नई दिल्लीः भारत ने कनाडा को स्पष्ट संदेश दिया है कि प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो बिना किसी ठोस सबूत के मोदी सरकार पर खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का आरोप नहीं लगा सकते। साथ ही, भारत ने यह भी कहा कि कनाडा की जांच एजेंसियों पर राजनीतिक दबाव डालना कानून के खिलाफ है, और अगर ट्रूडो सरकार के पास कोई प्रमाण है, तो उसे सार्वजनिक किया जाए।
इस भारतीय रुख को कनाडा के उच्च स्तरीय सुरक्षा अधिकारियों और राजनयिकों के साथ एक तीसरे देश में हुई बैठक में रखा गया। यह बैठक उस वक्त हुई जब कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के आरोपों और उनकी जांच एजेंसी आरसीएमपी (रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस) के बीच विरोधाभास सामने आया। आरसीएमपी अभी तक निज्जर की हत्या की जांच कर रही है, और भारत ने कनाडा को याद दिलाया कि जांच एजेंसियों पर राजनीतिक निर्देश देना गंभीर अपराध है।
आसियान शिखर सम्मेलन में ट्रूडो की कोशिश और भारत का जवाब
यह बैठक तब की गई जब जस्टिन ट्रूडो ने 11 अक्टूबर को आसियान शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अचानक मुलाकात करने की कोशिश की। जबकि ट्रूडो ने दावा किया कि दोनों नेताओं के बीच संक्षिप्त बातचीत हुई, भारत का कहना है कि यह चर्चा कोई विशेष महत्व की नहीं थी और पीएम मोदी ने इसे बातचीत के लिए उचित समय और स्थान नहीं बताया। ट्रूडो का यह कदम स्पष्ट रूप से उनकी घरेलू राजनीतिक मजबूरियों से प्रेरित था, जिसमें खालिस्तानी वोट बैंक की राजनीति और अगले साल के आम चुनावों को ध्यान में रखा गया था।
भारत ने इस तथाकथित मुलाकात के बाद एक आधिकारिक बयान जारी किया, जिसमें बताया गया कि कोई गंभीर चर्चा नहीं हुई थी। यह भी कहा गया कि ट्रूडो ने प्रधानमंत्री मोदी को निशाना बनाते हुए यह कदम जानबूझकर उठाया, क्योंकि उन्हें 16 अक्टूबर को चुनावी हस्तक्षेप पर एक सार्वजनिक जांच समिति के सामने पेश होना है।
ट्रूडो सरकार की राजनीतिक मजबूरी और भारत का सख्त रुख
जस्टिन ट्रूडो की सरकार, जो खालिस्तानी समर्थक एनडीपी और क्यूबेक पार्टियों के समर्थन से अल्पमत में चल रही है, ने 18 सितंबर 2023 को निज्जर की हत्या के लिए मोदी सरकार को दोषी ठहराया था। हालांकि, उन्होंने अब तक इस आरोप के समर्थन में कोई ठोस सबूत पेश नहीं किया है। दूसरी तरफ, आरसीएमपी का कहना है कि वह अभी भी इस मामले की जांच कर रही है, और चार सिख युवकों को इस हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया है, जो संभवतः गैंगवार का हिस्सा हो सकती है।
भारत ने कनाडा से साफ शब्दों में कहा है कि उसके पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है, और ट्रूडो सरकार को इस बात का जवाब देना होगा कि उसने बिना सबूत के भारत को बदनाम करने की कोशिश क्यों की। इसी संदर्भ में, तीसरे देश में हुई बैठक में कनाडा की ओर से नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर नथाली जी. ड्रूइन और डिप्टी फॉरेन मिनिस्टर डेविड मॉरिसन ने हिस्सा लिया।
भारत-कनाडा संबंधों में सुधार की शर्त
विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रूडो सरकार वित्त विधेयक पर फरवरी 2025 तक गिर सकती है, और इससे पहले वह भारत पर खालिस्तानी मुद्दे को लेकर दबाव बनाने की कोशिश करेंगे। हालांकि, भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह ट्रूडो की इस राजनीतिक चाल को बर्दाश्त नहीं करेगा। भारत ने यह भी कहा कि द्विपक्षीय संबंधों में सुधार तभी संभव होगा जब कनाडा अपने देश में चल रही भारत-विरोधी खालिस्तानी गतिविधियों पर ठोस और सत्यापित कार्रवाई करेगा।