नई दिल्लीः पिछले 18 महीनों में, छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बलों ने नक्सल विरोधी अभियानों में बड़ी सफलता हासिल की है। अधिकारियों ने शनिवार को बताया कि इन अभियानों में 435 माओवादियों को मार गिराया गया, जिनमें रिकॉर्ड 48 महिला नक्सली भी शामिल हैं।
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस द्वारा प्राप्त आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 2024 से 20 जून 2025 के बीच मारे गए कुल माओवादियों में से लगभग 10% महिलाएं हैं। 2001 के बाद से किसी भी ऐसी अवधि में महिला नक्सलियों के हताहत होने की यह सबसे अधिक संख्या है। अकेले 2025 में 198 माओवादी मारे गए हैं, जो इस क्षेत्र में वामपंथी उग्रवाद (LWE) के लिए एक महत्वपूर्ण झटका है।
महिलाओं की जबरन भर्ती और शोषण
एक वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी के अनुसार, CPI (माओवादी), जो गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत प्रतिबंधित संगठन है, सालों से महिलाओं और नाबालिग लड़कियों को जबरन संगठन में शामिल करता रहा है। अधिकारी ने बताया कि “इन्हें भावनात्मक, सामाजिक और मानसिक रूप से भ्रमित कर भर्ती किया जाता है, जिससे वे अपने भविष्य के फैसले खुद नहीं ले पातीं। संगठन में शामिल होने के बाद भी महिलाओं को नेतृत्व की भूमिका नहीं दी जाती, बल्कि मुठभेड़ों में उन्हें मानव ढाल और पैदल सैनिक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।”
आत्मसमर्पण और गिरफ्तारियों में भी तेजी
उसी अवधि (18 महीने) में 1,457 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया, जबकि 1,469 को गिरफ्तार किया गया। अधिकारियों का कहना है कि ये संख्या न केवल अभियान की सफलता को दर्शाती है, बल्कि यह भी इंगित करती है कि स्थानीय आबादी का झुकाव अब माओवादियों से दूर हो रहा है।
नक्सल प्रभावित इलाकों में बदला माहौल
सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि सरकार की पुनर्वास नीति, इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास और स्थायी सुरक्षा दबाव ने नक्सल संगठन को भीतर से कमजोर किया है। एक अधिकारी ने कहा कि “लोग अब मुख्यधारा में लौटने को इच्छुक हैं, क्योंकि उन्हें सरकार से रोजगार, सुरक्षा और भविष्य की उम्मीदें दिख रही हैं।”