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नई दिल्ली: बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के लिए आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र और राशन कार्ड को वैध दस्तावेज मानने के सुप्रीम कोर्ट के विचार से असहमति जताते हुए चुनाव आयोग ने अदालत से कहा कि इन पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। चुनाव आयोग ने सोमवार देर शाम कोर्ट में दिए हलफनामे में कहा कि आधार सिर्फ एक पहचान प्रमाण है। चुनाव आयोग ने आगे कहा कि देश में बड़ी संख्या में फर्जी राशन कार्ड मौजूद हैं और SIR के लिए मौजूदा मतदाता कार्ड को आधार बनाया जाना पूरे अभियान को निरर्थक बना देगा।
हालांकि, आयोग ने साथ ही कहा कि मतदाता सूची का हिस्सा नहीं होने के कारण किसी व्यक्ति की नागरिकता समाप्त नहीं होगी। चुनाव आयोग ने कहा कि इस अभ्यास के संचालन में किसी भी कानून और मतदाता के मौलिक अधिकारों का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है। आयोग ने साथ ही अदालत से 11 विपक्षी दलों, गैर सरकारी संगठनों और बिहार के कुछ लोगों द्वारा एसआईआर को रद्द करने और नवंबर विधानसभा चुनाव पिछले मतदाता सूची के आधार पर कराने के लिए दायर याचिका को खारिज करने का भी अनुरोध किया।
'SIR से किसी की नागरिकता समाप्त नहीं होगी'
आयोग ने कहा कि नागरिकता अधिनियम की धारा 9 एसआईआर प्रक्रिया पर लागू नहीं होती। हलफनामे में कहा गया है, 'एसआईआर प्रक्रिया के तहत, किसी व्यक्ति की नागरिकता इस आधार पर समाप्त नहीं होगी कि उसे मतदाता सूची में पंजीकरण के लिए अयोग्य घोषित कर दिया गया है।'
मतदाता सूची में शामिल होने के लिए वोटर कार्ड को पात्रता के प्रमाण के रूप में न मानने के अपने फैसले को उचित ठहराते हुए, चुनाव आयोग ने कहा, 'यदि ईपीआईसीएस का इस्तेमाल उस सूची के लिए किया जाता है जिसे नए सिरे से तैयार किया जाना आवश्यक है, तो नए सिरे से संशोधन की प्रक्रिया कमजोर हो जाएगी।'
आयोग ने कहा कि ईपीआईसी पहले की मतदाता सूची में मौजूद है। ऐसे में यह नए सिरे से तैयारी के लिए अनिवार्य सत्यापन प्रक्रिया का विकल्प नहीं हो सकता। चुनाव आयोग ने कहा कि फर्जी राशन कार्डों के व्यापक तौर पर मौजूदगी को देखते हुए इसे पात्रता की जांच के लिए भरोसेमंद 11 दस्तावेजों की सूची में शामिल नहीं किया गया है।
आयोग ने कहा कि आधार आधार केवल एक व्यक्ति की पहचान का प्रमाण है। इससे केवल यह पता चलता है कि कोई व्यक्ति जो किसी लाभ का दावा करना चाहता है, वह यह दिखाने के लिए आधार कार्ड का उपयोग कर सकता है कि वह वही है जो वह होने का दावा कर रहा है। आयोग ने कहा कि अनुच्छेद 326 के तहत पात्रता की जांच के लिए आधार के उपयोग पर प्रतिबंध हैं।