नई दिल्ली: भारत सरकार ने अमेरिकी आयोग की अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता (यूएससीआईआरएफ) की नई रिपोर्ट को सिरे से खारिज कर दिया है। सरकार ने इस रिपोर्ट का हलावा देते हुए संगठन को पक्षपातपूर्ण और राजनीति से प्रेरित बताया है।
आयोग की इस रिपोर्ट में भारत में धार्मिक स्वतंत्रता के कथित उल्लंघन को लेकर उसकी आलोचना की गई है। इस रिपोर्ट में भारत में धार्मिक स्वतंत्रता में गिरावट दर्ज होने का आरोप लगाया गया है। यही नहीं आयोग द्वारा भारत को ‘विशेष चिंता का देश’ में रखने की मांग की गई है।
आयोग की रिपोर्ट पर विदेश मंत्रालय ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने संगठन पर भारत को लेकर गलत तथ्य पेश कर देश की छवि को खराब करने का आरोप लगाया है। मंत्रालय ने संगठन को यह भी सलाह दी है कि उन्हें अपने समय का बेहतर से इस्तेमाल करते हुए अमेरिका में मानवाधिकारों के मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए।
रिपोर्ट में क्या कही गई है
दरअसल, भारत में धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर अमेरिकी आयोग द्वारा दो अक्टूबर को एक रिपोर्ट पेश की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों को लेकर झूठी बातें फैलाई गई है।
यही नहीं रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इसके आधार पर उन पर हमले भी किए गए हैं। आयोग की रिपोर्ट में भारत में अल्पसंख्यकों के धार्मिक स्थलों को भी निशाना बनाने का जिक्र किया गया है।
संगठन द्वारा रिपोर्ट में कहा गया है, ‘यह रिपोर्ट इस बात पर जोर देती है कि किस तरह 2024 के दौरान लोगों को विजिलेंट ग्रुपों द्वारा मारा गया, पीटा गया और लिंच किया गया, धार्मिक नेताओं को मनमाने ढंग से गिरफ्तार किया गया और घरों और पूजा स्थलों को ध्वस्त किया गया। ये घटनाएं धार्मिक स्वतंत्रता का विशेष रूप से गंभीर उल्लंघन हैं।’
विदेश मंत्रालय ने क्या कहा है
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने कहा है कि सरकार द्वारा आयोग की रिपोर्ट को “दुर्भावनापूर्ण” बताकर इसे खारिज किया गया है। उन्होंने भारत को लेकर तथ्यों को गलत तरीके से पेश के लिए रिपोर्ट की आलोचना की है। यही नहीं उन्होंने इसे राजनीति से प्रेरित नैरेटिव को बढ़ावा देने वाला रिपोर्ट बताया है।
इस पर बोलते हुए जायसवाल ने कहा, ‘अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर संयुक्त राज्य आयोग पर हमारे विचार सर्वविदित हैं। यह एक पक्षपाती संगठन है जिसका राजनीतिक एजेंडा है।’ जायसवाल ने आगे कहा, ‘हम इस दुर्भावनापूर्ण रिपोर्ट को खारिज करते हैं, जो यूएससीआईआरएफ को और बदनाम करने का ही काम करती है।’
संगठन के रिपोर्ट की पहले भी हो चुकी आलोचना
रिपोर्ट को रणधीर जयसवाल ने एजेंडा से प्ररित बताया है। उन्होंने संगठन को अमेरिका के भीतर मानवाधिकार मुद्दों को संबोधित करने की सलाह दी है। बता दें कि यह पहली बार नहीं है जब भारत ने संगठन के रिपोर्ट की आलोचना और विरोध किया है।
इससे पहले मई में भी यूएससीआईआरएफ की एक रिपोर्ट सामने आई थी जिस पर विदेश मंत्रालय ने प्रतिक्रिया दी थी। मंत्रालय ने कहा था कि संगठन भारत की विविधता और लोकतांत्रिक मूल्यों को कभी समझ नहीं सकता है। वह केवल भारत के चुनाव प्रक्रिया में दखल देना चाह रहा है जो कभी कामयाब नहीं होगी।