महाराष्ट्र में 59 बच्चों की तस्करी के आरोप में गिरफ्तार और जेल में रहे 5 मदरसा शिक्षकों के मामले में नया ट्विस्ट, जानिए क्या है पूरी कहानी

महाराष्ट्र के मनमाड और भुसावल में बच्चों की तस्करी के आरोप में पांच मदरसा शिक्षकों को पिछले साल 2024 के मई में गिरफ्तार किया गया था। अब इनके खिलाफ मामला मामला बंद कर दिया गया है।

GRP closes criminal cases against five madrassa teachers arrested for child trafficking (symbolic photo)

जीआरपी ने बच्चों की तस्करी के आरोप में गिरफ्तार पांच मदरसा शिक्षकों के खिलाफ आपराधिक मामले बंद किए (प्रतीकात्मक तस्वीर)

मुंबई: राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) ने महाराष्ट्र के मनमाड और भुसावल में बच्चों की तस्करी के आरोप में गिरफ्तार पांच मदरसा शिक्षकों के खिलाफ दो आपराधिक मामले अब बंद कर दिए हैं। इन पांच लोगों को कथित तौर पर बाल श्रम के लिए बिहार से महाराष्ट्र में 59 बच्चों की तस्करी के आरोप में मई 2023 में गिरफ्तार किया गया था। ये सभी चार हफ्ते के लिए जेल में भी रहे थे। जीआरपी अधिकारियों ने बताया कि मामला इस साल मार्च में बंद कर दिया गया था क्योंकि वे इस नतीजे पर पहुंचे कि एफआईआर 'गलतफहमी' के कारण दर्ज की गई थी।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार महानिदेशक (डीजी) रेलवे, महाराष्ट्र प्रदन्या सरवडे ने भी इसकी पुष्टि की है। मामले के अनुसार 30 मई, 2023 को बिहार के अररिया जिले के 8 से 17 साल के 59 बच्चे मदरसों में पढ़ाई करने के लिए पुणे और सांगली के लिए ट्रेन में यात्रा कर रहे थे। दिल्ली में किशोर न्याय बोर्ड और रेलवे बोर्ड से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी की सूचना पर कार्रवाई करते हुए रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) ने एक एनजीओ के साथ मिलकर भुसावल और मनमाड स्टेशनों पर बच्चों को 'बचाया'।

मदरसा शिक्षकों के पास नहीं थे दस्तावेज

ट्रेन से उतारने के बाद बच्चों को 12 दिनों के लिए नासिक और भुसावल के आश्रय गृहों में रखा गया। अधिकारियों को संदेह था कि बाल श्रम के लिए इनकी तस्करी की जा रही है। हालांकि, आखिरकार नाराज माता-पिता ने बच्चों को वापस करने की मांग की और फिर नासिक जिला प्रशासन बाद में उन्हें वापस बिहार ले गया।

आरपीएफ अधिकारियों ने दावा किया था कि बच्चों के साथ आए पांचों मदरसा प्रतिनिधि अपनी यात्रा के लिए पर्याप्त दस्तावेज उपलब्ध नहीं करा सके थे। इसके कारण भारतीय दंड संहिता की धारा 370 (व्यक्तियों की तस्करी) और 34 (सामान्य इरादा) के तहत एफआईआर दर्ज की गई।

जांच में क्या बातें आई सामने?

गिरफ्तार किए गए लोगों में सांगली के रहने वाले मोहम्मद अंजुर आलम मोहम्मद सैयद अली (34), अररिया निवासी सद्दाम हुसैन सिद्दीकी (23) सहित नोमान आलम सिद्द-इकी (28), इजाज जियाबुल सिद्दीकी (40), और मोहम्मद शाहन-अवाज हारून (22) शामिल थे। इन सभी पर मानव तस्करी का आरोप था। जांच के दौरान, जीआरपी अधिकारियों ने अररिया का दौरा किया और आरोपियों और बच्चों की पहचान की पुष्टि की। उन्होंने उस मदरसे का भी निरीक्षण किया जहां बच्चों को ले जाया जाना था।

मनमाड जीआरपी के इंस्पेक्टर शरद जोगदंड ने बताया कि उचित सत्यापन के बाद ये साफ हुआ कि कोई मानव तस्करी नहीं हुई थी और अदालत में क्लोजर रिपोर्ट दायर की गई। वहीं, भुसावल जीआरपी के इंस्पेक्टर विजय घेराडे ने भी कहा कि उन्होंने भी अदालत में क्लोजर रिपोर्ट दी है।

बहरहाल, मामले में तथ्य सामने आने के बाद पुलिस पर उठ रहे सवालों के बीच जीआरपी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने अपनी कार्रवाई का बचाव करते हुए कहा, 'हमने आरपीएफ अधिकारियों और गैर सरकारी संगठनों की शिकायतों के आधार पर एफआईआर दर्ज की थी। हम 59 बच्चों की संदिग्ध मानव तस्करी के आरोप पर एफआईआर दर्ज करने से इनकार नहीं कर सकते थे। एक बार जब हम आश्वस्त हो गए कि कोई अपराध नहीं हुआ है, तो हमने सभी आरोप हटा दिए।'

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