रियाद के एक फोरम में बलूचिस्तान का ज़िक्र करने के बाद बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान विवादों में घिर गए हैं। सोशल मीडिया पर कई पोस्टों में यह दावा किया गया कि बलूचिस्तान की सरकार ने आतंकवाद-निरोधी अधिनियम (1997) के तहत सलमान खान का नाम पाकिस्तान की ‘फोर्थ शेड्यूल’ सूची में जोड़ दिया है।
इस सूची का उपयोग उन व्यक्तियों की निगरानी के लिए किया जाता है जिन पर चरमपंथी या प्रतिबंधित संगठनों से संबंध रखने का संदेह होता है। इस सूची में शामिल लोगों पर कड़ी निगरानी रखी जाती है और उनकी यात्रा पर प्रतिबंध लग सकता है। लेकिन अब तक पाकिस्तान सरकार या किसी आधिकारिक मीडिया संस्थान ने इस दावे की पुष्टि नहीं की है।
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, सोशल मीडिया पर इस दावे के समर्थन में, 16 अक्टूबर 2025 की तारीख वाला एक कथित सरकारी दस्तावेज ऑनलाइन साझा किया जा रहा है। इस दस्तावेज में कथित तौर पर कहा गया है कि सलमान ख़ान को “आजाद बलूचिस्तान फैसिलिटेटर” के कारण सूची में जोड़ा गया है। हालांकि इस दस्तावेज की प्रामाणिकता की जाँच नहीं हो पाई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान के किसी भी विश्वसनीय मीडिया आउटलेट या सरकारी स्रोत ने इस खबर की पुष्टि या रिपोर्ट नहीं की है।
विवाद की शुरुआत कैसे हुई?
यह पूरा विवाद रियाद में आयोजित एक कार्यक्रम से शुरू हुआ। पिछले दिनों जॉय फोरम 2025 इवेंट में सलमान खान ने हिस्सा लिया था, जहां उनके साथ शाहरुख खान और आमिर खान ने भी मंच साझा किया था। तीनों खान मध्य पूर्व में भारतीय सिनेमा की लोकप्रियता पर चर्चा कर रहे थे।
इसी बातचीत के दौरान सलमान ने कहा था, “आज अगर कोई हिंदी फिल्म यहां (सऊदी अरब में) रिलीज हो, तो सुपरहिट हो जाएगी। तमिल, तेलुगू या मलयाली फिल्में भी सैकड़ों करोड़ कमा लेंगी, क्योंकि यहां अलग-अलग देशों के लोग काम कर रहे हैं। यहां बलूचिस्तान से लोग हैं, अफगानिस्तान से हैं, पाकिस्तान से हैं, सब यहां काम कर रहे हैं।”
सलमान ने बलूचिस्तान और पाकिस्तान का जिक्र अलग-अलग किया, जिसको लेकर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई कि क्या बलूचिस्तान और पाकिस्तान अलग-अलग है। सलमान खान ने क्या जानबूझकर ये बयान दिया। इस्लामाबाद के अधिकारियों ने इसपर आपत्ति जताई और इसे पाकिस्तान की “क्षेत्रीय अखंडता” के खिलाफ बयान बताया। जबकि बालेच बैकग्राउंड वाले कुछ यूजर्स सलमान के बयान को अपना समर्थन देते नजर आए।
सलमान का यह बयान बलूच अलगाववादी नेताओं के बीच स्वागत योग्य माना गया। बलूच नेता मीर यार बलूच ने कहा कि सलमान ख़ान के शब्दों से “छह करोड़ बलूचों को खुशी मिली है।” उन्होंने इसे बलूच पहचान को वैश्विक स्तर पर मान्यता देने वाला बयान बताया और कहा कि सलमान ख़ान ने जो कहा, वह सॉफ्ट डिप्लोमेसी का प्रभावी उदाहरण है, जिसे कई देश कहने से हिचकते हैं।
बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत (क्षेत्रफल का 46%) है। लेकिन वहां देश की कुल आबादी का केवल 6% हिस्सा रहता है। प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध होने के बावजूद यह इलाका पाकिस्तान के सबसे गरीब और उपेक्षित इलाकों में गिना जाता है। लगातार आर्थिक शोषण, बेरोजगारी और सैन्य दमन ने दशकों से यहां अलगाववादी भावना को जन्म दिया है।
यह क्षेत्र रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, जिसमें ग्वादर पोर्ट और चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर की भूमिका शामिल है। बलूचिस्तान पाकिस्तान के गैस उत्पादन में भी अहम योगदान देता है और गल्फ ऑफ ओमान के पास स्थित है। बावजूद इसके, कई बालेच यह मानते हैं कि केंद्र सरकार ने उनके क्षेत्र को अनदेखा किया है, जिससे असंतोष बना हुआ है।

