नई दिल्ली: इजराइल ने शुक्रवार को एक हमले में अपने सबसे बड़े दुश्मनों में से एक हिजबुल्लाह के चीफ हसन नसरल्लाह को मार डाला। नसरल्लाह 1992 से लेकर करीब 32 साल से लेबनान में गढ़ बनाए चरमपंथी गुट हिज्बुल्लाह का नेतृत्व कर रहा था। अमेरिका, इजराइल जैसे देशों ने हिज्बुल्लाह को आतंकी संगठन घोषित कर रखा है। ऐसे में नसरल्लाह अपनी जान के खतरे को देखते हुए पिछले कई सालों से सार्वजनिक रूप से सामने आने से बचता रहा था।
हालांकि, तमाम कोशिशों और छुपने-छुपाने के बावजूद हिज्बुल्लाह आखिरकार अपने मुखिया को बचाने में नाकाम रहा। इजराइल ने उसके ठिकाने का पता लगा ही लिया और 27 सितंबर को लेबनान की राजधानी बेरूत के दक्षिणी हिस्से में हिज्बुल्लाह के गढ़ में नसरल्लाह की हत्या करने में कामयाब रहा।
इजराइल की इस सफलता ने एक बार फिर उसकी खुफिया एजेंसी मोसाद को सुर्खियों में ला दिया है। इससे पहले इजराइली सेना और मोसाद ने लेबनान में हिज्बुल्लाह सदस्यों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले हजारों पेजर और वॉकी-टॉकी में विस्फोट कर दुनिया को चौंका दिया था। इजराइल ने हालांकि इन धमाकों की जिम्मेदारी कभी नहीं ली।
साल 2023 में हमास के इजराइली क्षेत्र में हमला कर 1200 लोगों की हत्या और करीब 250 लोगों को बंधक बनाए जाने के बाद से इजराइल युद्ध में उलझा है। उसने हमास पर धावा बोला। ऐसे में हमास का साथ देने के लिए हिज्बुल्लाह इसमें कूद पड़ा और दक्षिणी लेबनान से इजराइल पर रह-रहकर हमला कर रहा था। इसी महीने पेजर विस्फोट की घटना के बाद हिज्बुल्लाह और इजराइल खुलकर आमने-सामने आ गए और इसका नतीजा ये हुआ कि हसन नसरल्लाह मारा गया।
सवाल है कि आखिर इजराइल ने नसरल्लाह को कैसे खोजा? हिज्बुल्लाह चीफ के ठिकाने का पता इजराइल ने कैसे लगाया? बताया जाता है कि हमास की तरह हिज्बुल्लाह ने भी लेबनान में जमीन के नीचे सैकड़ों सुरंगे और बंकर बना रखे हैं। ऐसे में इजराइल ने हिज्बुल्लाह के मुखिया का पता कैसे लगा लिया। इसे लेकर अब कुछ जानकारियां सामने आई हैं।
पेजर धमाकों ने बता दी थी इजराइल की ताकत
लेबनान में जब हजारों पेजर और वॉकी टॉकी में धमाके हुए तो यही एक स्पष्ट सबूत था कि इजराइल किस कदर हिज्बुल्लाह में हो रही कम्यूनिकेशन को ट्रैक कर रहा है। जानकार बताते हैं कि इजराइल का ये ऑपरेशन साबित करता है कि इजराइली रक्षा बलों की पहुंच हिज्बुल्लाह के संचार उपकरणों में कितनी गहराई तक हो गई थी। एक तरह से ऐसा लगता है कि इजराइल कई दिनों से हिज्बुल्लाह के सभी मूवमेंट्स पर पूरी सटीकता से नजर रखे हुए था।
यह भी बताया जा रहा है कि इजराइल लंबे समय से हिज्बुल्लाह नेता के हर मूवमेंट पर नजर रख रहा था और कथित तौर पर उसे महीनों से उसके बदलते ठिकाने के बारे में पता था।
तीन वरिष्ठ इजराइली रक्षा अधिकारियों ने ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ को बताया कि हिज्बुल्लाह के बेरूत में हेड क्वार्टर पर हमला करने का निर्णय इसलिए लिया गया क्योंकि इजराइली नेताओं का मानना था कि नसरल्लाह जल्द ही कहीं और ‘गायब’ हो सकता है और जंग के बीच यही उसे मारने का एक ‘छोटा मौका’ मौजूद है।
वहीं, सैन्य प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल नदाव शोशानी ने पत्रकारों को बताया, ‘हमने उस खुफिया जानकारी का इस्तेमाल किया था जिस पर हम वर्षों से काम कर रहे थे और हमारे पास रियल टाइम जानकारी थी, और हमने इस हमले को अंजाम दिया।’
वहीं, रीचमैन यूनिवर्सिटी (Reichman University) में इजराइल के इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर काउंटर-टेररिज्म के सीनियर फेलो और रिटायर्ड कर्नल मिरी ईसेन ने दोहराया कि ये हमला व्यापक रूप से की गई तैयारी का परिणाम था। उन्होंने कहा, ‘जब हिजबुल्लाह की बात आती है तो ये इजराइल की खुफिया घुसपैठ की गहराई और क्षमता को दर्शाती हैं।’ उन्होंने कहा, ‘ये ऐसी चीजें नहीं हैं जो केवल पिछले 11 महीनों में हुईं जब हिजबुल्लाह ने उत्तर में हमला करना शुरू किया था।’
हालांकि, हाल के दिनों में इजराइली अधिकारियों ने नसरल्लाह को खत्म करने के विकल्प पर गंभीरता से विचार करना शुरू कर दिया था।
ईरानी जासूस ने दी इजराइल को नसरल्लाह की सटीक जानकारी
हिजबुल्लाह को सीधे तौर पर ईरान से समर्थन और सहायता मिलती है। ये बात भी सामने आई है कि यह एक ईरानी जासूस था जिसने शुक्रवार के हमले से कुछ घंटे पहले इजराइली अधिकारियों को नसरल्ला के सटीक ठिकाने के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी थी।
फ्रांसीसी अखबार ‘ले पेरिसियन’ (Le Parisien) के अनुसार जासूस ने इजराइली अधिकारियों को सूचित किया कि हिजबुल्लाह का नेता बेरूत के दक्षिणी उपनगर दाहिह (Dahieh) में भूमिगत मुख्यालय में मौजूद है। नसरल्लाह तब इजराइल पर आगे के हमलों की योजना बनाने के लिए अपने संगठन के शीर्ष सदस्यों के साथ बैठक कर रहा था।
फ्रांसीसी अखबार ने एक लेबनानी सुरक्षा सूत्र के हवाले से बताया है कि ईरानी जासूस ने दहिह में हिज्बुल्लाह मुख्यालय में शुक्रवार दोपहर को नसरल्लाह के आने के बारे में इजराइल को सूचित किया था। सूत्र ने कहा, ‘इसी इंटेलिजेंस इनपुट का इस्तेमाल करते हुए इजराइल ने पूरी ताकत से प्रहार किया..वे अपना लक्ष्य चूकना नहीं चाहते थे।’
900 किलो विस्फोट..80 से ज्यादा बम गिराए
हिज्बुल्लाह चीफ को मारने के पूरे ऑपरेशन को लेकर इजरायली सैन्य प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल नदव शोशानी ने मीडिया से कहा, ‘हमारे पास रियल टाइम की खुफिया जानकारी, एक अवसर था जिसने हमें इस हमले को अंजाम देने की अनुमति दी।’
इजराइल की सेना ने इस ऑपरेशन को ‘न्यू ऑर्डर’ नाम दिया था। हिज्बुल्लाह का भूमिगत मुख्यालय बेहद सुरक्षित माना जाता था और बताया जाता है कि ये छह आवासीय भवनों से जुड़े एक परिसर में जमीन के नीचे बनाया गया था। इजराइल की सेना ने यहां पर हमले के लिए एफ-15 जेट्स का इस्तेमाल किया।
Hassan Nasrallah, the leader of an evil terrorist organization; the senior terrorists eliminated with him, and the central headquarters they were in, were legitimate military targets under international law. Nasrallah intentionally built Hezbollah’s central headquarters under… pic.twitter.com/8SaRT6YDmX
— דובר צה״ל דניאל הגרי – Daniel Hagari (@IDFSpokesperson) September 28, 2024
हमले को अंजाम देने वाली इजराइली वायु सेना स्क्वाड्रन के प्रमुख ने इजराइल के आर्मी रेडियो को बताया कि पायलटों को उड़ान भरने से कुछ देर पहले ही लक्ष्य के बारे में डिटेल्स दी गई थी। इजराइली सेना (आईडीएफ) द्वारा टेलीग्राम पर प्रकाशित एक वीडियो में आठ विमान दिखाए गए हैं जिनका कथित तौर पर हमले में इस्तेमाल किया गया था।
न्यूयॉर्क टाइम्स ने अमेरिकी सेना के एक पूर्व एक्सप्लोसिव ऑर्डिनेंस तकनीशियन ‘ट्रेवर बॉल’ के हवाले से बताया है कि इन विमानों 2000 पाउंड (900 किलोग्राम) बम लगाए गए थे, जिसमें जेडीएएम किट के साथ अमेरिका निर्मित बीएलयू-109 भी शामिल था। यह दरअसल एक प्रणाली जो बमों से जुड़ी होती है और टार्गेट के लिए सटीक रास्ता दिखाती है। वरिष्ठ अधिकारियों ने अखबार को बताया कि ‘नसरल्लाह को मारने के लिए कुछ मिनटों में ही 80 से अधिक बम गिराए गए थे।’
इन अमेरिकी विस्फोटकों को ‘बंकर बस्टर्स’ के रूप में जाना जाता है जो फटने से पहले जमीन के अंदर घुस जाते हैं। एएफपी के एक फोटोग्राफर के अनुसार शुक्रवार को इन एयर स्ट्राइक से वहां 16 फीट गहरे गड्ढे बन गए थे।
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