केरल में 60,000 पीएम किसान योजना का फायदा उठाने वाले अपात्रों से वसूली शुरू

राज्य सरकार ने अपात्र लाभार्थियों की पहचान और उनसे धन वसूली के लिए मानक संचालन प्रक्रिया तैयार की है।

एडिट
60,000 ineligible people are taking benefit of PM Kisan Yojana in Kerala now recovery will be done

pm kisan samman nidhi

तिरुवनंतपुरम: मोदी सरकार की ओर से किसानों को सालाना छह हजार रुपए की न्यूनतम आर्थिक मदद देने के उद्देश्य से शुरू की गई प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत केरल में 60 हजार से ज्यादा ऐसे लोग भी इसका लाभ ले रहे हैं, जो इसके लिए पात्र नहीं हैं।

इन अपात्रों में कई ऐसे लोग शामिल हैं, जो आयकरदाता और सरकारी कर्मचारी हैं। राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति (एसएलबीसी) के अनुसार, साल 2022 में जहां अपात्र लाभार्थियों की संख्या 31,416 थी, वह नवंबर 2024 तक दोगुनी होकर 60,687 हो गई है।

इसी दौरान राज्य में पात्र लाभार्थियों की संख्या 37.2 लाख से घटकर 28.1 लाख रह गई है।

पीएम किसान योजना के 36.40 करोड़ रुपए वसूलने का लक्ष्य

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार, केरल में अब तक अपात्र व्यक्तियों से 36.40 करोड़ रुपए वसूलने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन केवल 13.59 करोड़ रुपए ही वसूले जा सके हैं। राज्य के कृषि विभाग को अपात्र लाभार्थियों की पहचान करने और उनसे पैसे वसूलने की जिम्मेदारी दी गई है।

इस प्रक्रिया में कई पंचायतों में बाधाएं आ रही हैं, जहां स्थानीय राजनेताओं और पंचायत सदस्यों पर आरोप है कि वे इसे जानबूझकर धीमा कर रहे हैं। पंचायत स्तर के कार्यालय, जिन्हें कृषि भवन कहा जाता है, लाभार्थियों की जांच कर अपात्रों को सूची से हटाने का काम कर रहे हैं।

केरल कृषि विभाग से सूचना मिलने के बाद शुरू होगी वसूली की प्रक्रिया

एसएलबीसी के अधिकारियों ने बताया कि बैंक केवल कृषि विभाग से सूचना मिलने के बाद ही वसूली की प्रक्रिया शुरू कर सकते हैं। बैंक खातों में शेष धनराशि को रोकने और उसे निकालने के लिए एक स्वचालित प्रणाली मौजूद है, लेकिन इसके लिए सरकार से निर्देश प्राप्त होना आवश्यक है।

खबर में बताया गया है कि नाबार्ड द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार, केरल में केवल 18 प्रतिशत परिवार कृषि पर निर्भर हैं, जबकि राष्ट्रीय औसत 57 प्रतिशत है। यह दर अन्य राज्यों जैसे आंध्र प्रदेश में 53 प्रतिशत, असम में 67 प्रतिशत और मध्य प्रदेश में 64 प्रतिशत से काफी कम है।

राज्य सरकार ने अपात्र लाभार्थियों की पहचान और उनसे धन वसूली के लिए मानक संचालन प्रक्रिया तैयार की है। अधिकारियों का कहना है कि योजना के शुरुआती वर्षों में अधिकतम लोगों को कवर करने के प्रयास में कई अपात्र लोग भी इसका हिस्सा बन गए।

अब यह चुनौती है कि इन अपात्र लाभार्थियों को हटाकर योजना का लाभ सही पात्र व्यक्तियों तक पहुंचाया जाए।

यह भी पढ़ें
Here are a few more articles:
Read the Next Article