चंडीगढ़ः सियासी संकट का सामना कर रही हरियाणा की मौजूदा नायब सिंह सैनी सरकार के खिलाफ कांग्रेस ने अपनी घेरेबंदी तेज कर दी है। शुक्रवार को राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय को दो पन्नों के ज्ञापन में कांग्रेस ने सैनी सरकार को बर्खास्त करने की मांग की है। कांग्रेस ने ज्ञापन में राज्यपाल से राज्य में राष्ट्रपति शासन के तहत नए सिरे से चुनाव कराने को कहा है। कांग्रेस ने कहा है कि यह बिल्कुल स्पष्ट है कि राज्य सरकार अल्पमत में है।
पिछले दिनों तीन निर्दलीय विधायकों ने सैनी सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था। उन्होंने कहा कि वे अपना समर्थन कांग्रेस को देंगे। इसके बाद से ही मौजूदा सरकार पर खतरे के बादल मंडराने लगे। कांग्रेस ने राज्यपाल से तत्काल मौजूदा सरकार को बर्खास्त की मांग की है।
कांग्रेस के चीफ व्हिप बीबी बत्रा और सदन के उपनेता आफताब अहमद शुक्रवार को ज्ञापन देने राजभवन पहुंचे लेकिन राज्यपाल से मुलाकात नहीं हो पाई। उन्होंने राज्यपाल के सचिव को अपना ज्ञापन सौंप अल्पमत की सरकार को बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की।
निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू ने भी राज्यपाल को लिखा पत्र
कांग्रेस ने कहा कि तीन विधायकों के अलावा, एक अन्य निर्दलीय विधायक, बलराज कुंडू ने भी राज्यपाल को पत्र लिखकर राष्ट्रपति शासन की मांग की है। महम के विधायक कुंडू ने कुछ साल पहले अपना समर्थन वापस ले लिया था। उन्होंने तत्कालीन सीएम खट्टर पर आरोप लगाया था एक भ्रष्ट प्रशासन का नेतृत्व कर रहे हैं। कुंडू ने सैनी सरकार के अल्पमत में होने की बात कहते हुए राज्यपाल से फ्लोर टेस्ट का आह्वान किया।
दुष्यंत सिंह चौटाला का उल्टा पड़ा दांव, पार्टी में फूट की आशंका!
इधर, पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत सिंह चौटाला द्वारा राज्यपाल को पत्र लिखकर फ्लोर टेस्ट की मांग को लेकर उनकी पार्टी में विरोध शुरू हो गया है। द न्यू इंडियन एक्सप्रेस ने दुष्यन्त चौटाला के एक नेता के हवाले से लिखा है कि जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) में विभाजन की आशंका है क्योंकि पार्टी के 10 विधायकों में से लगभग आधे पार्टी की लाइन पर नहीं चल रहे हैं।
जेजेपी विधायक देवेंदर सिंह बबली ने पार्टी नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत सिंह चौटाला को चेतावनी दी है कि उन्हें जेजेपी को पारिवारिक पार्टी नहीं मानना चाहिए। बबली ने शिकायत की कि राज्यपाल को पत्र लिखने और फ्लोर टेस्ट की मांग करने से पहले चौटाला ने विधायकों से सलाह नहीं ली। टोहाना विधायक ने कहा कि पार्टियां लोकतांत्रिक व्यवस्था के अनुसार काम करती हैं। उन्हें (दुष्यंत) इसे अपनी पारिवारिक पार्टी नहीं मानना चाहिए क्योंकि 2019 के विधानसभा चुनावों में उनके और उनकी मां के अलावा आठ अन्य नेता चुने गए थे।
दुष्यंत सिंह चौटाला के 3 विधायकों ने की खट्टर से मुलाकात
राजनीतिक संकट के बीच जेजेपी के तीन विधायक-देवेंद्र सिंह बबली, जोगी राम सिहाग और रामनिवास सुरजाखेड़ा ने गुरुवार शाम को पानीपत में पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर से मुलाकात की। बैठक के बाद ढांडा ने दावा किया कि इस मुलाकात का राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है। खट्टर ने दावा किया कि कई विधायक भाजपा के संपर्क में हैं और चिंता की कोई बात नहीं है। उन्होंने कहा, ‘उनका अंकगणित वैसा नहीं है जैसा वे सोच रहे हैं। भाजपा के कई जेजेपी और कांग्रेस विधायकों के साथ व्यक्तिगत संबंध हैं। खट्टर ने कहा, अगर विपक्ष अपने सभी विधायकों को संभाल भी ले तो भी यह बड़ी बात होगी।
कांग्रेस का दावा- 45 विधायक सैनी सरकार के खिलाफ
कांग्रेस ने अपने ज्ञापन में कहा कि 90 सीटों वाली विधानसभा में 45 सदस्य सत्तारूढ़ खेमे के विरोध में हैं, जिनमें उनके 30, जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के 10 और इंडियन नेशनल लोकदल (आईएनएलडी) का एक सदस्य और चार निर्दलीय शामिल हैं। दूसरी ओर भाजपा के पास 40 सदस्य हैं। और उसे दो निर्दलीय और हरियाणा लोकहित पार्टी (एचएलपी) के गोपाल कांडा का समर्थन प्राप्त है। 90 सीटों वाले सदन की वर्तमान ताकत 88 है क्योंकि पूर्व सीएम खट्टर और मौजूदा सरकार में मंत्री रणजीत चौटाला ने भाजपा द्वारा मैदान में उतारे जाने के बाद लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए सदन से इस्तीफा दे दिया है।
कांग्रेस के दावे पर मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने क्या कहा?
कांग्रेस के दावे के बीच मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि विपक्ष लोगों को गुमराह कर रहा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को राज्यपाल को विपक्ष का समर्थन करने वाले विधायकों की संख्या के बारे में जानकारी देनी चाहिए। उन्होंने मार्च में जीते गए फ्लोर टेस्ट को भी याद किया। सैनी ने कहा, आप दुष्यन्त चौटाला से पूछिए कि उनके पास कितने विधायक हैं। वहीं हिसार से भाजपा उम्मीदवार रणजीत सिंह चौटाला ने कहा, ”लोग तब चले जाते हैं जब उन्हें पता चलता है कि उन्हें चुनाव के लिए टिकट नहीं मिलेगा। कई लोग हमारे साथ भी आएंगे।
मार्च में जेजेपी ने अपना समर्थन वापस ले लिया था
अक्टूबर 2019 के विधानसभा चुनावों में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। इसके बाद इसने जेजेपी से हाथ मिला लिया। मनोहर लाल खटटर दूसरी बार मुख्यमंत्री बने और दुष्यन्त चौटाला उपमुख्यमंत्री। हालाँकि, इस साल मार्च में दोनों ने अपने-अपने रास्ते अलग कर लिए। बीते मंगलवार तीन निर्दलीय विधायकों- सोमबीर सांगवान, रणधीर गोलेन और धर्मपाल गोंदर द्वारा अपना समर्थन वापस लेने के बाद सैनी सरकार संकट में आई गई है। विधायकों ने ऐलान किया कि वे लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए प्रचार करेंगे। संकट शुरू होने के एक दिन बाद बुधवार को चौटाला ने कहा कि अगर कांग्रेस इस सरकार को गिराना चाहती है तो वह उसका समर्थन करेंगे।