पंचकूला: हरियाणा में लगातार तीसरी बार भाजपा की सरकार बन गई है। नायब सिंह सैनी ने गुरुवार को हरियाणा के मुख्यमंत्री के रूप में दूसरी बार शपथ ली। उन्हें राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। नायब सिंह सैनी के अलावा भाजपा के 13 और विधायकों ने भी मंत्रिपद की शपथ ली।
इसमें अनिल विज भी शामिल थे, जो अंबाला कैंट से विधायक बने हैं। विज इससे पहले नायब सैनी मंत्रिमंडल में शामिल नहीं थे। इस बार इसमें जगह पाने वाले एकमात्र पंजाबी हैं। सैनी सरकार के नए मंत्रिमंडल में जातीय समीकरण का संतुलन भी खूब नजर आ रहा है, जिसकी चर्चा हो रही है।
हरियाणा में भाजपा ने ऐसे साधा जाति का संतुलन
90 विधानसभा सीटों वाले हरियाणा में मुख्यमंत्री सहित 14 मंत्री हो सकते हैं। सैनी ने अपने मंत्रिमंडल में दलित, ब्राह्मण और जाट समुदाय से दो-दो विधायकों को मंत्री पद दिया है। इसके अलावा ओबीसी से चार और बनिया समुदाय से भी एक मंत्री बने हैं। एक पंजाबी अनिल विज मंत्री बनाए गए हैं। श्याम सिंह राणा के तौर पर एक राजपूत चेहरा भी सैनी की मंत्रिमंडल में मौजूद है।
इसके अलावा छह बार के कृष्ण लाल पनवार, दो बार के विधायक कृष्णा बेदी ने भी मंत्री पद की शपथ ली। पनवार और बेदी दोनों दलित चेहरे हैं, जिन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। ब्राह्मण समुदाय से गोहाना विधायक अरविंद शर्मा और पलवल विधायक गौरव गौतम को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है।
हरियाणा में प्रभावशाली जाट समुदाय से राज्यसभा सांसद किरण चौधरी की बेटी श्रुति चौधरी और पानीपत (ग्रामीण) से दो बार के विधायक महिपाल ढांडा को मंत्रिमंडल में जगह मिली। हरियाणा में जाट समुदाय की आबादी करीब 20 से 25 प्रतिशत बताई जाती है।
हरियाणा चुनाव में इस बार ज्यादातर जाट वोट कांग्रेस के पीछे लामबंद होते नजर आए थे। हालांकि, फिर भी भाजपा करीब 28% जाट वोट हासिल करने में सफल रही थी।
सैनी सरकार में ओबीसी समुदाय को बड़ा प्रतिनिधित्व मिला है। खुद सैनी भी इसी से आते हैं। राव नरबीर सिंह, आरती राव (केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत की बेटी), रणबीर सिंह गंगवा और राजेश नागर ओबीसी नेताओं में से हैं जिन्होंने मंत्री पद की शपथ ली। सैनी को भी मिला दें तो मंत्रिमंडल में पांच चेहरे ओबीसी वर्ग से हो जाएंगे। विपुल गोयल के रूप में बनिया वर्ग से एक नेता मंत्रिमंडल में हैं।
भाजपा की जीत के पीछे गैर-जाट वोटों की एकजुटता
हरियाणा में भाजपा के शानदार प्रदर्शन के पीछे ओबीसी वोटों की बड़ी भूमिका इस बार रही है। कांग्रेस के जाट-दलित और मुस्लिम वोटों का मुकाबला करने के लिए राज्य में भाजपा ने ओबीसी और गैर-जाट वोटों को एकजुट करने की रणनीति पर काम किया और उसे ऐतिहासिक सफलता मिली।
हरियाणा में 5 अक्टूबर को एक चरण में विधानसभा चुनाव हुए थे, जिसमें भाजपा ने 90 में से 48 सीटों पर जीत हासिल की थी, वहीं कांग्रेस ने 37 सीट पर जीत दर्ज की थी।
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