Friday, October 17, 2025
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गूगल को क्रोम ब्राउजर बेचने का आदेश देने पर अड़ा अमेरिकी न्याय विभाग, सर्च मोनोपॉली पर कड़ा रुख

वाशिंगटनः अमेरिकी न्याय विभाग (DOJ) ने शुक्रवार को एक बार फिर गूगल को अपना क्रोम वेब ब्राउजर बेचने का आदेश देने की मांग की। सरकार ने अदालत से कहा कि गूगल ने अवैध तरीके से ऑनलाइन सर्च में अपना वर्चस्व बनाए रखा है। न्याय विभाग चाहता है कि गूगल वेब ब्राउजरों और स्मार्टफोन कंपनियों को पैसे देकर डिफॉल्ट सर्च इंजन बनने की अपनी नीति बंद करे।

न्याय विभाग ने अपनी याचिका में जज अमित पी. मेहता से अनुरोध किया कि वह गूगल को क्रोम ब्राउजर बेचने का आदेश दें और उन व्यापारिक तरीकों पर रोक लगाएं, जिनकी वजह से गूगल ने ऑनलाइन सर्च में अपनी अवैध मोनोपॉली बनाए रखी।

सरकार की दलील है कि गूगल ने अपने विशाल प्रभाव का दुरुपयोग किया है, जिससे प्रतिस्पर्धी कंपनियों को बाजार में पैर जमाने का मौका ही नहीं मिलता। कोई भी स्थिति हो, जीत हमेशा गूगल की ही होती है। सरकार ने अदालत में कहा, “गूगल ने अपने आर्थिक प्रभुत्व से बाजार को ऐसा मोड़ा है कि अमेरिकी जनता के पास इसकी मांगें मानने और इसे सहने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता।”

गूगल के ‘सर्च एकाधिकार’ पर कोर्ट की टिप्पणी

जज मेहता ने अगस्त 2024 में अपने फैसले में माना था कि गूगल ने अवैध तरीके से अपने सर्च इंजन का एकाधिकार बनाए रखा है। कोर्ट के मुताबिक, गूगल वेब ब्राउजरों स्मार्टफोन निर्माताओं को अपने सर्च इंजन को डिफॉल्ट सेट करने के लिए मोटी रकम चुकाता था। 2021 में इस तरह के सौदों पर गूगल ने 26.3 अरब डॉलर खर्च किए थे।

अदालत ने पाया कि अमेरिका में लगभग 70% सर्च क्वेरीज ऐसे पोर्टल्स से की जाती हैं जहां गूगल डिफॉल्ट सर्च इंजन होता है। गूगल की रेवेन्यू-शेयरिंग डील्स के कारण छोटी सर्च कंपनियां प्रतिस्पर्धा नहीं कर पातीं।

सरकार के प्रस्ताव में क्या है?

न्याय विभाग के मुताबिक, गूगल को अब एप्पल, मोजिला और स्मार्टफोन निर्माताओं के साथ ऐसे भुगतान समझौतों से रोक दिया जाना चाहिए, जिनसे उसे डिफॉल्ट सर्च इंजन बने रहने का लाभ मिलता है। इसके अलावा, अदालत से यह भी मांग की गई है कि गूगल को अपने सर्च परिणामों और डेटा को प्रतिस्पर्धी सर्च इंजनों के लिए एक दशक तक उपलब्ध कराना होगा। 

सरकार ने अपने पहले के प्रस्ताव में एक बदलाव किया है। पहले गूगल से एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) उत्पादों को भी अलग करने की मांग की गई थी, लेकिन अब सरकार केवल यह चाहती है कि गूगल एआई में किसी भी निवेश से पहले संघीय और राज्य अधिकारियों को सूचित करे।

गूगल ने क्या कहा?

गूगल, जो इस फैसले के खिलाफ अपील करने की योजना बना रहा है, ने अदालत में एक अलग प्रस्ताव पेश किया है। कंपनी का कहना है कि उसके व्यापारिक तरीकों में केवल मामूली बदलाव की जरूरत है। गूगल ने यह भी सुझाव दिया कि कंपनियों को भुगतान कर सर्च में प्राथमिकता पाने की अनुमति मिलनी चाहिए, लेकिन ऐसे सौदे कम प्रतिबंधात्मक होने चाहिए, ताकि अन्य सर्च इंजन भी प्रतिस्पर्धा कर सकें।

गूगल के प्रवक्ता पीटर शॉटेनफेल्स ने सरकार के प्रस्ताव को अमेरिकी उपभोक्ताओं, अर्थव्यवस्था और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए हानिकारक बताया। वहीं, गूगल के मुख्य कानूनी अधिकारी केंट वॉकर ने इसे सरकार का चरमपंथी हस्तक्षेप करार दिया, जिससे लाखों अमेरिकियों की गोपनीयता और सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है और इनोवेशन बाधित हो सकता है। 

जज मेहता अप्रैल में सरकार और गूगल के इन प्रस्तावों पर बहस सुनेंगे। हालांकि, गूगल ने पहले ही संकेत दे दिया है कि वह किसी भी प्रतिकूल फैसले को चुनौती देगा, जिससे मामले के और बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है।

अनिल शर्मा
अनिल शर्माhttp://bolebharat.com
दिल्ली विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में उच्च शिक्षा। 2015 में 'लाइव इंडिया' से इस पेशे में कदम रखा। इसके बाद जनसत्ता और लोकमत जैसे मीडिया संस्थानों में काम करने का अवसर मिला। अब 'बोले भारत' के साथ सफर जारी है...
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