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शनिवार और रविवार की दरम्यानी रात उन्हें कथित तौर पर तीन घंटे तक खड़ा रखा गया, जिससे उनकी तबीयत बिगड़ी और बाद में मौत हो गई।
अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, सुरेंद्रनगर जिले के जेसदा गांव के रहने वाले अनिल को शनिवार रात साढ़े आठ बजे छात्रावास के कॉमन रूम में परिचय सत्र के नाम पर बुलाया गया था।
सीनियर छात्रों ने उन्हें लगातार खड़े रहने, गाने और नाचने के लिए मजबूर किया था। इस दौरान अनिल बेहोश हो गए और अगले दिन उनकी मृत्यु हो गई।
मेडिकल कॉलेज की एंटी-रैगिंग कमेटी ने की कार्रवाई
घटना से मेडिकल कॉलेज में खलबली मच गई। कॉलेज की एंटी-रैगिंग कमेटी ने इस मामले की पूरी तरह से जांच पड़ताल की। 26 गवाहों से पूछताछ के बाद कमेटी ने 15 सीनियर छात्रों को दोषी पाया। इन छात्रों को तुरंत निलंबित कर दिया गया और पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई है।
अखबार के अनुसार, पुलिस ने 15 सीनियर छात्रों पर गैर इरादतन हत्या, बंधक बनाने और अवैध रूप से जुटने जैसी धाराओं में केस दर्ज किया है। बलिसाना थाने के इंस्पेक्टर पी. जे. सोलंकी ने बताया कि आरोपियों को जल्द गिरफ्तार किया जाएगा।
घटना के बाद कॉलेज में गम और गुस्से का माहौल है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने कॉलेज प्रशासन के खिलाफ धरना प्रदर्शन किया और आरोपियों को कड़ी सजा देने की मांग की।
प्रशासन पर शिकायत को नजरअंदाज करने के लगे आरोप
खबर के मुताबिक, एफआईआर में आरोपियों की पहचान अवधेश अशोक पटेल, हिरेन मनसुख प्रजापति, तुषार पीरा गोहेलकर, प्रकाश माधा देसाई, जैमिन सवजी चौधरी, प्रवीण वरजंग चौधरी, विवेक गमन रबारी, रुत्विक पुरषोत्तम लिंबडिया, मेहुल प्रताप देधातर, सुरजल रुदा बलदानिया, हरेश गंभीर चावड़ा, वैभवकुमार विकासकुमार रावल, पराग भरत कलसारिया, उत्पल शैलेश वसावा और विशाल लगधीर चौधरी के रूप में की गई है।
अनिल की मौत ने कॉलेजों में रैगिंग की भयावहता को फिर से उजागर कर दिया है। प्रशासन से सवाल उठ रहे हैं कि क्यों समय रहते रैगिंग की शिकायतों पर ध्यान नहीं दिया गया। इस दर्दनाक घटना ने एक बार फिर से रैगिंग के खिलाफ सख्त कानूनों और जागरूकता अभियानों की आवश्यकता को रेखांकित किया है।