Monday, November 17, 2025
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राज की बातः ‘गुजरात सच में अच्छा है’, नीतीश का चार दशक पुराना लगाव आज भी है कायम!

1986 में बिहार विधानसभा की एक समिति भी दौरे पर आई थी। इस समिति में एक सदस्य के रूप में नीतीश कुमार अपनी पत्नी मंजू और बेटे निशांत के साथ आए थे। नीतीश, जो 1977 और 1980 के चुनाव में हार गए थे, पहली बार विधायक बने थे…

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को गुजरात से प्यार ज्यादा रहा है, नफरत कम। मैं उस समय राजकोट में टाइम्स ऑफ इंडिया का प्रतिनिधि था। बात करीब चालीस साल पुरानी है। दशहरा की छुट्टियों में बिहार के विधायक अलग-अलग समितियों के सदस्य के रूप में सौराष्ट्र आया करते थे। यहां प्रसिद्ध सोमनाथ और द्वारकाधीश मंदिर हैं, अरब सागर है और गिर का जंगल भी है।

1986 में बिहार विधानसभा की एक समिति भी दौरे पर आई थी। इस समिति में एक सदस्य के रूप में नीतीश कुमार अपनी पत्नी मंजू और बेटे निशांत के साथ आए थे। नीतीश, जो 1977 और 1980 के चुनाव में हार गए थे, पहली बार विधायक बने थे।

धार्मिक स्थलों के दर्शन के बाद ठंड की रात करीब 12 बजे समिति राजकोट के सरकारी सर्किट हाउस पहुंची। सदस्यों के लिए तय समय रात 8 बजे तक भोजन का था। अतिथिशाला, जो कभी जूनागढ़ के नवाब का आरामगाह था, में उस समय भी चांदी के बर्तन थे। मैं वहीं मौजूद था। मैंने नीतीश जी का स्वागत किया और उन्हें मैनेजर एम.एल. देसाई से मिलवाया। पूरी टीम को आधी रात के बाद भी बिल्कुल गर्म खाना परोसा गया, जिसमें गुजराती और बिहारी दोनों तरह के व्यंजन थे। मिठाई में खंड दिया गया।

विधायक और उनके परिवार बेहद खुश हुए। नीतीश जी ने बताया कि समिति को रात में ही अहमदाबाद के लिए रवाना होना है, क्योंकि सुबह पुरानी दिल्ली जाने वाली दिल्ली मेल में आरक्षण है। उस समय नीतीश जी, जो आगे चलकर बिहार के मुख्यमंत्री बने, ने मुझसे कहा, “लव जी, परिवार साथ में है, रात की सड़क यात्रा है, कुछ उल्टा-सीधा न हो। आप जिला अधिकारी से रिक्वेस्ट कर एक पुलिस पायलट गाड़ी का इंतजाम करवा दीजिए।”

मैंने उन्हें समझाया, “यह गुजरात है, बिहार नहीं। आराम से जाइए, हाईवे पर कोई दिक्कत नहीं होगी। रात में ढाबों पर भीड़ मिल जाएगी। चार घंटे में अहमदाबाद पहुंच जाएंगे। अगर रात में चाय पीने का मन हो तो लिमडी में रुक सकते हैं।”

दो दिन बाद नीतीश जी का फोन आया। उन्होंने कहा कि बहुत अच्छा लगा, रात में गर्म खाना मिला और हम समय पर अहमदाबाद पहुंच गए। गुजरात सच में अच्छा है।

नीतीश जी ने यह बात याद रखी। 2015 में पुनपुन में अपनी पार्टी की एक सभा में, जहां मैं दर्शक दीर्घा में बैठा था, मुझे ऊपर बुलाया। पार्टी के अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह और विधायक रणबीर नंदन को भी उन्होंने राजकोट में आधी रात को मिले गरम भोजन का अनुभव सुनाया।

जब केशुभाई पटेल मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने बिहार के एक नेता के लिए, जिनके दामाद गुजरात में भारतीय वन सेवा अधिकारी थे, पैरवी की और अच्छी पोस्टिंग की सिफारिश की। मुख्य सचिव इंद्रजीत गौतम ने पटेल के निर्देश पर प्रधान मुख्य संरक्षक को तुरंत आदेश दिया कि नीतीश जी के अनुरोध पर कार्रवाई हो।

रिश्ता तब थोड़ा बिगड़ा जब बिहार बीजेपी ने पटना में बड़े-बड़े होर्डिंग लगवाए और अखबारों में फुल-पेज विज्ञापन छपवाए, जिसमें नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी को पंजाब में एक साथ प्रचार करते दिखाया गया। उस वक्त पटना में बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक थी। नीतीश जी ने नेताओं के लिए अपने आवास पर डिनर रखा था, लेकिन नाराजगी के कारण अंतिम समय में रद्द कर दिया। कोसी बाढ़ पीड़ितों के लिए नरेंद्र मोदी ने पांच करोड़ का चेक और राहत सामग्री भेजी थी, जिसे नीतीश कुमार ने वापस लौटा दिया।

नीतीश जी को नाराजगी थी कि राजनाथ सिंह ने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया था। वे एनडीए से अलग हो गए, विशेष राज्य के दर्जे की मांग उठाई और बीजेपी मंत्रियों को कैबिनेट से बाहर कर दिया। इसके बाद नरेंद्र मोदी पटना आए और नीतीश कुमार के डीएनए पर सवाल उठाए।

लेकिन अब नीतीश जी को गुजरात से फिर से प्रेम हो गया है। और नरेंद्र मोदी ने भी बिहार में अपनी चुनावी रैली में खुलकर कहा था, “नरेंद्र-नीतीश की जोड़ी को ही विजय दिलानी है।”

लव कुमार मिश्र
लव कुमार मिश्र
लव कुमार मिश्र, 1973 से पत्रकारिता कर रहे हैं,टाइम्स ऑफ इंडिया के विशेष संवाददाता के रूप में देश के दस राज्यों में पदस्थापित रह। ,कारगिल युद्ध के दौरान डेढ़ महीने कारगिल और द्रास में रहे। आतंकवाद के कठिन काल में कश्मीर में काम किए।
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