लखीमपुर खीरीः सूरज पाल जाटव उर्फ भोले बाबा की पूरे उत्तर प्रदेश में अलग-अलग जगह पर कई संपत्तियां है। अब इन संपत्तियों का पता लगाया जाने लगा है। रिपोर्टों के मुताबिक, भोले बाबा की यूपी के नोएडा, लखीमपुर खीरी समेत कई जिलों में संपत्तियां हैं। नोएडा प्राधिकरण सूरज पाल की नोएडा में संपत्तियों की तलाश में जुट गया है। इसकी एक रिपोर्ट बनाकर शासन को भेजी जाएगी।
वहीं, लखीमपुर खीरी में कथित संत भोले बाबा की एक छिपने की जगह का पता चला है। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, सूरज पाल जाटव की लखीमपुर खीरी में एक छिपने की जगह है जहां वह कई बार रह चुका है। रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 में वह यहां 15 दिनों तक रहा था।
लखीमपुर खीरी में भोले बाबा का मिला गुफा जैसा कमरा
इमारत में एक बड़ा कमरा है जहां उसकी कई लग्जरी गाड़ियां खड़ी रहती हैं। इसके अलावा एक गुफा जैसा कमरा भी बनाया गया है। इंडिया टुडे के मुताबिक उसको यह जानकारी उस जगह के मालिक गोविंद पुरवार और उनके परिवार के जय प्रकाश ने दी।
रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि परिसर के अंदर घूसते ही एक बड़ी पार्किंग है जहां भोले बाबा की लग्जरी गाड़ियां खड़ी रहती हैं। वहीं, बगल में गद्दों की कतारें और बड़े-बड़े चित्र लगाए गए हैं। इसके अलावा परिसर में एक रसोई भी है जहां भक्त भोले बाबा के ‘सत्संग’ (धार्मिक समागम) के दौरान भोजन तैयार की जाती है।
इसी परिसर में एक हैंडपंप है जिसको लेकर दावा किया जाता है कि इसमें से ‘अमृत’ वाला पानी निकलता है। रिपोर्ट में बताया गया है कि रसोई से सटे ही एक गुफा जैसा कमरा है। वहीं एक अन्य छिपे हुए कमरे में अलंकृत सोने के सिंहासन भी है।
हाथरस हादसे के बाद से ही सूरज पाल जाटव, जिसे नारायण साकार हरि के नाम से भी जाना जाता है, शनिवार को उसका एक वीडियो सामने आया है जिसमें उसने घटना पर शोक व्यक्त किया है। भोले बाबा के सत्संग में हुई भगदड़ में सैकड़ों लोगों की जान चली गई।
यूपी के कई जिलों में बड़े और भव्य आलीशान आश्रम
बाबा के यूपी के कई जिलों में बड़े और भव्य आलीशान आश्रम है। ट्रस्ट के नाम पर मैनपुरी, कासगंज, आगरा, कानपुर और ग्वालियर में कई बड़े आश्रम है। लखीमपुर खीरी जैसा ही एक आश्रम नोएडा के इलाबास गांव में खसरा नंबर-90 पर बना हुआ है। ये आश्रम गांव के बीच में है। प्राधिकरण ने अब तक इस जमीन को अधिग्रहीत नहीं किया है।
प्राधिकरण को इसपर कार्रवाई करने के लिए शासन से मिलने वाले निर्देश का इंतजार है। प्राधिकरण ने बताया कि ये आश्रम भोले बाबा उर्फ सूरज पाल जाटव के नाम पर नहीं है। ये आश्रम किसी अन्य व्यक्ति के नाम पर है। हालांकि आश्रम के अंदर और बाहर हर स्थान पर बाबा के पोस्टर लगे है।
यहां के सेवादार ने भी बताया, “दो साल पहले बाबा एक बार यहां आए थे। इसके बाद से यहां नहीं आए।” प्राधिकरण के मुताबिक इन लोगों की संपत्ति यहां किसी और नाम से हो सकती है। इसलिए आवंटन की फाइलों को खंगाला जा रहा है। जल्द ही प्राधिकरण की टीम भी आश्रम जा सकती है।
बता दें, सूरज पाल जाटव के बाबा बनने की कहानी कोरोना के बाद शुरू हुई थी। इस दौरान उसके अनुयायियों ने संपत्ति भी बनाई। यही वजह है कि 2020 और उसके बाद के जमीन आंवटन संबंधी फाइलों को खंगाला जा रहा है। जिस भी संपत्ति का खुलासा होगा उसकी रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी।