नई दिल्ली: केरल में दो आईएएस अधिकारियों का निलंबन चर्चा में है। केरल की पिनाराई विजयन सरकार ने केरल उद्योग और वाणिज्य निदेशक के गोपालकृष्णन और कृषि विभाग के विशेष सचिव एन प्रशांत को सोमवार (11 नवंबर) को निलंबित कर दिया। दोनों अधिकारी हाल के दो विवादों के केंद्र में थे।
इनमें से एक साल 2013 बैच के अधिकारी गोपालकृष्णन इस महीने कथित तौर पर धर्म के आधार पर एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाने और इसमें अन्य अधिकारियों को जोड़ने के आरोप के बाद विवादों में फंस गए थे। वहीं, 2017 बैच के अधिकारी प्रशांत ने सोशल मीडिया पर एक दूसरे आईएएस अधिकारी- अतिरिक्त मुख्य सचिव ए जयतिलक के खिलाफ पोस्ट करने के बाद विवादों में हैं।
ऐसे में सवाल है कि किसी आईएएस अफसर को निलंबित करने का क्या मतलब होता है? आईएएस अधिकारी को निलंबित करने का अधिकार किसके पास होता है? क्या आईएएस अधिकारी को निलंबित करने से उनकी नौकरी तत्काल चली जाती है या फिर आगे क्या होता है? इसे लेकर क्या नियम है, आईए जानते हैं।
कौन कर सकता है IAS को निलंबित?
नियमों के अनुसार आईएएस अधिकारी जिस सरकार के लिए काम करते हैं, उन्हें उसे सस्पेंड करने का अधिकार होता है। उदाहरण के लिए अगर वे केंद्र सरकार के लिए काम कर रहे तो भारत सरकार या फिर किसी राज्य सरकार के लिए काम कर रहे हैं तो राज्य की सरकार के पास निलंबन का अधिकार होता है। निलंबन या सस्पेंड करने का मतलब नौकरी जाना नहीं है। इस स्तर के अधिकारी को केवल राष्ट्रपति ही बर्खास्त कर सकते हैं, जिसके बाद उसकी नौकरी खत्म मानी जाएगी।
राज्य सरकार अगर आईएएस जैसे किसी ऑल इंडिया सर्विस अधिकारी को सस्पेंड करती है तो उन्हें 48 घंटे के अंदर भारत को इसकी जानकारी देनी होती है। साथ ही कैडर कंट्रोलिंग अथॉरिटी को भी इसकी जानकारी दी जाती है। निलंबन की कॉपी और किस वजह से उस अधिकारी को सस्पेंड किया गया, ये पूरी डिटेल कैडर कंट्रोलिंग अथॉरिटी 48 घंटे के अंदर देनी होती है।
इसके अलावा अखिल भारतीय सेवा (IAS, IPS, IFoS) के किसी सदस्य को किसी अपराध के आरोप या अन्य मामले में आधिकारिक हिरासत में 48 घंटे से अधिक रखा जाता है तो संबंधित सरकार द्वारा उसे निलंबित किया हुआ माना जाएगा। इसके बाद 15 दिनों के अंदर निलंबन की एक विस्तृत रिपोर्ट केंद्र को भेजी जाती है।
राज्य सरकार 30 दिन के लिए कर सकती है निलंबित
कोई राज्य सरकार किसी आईएएस या ऑल इंडिया सर्विस से जुड़े अधिकारी को निलंबित करती है तो यह केवल 30 दिनों के लिए मान्य होता है। अगर निलंबन को आगे बढ़ाना है तो इसके लिए केंद्र सरकार की मंजूरी जरूरी होती है। ऑल इंडिया सर्विसेस (डिसिप्लीन एंड अपील) नियम-1969 के अनुसार केंद्र मंजूरी देता है तो यह निलंबन 120 दिन तक मान्य रह सकता है। इसे राज्य या केंद्र की सिफारिश पर 180 दिन के लिए भी बढ़ाया जा सकता है।
इसके अलावा केंद्र सरकार के तहत काम करने वाले आईएएस अधिकारी को केवल सेंट्रल रिव्यू कमिटी की अनुशंसा पर ही निलंबित किया जा सकता है। इसके लिए केंद्रीय मंत्रालय की ओर से अधिकारी के निलंबन के लिए सिफारिश भेजी जाती है। इसमें मंत्रायल या उक्त विभाग के प्रभारी मंत्री की भी मंजूरी होती है।
यहां ये भी जानना जरूरी है कि भ्रष्टाचार के आरोपों के अलावा अन्य मामलों में निलंबन की अवधि एक वर्ष से अधिक नहीं हो सकती है। हालांकि, केंद्रीय समीक्षा की सिफारिशों के आधार पर इसे एक वर्ष से अधिक समय तक भी जारी रखा जा सकता है। ऐसे ही भ्रष्टाचार के आरोप में निलंबित सदस्य के निलंबन की अवधि दो वर्ष से अधिक नहीं होना चाहिए लेकिन इसे भी सेंट्रल रिव्यू कमिटी की अनुशंसा पर आगे जारी रखा जा सकता है।
निलंबित अधिकारी की सैलरी?
किसी आईएएस अधिकारी को कई कारणों से निलंबित किया जा सकता है। इसमें भ्रष्टाचार के आरोप, अवज्ञा, कदाचार, सौंपे गए कर्तव्यों को निभाने में अक्षमता आदि वजह शामिल हैं। कई बार निलंबन की अवधि आईएएस अधिकारी के खिलाफ लगे आरोपों पर निर्भर करती है। वैसे आईएएस अधिकारी द्वारा प्रारंभिक जांच या आरोपों के स्पष्टीकरण के बाद 6 महीने के भीतर निलंबन वापस लिया जा सकता है।
आईएएस अधिकारी को निलंबन अवधि के दौरान निर्वाह वेतन यानी उनके वेतन का कम से कम 50% मिलता है। निलंबन आदेश के बावजूद कर्मचारी को जांच पूरी होने तक सरकारी सेवक ही माना जाता है। अधिकारी के निलंबन अवधि के दौरान कर्मचारी को एक भत्ता दिया जाता जिसे निलंबन भत्ता कहा जाता है। हालाँकि, निलंबन भत्ता वेतन से कम होता है। इसके अलावा, आईएएस अधिकारी को पूछताछ या जांच की अवधि के दौरान शहर, कस्बे या देश छोड़ने की अनुमति नहीं होती है।
निलंबन मतलब नौकरी जाना नहीं
अनुच्छेद-311 के अनुसार किसी आरोप के तुरंत बाद अधिकारी को उसके पद से बर्खास्त नहीं किया जा सकता है। हालांकि, आरोपों की विस्तृत जांच और निलंबित अधिकारी को बेगुनाही साबित करने का प्रयाप्त अवसर दिए जाने के बाद आए नतीजों के आधार पर आगे बर्खास्तगी की कार्रवाई की जा सकती है।