किसी भी चुनाव में उम्मीदवार की साख के साथ ही उसकी जमानत राशि भी दांव पर लगी होती है। यदि कोई उम्मीदवार कुल वैध वोटों का कम से कम छठा हिस्सा (1/6) हासिल करने में विफल रहता है, तो उसकी जमानत जब्त कर ली जाती है। 2019 के लोकसभा चुनाव में पूर्वांचल की सभी 13 लोकसभा सीटों पर 208 उम्मीदवारों से 182 की जमानत जब्त हो गई थी। केवल 26 प्रत्याशी ही जमानत राशि बचाने में कामयाब हुए थे।
पूर्वांचल की अहम सीट वाराणसी की बात करें तो यहां 31 में से सबसे ज्यादा 29 लोगों की जमानत जब्त हुई थी। जमानत जब्त होने वालों में कांग्रेस के अजय राय भी थे जो तीसरे नंबर पर थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस सीट से जीत हासिल की थी। सपा-बसपा गठबंधन की प्रत्याशी शालिनी यादव दूसरे नंबर पर थीं।
बलिया में 11 उम्मीदवार मैदान में थे जिनमें से 9 की जमानत जब्त हो गई थी। बलिया में भाजपा के विजेंद्र सिंह व सपा के सनातन पांडेय ही अपनी जमानत बचाने में सफल रहे थे। गाजीपुर की बात करें तो 15 में से 13 लोगों की जमानत नहीं बची थी। यहां भाजपा के मनोज सिन्हा और सपाा-बसपा गठबंधन प्रत्याशी अफजल अंसारी ही अपनी जमानत बचा पाए थे। अफजाल अंसारी ने यहां से जीत हासिल की थी।
आजमगढ़ में भी सिर्फ दो उम्मीदवारों की ही जमानत बची थी। यहां 16 में से 14 की जमानत जब्त हो गई थी। आजमगढ़ में सपा प्रमुख अखिलेश यादव और भाजपा के दिनेश लाल यादव निरहुआ की जमानत बची थी। अखिलेश यादव यहां से सांसद चुने गए थे।
चंदौली में भाजपा के डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय और सपा के संजय चौहान की जमानत सुरक्षित रही थी। चंदौली में 14 में से 12 की जमानत नहीं बची थी। इसी तरह जौनपुर में बसपा के श्याम सिंह यादव और भाजपा के केपी सिंह, मिर्जापुर में सपा के सुन्नम इस्तारी और अपना दल की अनुप्रिया पटेल, भदोही में बसपा के रंगनाथ मिश्रा और भाजपा के रमेश चंद्र की जमानत बची थी। वहीं, मछलीशहर में बसपा के त्रिभुवन राम और भाजपा के भोलानाथ की ही जमानत बची थी। मछली शहर में 16 में से 14 की जमानत जब्त हो गई थी।
राबर्ट्सगंज में 13 में से 11 , सलेमपुर में 16 में से 14, घोसी में 16 में से 14 और लालगंज सीट पर 16 में से 14 की जमानत जब्त हो गई थी। लालगंज सीट पर बसपा की संगीता आजाद व भाजपा की नीलम सोनकर ही अपनी जमानत बचा सकी थीं। घोसी सीट पर भाजपा के हरिनारायण और बसपा के अतुल कुमार सिंह की जमानत सुरक्षित बची थी।
देखें आंकड़े-
लोकसभा सीट | कुल प्रत्याशी | जमानत जब्त |
---|---|---|
वाराणसी | 31 | 29 |
बलिया | 11 | 9 |
गाजीपुर | 15 | 13 |
आजमगढ़ | 16 | 14 |
चंदौली | 14 | 12 |
जौनपुर | 21 | 19 |
राॅबर्ट्सगंज | 13 | 11 |
मिर्जापुर | 10 | 08 |
मछलीशहर | 16 | 14 |
सलेमपुर | 16 | 14 |
लालगंज | 16 | 14 |
भदोही | 13 | 11 |
घोसी | 16 | 14 |
क्यो होती है जमानत राशि?
चुनाव लड़ने की प्रक्रिया में जमानत राशि काफी अहम होती है। उम्मीदवार को नामांकन पत्र के दौरान चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित एक निश्चित राशि जमा करनी होती है जिसे जमानत राशि कहा जाता है। यह राशि यह सुनिश्चित करने के लिए जमा की जाती है कि उम्मीदवार गंभीर हैं और चुनाव लड़ने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उम्मीदवारों को चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित अंतिम तारीख तक अपनी जमानत राशि जमा करनी होती है। यदि उम्मीदवार निर्धारित समय सीमा से पहले जमा नहीं करता है, तो उसके उम्मीदवारी को रद्द किया जा सकता है।
लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव के लिए जमानत राशि
- लोकसभा चुनाव: सामान्य सीट के लिए ₹25,000 और अनुसूचित जाति/जनजाति के लिए ₹12,500
- विधानसभा चुनाव: सामान्य सीट के लिए ₹10,000 और अनुसूचित जाति/जनजाति के लिए ₹5,000
कब जब्त होती है जमानत राशि?
यदि कोई उम्मीदवार निर्वाचन क्षेत्र में डाले गए कुल वैध वोटों का कम से कम छठा हिस्सा (1/6) हासिल करने में विफल रहता है, तो उसकी जमानत जब्त कर ली जाती है। यह नियम लोकसभा (लोकसभा) चुनावों के साथ-साथ राज्य विधानसभा चुनावों पर भी लागू होता है। मान लीजिए किसी सीट पर 1 लाख वोट डाले गए हैं और किसी उम्म्मीदवारो को 16,666 वोट से कम प्राप्त होते हैं तो उसकी जमानत जब्त हो जाती है।
कब वापस होती है जमानत राशि?
कोई उम्मीदवार जब 1/6 से ज्यादा वोट हासिल होते हैं तो उसकी जमानत राशि लौटा दी जाती है। जीतने वाले उम्मीदवार को भी उसकी रकम वापस कर दी जाती है, भले ही उसे 1/6 से कम वोट मिले हों। अगर मतदान शुरु होने से पहले किसी उम्मीदवार की मौत हो जाती है, तो उस स्थिति में भी उसके परिजनों को रकम लौटा दी जाती है।