नई दिल्ली: बांग्लादेश की निर्वासित लेखिका तस्लीमा नसरीन को भारत सरकार से बड़ी राहत मिली है। सरकार ने तस्लीमा के निवास परमिट (रेसिडेंस परमिट) को आगे बढ़ा दिया है। मंगलवार को तस्लीमा ने एक एक्स पोस्ट में इसकी जानकारी दी है और इसके लिए गृह मंत्री अमित शाह का आभार जताया है।
इससे पहले लेखिका ने सोमवार को एक एक्स पोस्ट में अमित शाह को टैग किया था और उनसे अपने निवास परमिट को रिन्यू करने के लिए उनकी मदद मांगी थी। उनकी गुहार के बाद गृह मंत्रालय द्वारा उनका निवास परमिट को रिन्यू किया गया है।
बता दें कि यूरोप और अमेरिका में एक दशक से भी अधिक समय बीताने के बाद तस्लीमा करीब 10 साल से भारत में रह रही हैं। यह पहली बार नहीं है जब वह अपनी रेजिडेंस परमिट को लेकर चिंतित दिखी हैं, बल्कि इससे पहले भी वह कई बार भारत सरकार के अधिकारियों को अपने परमिट के स्टेटस को लेकर चिंता जता चुकी है।
पिछले ही महीने उन्होंने कहा था कि वह अपने आवेदन का स्टेटस ऑनलाइन चेक करती रहती हैं लेकिन इस बार वह ‘अपडेटिंग’ दिखा रहा है। उन्होंने कहा था कि ऐसा पहली बार हुआ है जब उनका स्टेटस ऐसा दिखा रहा है। तस्लीमा धार्मिक कट्टरपंथ की आलोचक रही हैं। वे साल 1993 से बाग्लादेश से बाहर रह रही हैं।
निवास परमिट रिन्यू होने पर क्या बोली तस्लीमा नसरीन
इस संबंध में तस्लीमा ने मंगलवार को एक पोस्ट किया है जिसमें उन्होंने अमित शाह को टैग करते हुए उनको “बहुत-बहुत धन्यवाद” कहा है। बांग्लादेश में हाल में ही सत्ता परिवर्तन हुआ है।
यहां पर कुछ महीने पहले ही पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को अपने पद से इस्तीफा देकर देश छोड़ना पड़ा था। इसके बाद से वहां पर हालात सही नहीं है और मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार को कई नई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
. @AmitShah 🙏🙏🙏🙏🙏A world of thanks. 🙏🙏🙏🙏🙏
— taslima nasreen (@taslimanasreen) October 22, 2024
इससे पहले सोमवार को तस्लीमा ने अपना निवास परमिट रिन्यू नहीं किए जाने को लेकर एक्स पर एक पोस्ट लिखी थीं। उन्होंने लिखा था,”प्रिय अमित शाहजी नमस्कार। मैं भारत में रहती हूं क्योंकि मुझे इस महान देश से प्यार है।
तस्लीमा ने आगे लिखा था, “पिछले 20 सालों से यह मेरा दूसरा घर रहा है। लेकिन गृह मंत्रालय जुलाई 22 से मेरे रेजिडेंस परमिट को आगे नहीं बढ़ा रहा है। मैं बहुत चिंतित हूं। अगर आप मुझे रहने देंगे तो मैं आपकी बहुत आभारी रहूंगी। हार्दिक शुभकामनाएं।” तस्लीमा के इस पोस्ट के बाद आज उनका आवेदन रिन्यू हो गया है।
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कौन हैं तस्लीमा नसरीन?
तस्लीमा नसरीन 1990 के दशक की शुरुआत में अपने निबंधों और उपन्यासों के कारण खासी चर्चित रहीं। उनके लेखन में उन्होंने ‘उन धर्मों’ की आलोचना की, जिन्हें वे ‘महिला विरोधी’ मानती हैं। यूरोप और संयुक्त राज्य अमेरिका में एक दशक से अधिक समय तक रहने के बाद, वह साल 2004 में भारत आ गई थी।
तस्लीमा के साल 1994 में आए ‘लज्जा’ उपन्यास ने पूरी दुनिया के साहित्यिक जगत का ध्यान खींचा था। यह पुस्तक दिसंबर 1992 में भारत में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद बंगाली हिंदुओं के खिलाफ हिंसा, बलात्कार, लूटपाट और हत्याओं के बारे में लिखी गई थी।
पुस्तक पहली बार साल 1993 में बंगाली में प्रकाशित हुई और बाद में बांग्लादेश में प्रतिबंधित कर दी गई। प्रकाशन के छह महीने बाद पुस्तक की बिक्री पर असर नहीं पड़ा था।
समाचार एजेंसी आईएएनएस के इनपुट के साथ