नई दिल्ली: राजस्थान का कोटा ‘छात्रों की आत्महत्या’ के लिए अक्सर बदनाम होता रहा है। हालांकि, आंकड़े बताते हैं कि 2013 से 2022 तक 10 साल की अवधि के दौरान देश भर के कई राज्यों में राजस्थान की तुलना में कहीं अधिक छात्रों ने आत्महत्याएं की हैं।
न्यूज-18 की एक रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के 2013 से 2022 तक के बीच के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि भारत ने इन 10 सालों में कुल 1.03 लाख युवाओं को खो दिया। इसमें 55,842 पुरुष या लड़के और 48,116 महिलाएं या लड़कियां शामिल हैं।
रिपोर्ट के अनुसार महिलाओं में गृहिणियों के बाद सबसे अधिक आत्महत्या करने वाली श्रेणी में विद्यार्थी हैं। इसके अलावा कुल आत्महत्याओं में जहां पुरुष और महिला के बीच अंतर अधिक है, वहीं छात्र-छात्राओं के बीच यह बहुत कम है।
पूरे भारत में 2013 और 2022 के बीच 14.22 लाख आत्महत्याएं हुईं हैं। इसमें 4.33 लाख महिलाएं हैं, जो कि कुल आंकड़ों का लगभग 30 प्रतिशत है। विद्यार्थियों में आत्महत्या से होने वाली मौतों में 46 प्रतिशत से अधिक महिलाएं शामिल हैं। साल 2022 में भारत में कुल 48172 महिलाओं ने आत्महत्या की। इसमें भी सबसे बड़ी संख्या (25,309) गृहणियों की थी। इसके बाद छात्राओं (6,113) और दिहाड़ी मजदूरी करने वाली महिलाओं (3,752) का स्थान है।
पुरुषों की स्थिति क्या है?
हालांकि, पुरुषों के मामले में स्थिति अलग है। साल 2022 में 1.22 लाख पुरुषों ने आत्महत्या की। इसमें दैनिक मजदूरों (41,433) की संख्या सबसे अधिक रही। इसके बाद स्व-रोजगार वाले व्यक्ति (18,357) और पेशेवर/वेतनभोगी व्यक्ति (14,395) थे। इसके अलावा कुल 6,930 छात्रों ने आत्महत्या की।
साल 2013 में पूरे भारत में 8423 विद्यार्थियों ने आत्महत्या की थी। इनमें 4,634 पुरुष और 3,789 महिलाएं शामिल हैं। वहीं, 2022 में कुल विद्यार्थियों में आत्महत्या की संख्या लगभग 55 प्रतिशत बढ़कर 13,044 हो गई। छात्राओं के मामले में संख्या में उछाल अधिक है। यह 61 प्रतिशत बढ़कर 6,113 हो गया जबकि 2013 के मुकाबले 2022 में छात्रों की आत्महत्याओं में 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई और यह संख्या 6,930 हो गई है।
हर दिन 35 विद्यार्थी कर रहे खुदकुशी!
आंकड़े बताते हैं कि 2013 में जहां लगभग प्रति दिन औसतन 23 विद्यार्थी आत्महत्या कर रहे थे, 2022 में बढ़कर ये 36 हो गई। यही नहीं, साल 2018 के बाद से हर साल 10,000 से अधिक विद्यार्थी आत्महत्या कर रहे है। 2020, 2021 और 2022 में (तीन साल मिलाकर) कुल 38,659 विद्यार्थियों की आत्महत्या से मृत्यु हुई है। इसके मायने ये हुए कि हर दिन लगभर 35 छात्र-छात्राओं ने खुदकुशी की। 2022 के आंकड़ों के विश्लेषण से यह भी पता चला कि तमिलनाडु, गुजरात और छत्तीसगढ़ में छात्राओं की आत्महत्या की संख्या पुरुषों से अधिक है। बाकी राज्यों में आत्महत्या करने वाले छात्रों की संख्या छात्राओं से अधिक है।
स्टूडेंट सुसाइड में महाराष्ट्र 2013 से टॉप पर
आंकड़ों के अनुसार महाराष्ट्र 2013 से लगातार विद्यार्थियों के लिए सबसे ज्यादा आत्महत्याओं वाला राज्य रहा है। राज्य में 2013 से 1,000 से अधिक ऐसे मामले दर्ज हो रहे हैं। साल 2019 तक तो महाराष्ट्र एकमात्र राज्य था जहां से सालाना 1,000 से अधिक छात्र-छात्राओं की आत्महत्या की बात सामने आती थी। हालांकि, 2020 में इसमें मध्य प्रदेश (1,158) और ओडिशा (1,469) जैसे राज्य भी शामिल हो गए।
साल 2022 में महाराष्ट्र 1764 छात्र-छात्राओं की आत्महत्याओं के साथ शीर्ष पर रहा। तमिलनाडु 1,416 मामलों के साथ दूसरे और मध्य प्रदेश 1,340 आत्महत्याओं के साथ तीसरे स्थान पर रहा। उत्तर प्रदेश भी 2022 में 1,060 मामलों के साथ 1,000 से अधिक आत्महत्याओं की सूची में शामिल हो गया।
एक अहम बात ये भी है कि साल 2022 में 571 आत्महत्याओं के साथ राजस्थान सूची में काफी नीचे था। इसके अलावा लक्षद्वीप भारत का एकमात्र स्थान था जहां से 2022 में किसी भी विद्यार्थी के आत्महत्या का मामला सामने नहीं आया।