अमेठी: भारतीय सशस्त्र बलों को AK-203 असॉल्ट राइफलों का एक नया बैच जल्द मिलने वाला है, जो कलाश्निकोव सीरीज (Kalashnikov) का एक आधुनिक संस्करण है। यह राइफल एक मिनट में 700 राउंड तक फायर कर सकती है और इसकी मारक क्षमता 800 मीटर है।

इसका निर्माण उत्तर प्रदेश के अमेठी में हो रहा है। इस राइफल को भारत में 'शेर' नाम दिया गया है। इसका निर्माण इंडो-रशियन राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड (IRRPL) कर रही है। यह एक ज्वाइंट वेंचर है जिसकी स्थापना AK-203 राइफल के स्वदेशी उत्पादन के लिए की गई है।

5,200 करोड़ रुपये के अनुबंध के तहत, कंपनी को सशस्त्र बलों को छह लाख से अधिक राइफलों की आपूर्ति करनी है। IRRPL प्रमुख मेजर जनरल एसके शर्मा ने गुरुवार को कहा कि उनकी योजना दिसंबर 2030 तक आपूर्ति पूरी करने की है।

उन्होंने बताया कि अब तक लगभग 48,000 राइफलें वितरित की जा चुकी हैं। अगले दो से तीन हफ्तों में 7,000 और राइफलें सौंप दी जाएँगी। इस साल दिसंबर तक 15,000 अतिरिक्त राइफलें सौंप दी जाएँगी।

एके-203 'शेर' राइफल के बारे में जानिए

AK-203 राइफलें, AK-47 और AK-56 राइफलों की तुलना में काफी आधुनिक हैं। ये कलाश्निकोव सीरीज की सबसे घातक राइफलों में से एक हैं। सेना में AK-203 राइफलें असल में इंडियन स्मॉल आर्म्स सिस्टम (INSAS) राइफलों की जगह लेगी, जो तीन दशकों से भी ज्यादा समय से इस्तेमाल में हैं। इनमें 7.62x39 मिमी का कारतूस होता है, जबकि INSAS में 5.56x45 मिमी का कारतूस होता था।

एके-203 की मैगजीन में एक बार में तीस कारतूस डाले जा सकते हैं। इस राइफल को उग्रवाद-रोधी और आतंकवाद-रोधी अभियानों में भारतीय सेना की प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए विशेष तौर पर डिजाइन किया गया है। इसका वजन लगभग 3.8 किलोग्राम है, जबकि इंसास का वजन 4.15 किलोग्राम है।

'शेर' राइफलें बिना बटस्टॉक के 705 मिमी लंबी हैं, जबकि इंसास राइफलें 960 मिमी लंबी हैं। समय के साथ ये नियंत्रण रेखा और वास्तविक नियंत्रण रेखा सहित उत्तरी और पश्चिमी सीमाओं पर तैनात सैनिकों के लिए सबसे अहम असॉल्ट राइफल बन जाएँगी।