर्ट का रुख किया।

हाईकोर्ट का फैसला

दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद, हाईकोर्ट ने 30 जुलाई को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। बुधवार को कोर्ट ने अब्बास के पक्ष में फैसला सुनाते हुए उनकी सजा पर रोक लगा दी और दोषसिद्धि को पलट दिया।

अब्बास के वकील उपेंद्र उपाध्याय ने कहा, "हाईकोर्ट ने कहा कि सेशन कोर्ट का फैसला गलत था। हाईकोर्ट ने सेशन कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है। अब, इसके परिणामस्वरूप उनकी विधानसभा सदस्यता बहाल हो जाएगी।"

 

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