इस्लामाबादः पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में हिंसक अशांति फैलने के कुछ हफ्तों बाद एक बार फिर से विरोध प्रदर्शनों की लहर दौड़ गई है। इस बार हो रहे विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व जेन-जी कर रहे हैं। इसमें अधिकांश छात्र शामिल हैं। इन प्रदर्शनों में शिक्षा सुधार संबंधी मुद्दे मुख्य रूप से उठाए जा रहे हैं।
बढ़ती फीस और मूल्यांकन प्रक्रिया के खिलाफ एक शांतिपूर्ण प्रदर्शन शुरु हुआ था जो अब शहबाज शरीफ की सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों में बदल गया है। इससे इस क्षेत्र में जेन-जी के बीच गहराता असंतोष दिखाई दे रहा है।
इससे पहले इस महीने की शुरुआत में शुरू हुए विरोध प्रदर्शन अधिकतर शांतिपूर्ण रहे। हालांकि कथित तौर पर एक अज्ञात बंदूकधारी द्वारा छात्रों के समूह पर गोलीबारी करने और एक छात्र के घायल होने के बाद अराजकता फैल गई। इसका एक वीडियो सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रहा है जिसमें एक युवक मुजफ्फराबाद में प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाता दिख रहा है, इससे इलाके में दहशत फैल गई। हालांकि इस वीडियो की सत्यता की पुष्टि नहीं हो पाई है।
जेन – जी का विरोध प्रदर्शन हो गया हिंसक
विरोध प्रदर्शनों में इस घटना से एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ। आक्रोशित छात्रों ने टायर जलाए, आगजनी और तोड़फोड़ की तथा सरकार के खिलाफ नारे लगाए। यह हाल ही में हुए नेपाल में जेन-जी विरोध प्रदर्शनों की तरह हुआ।
दरअसल मुजफ्फराबाद के एक शीर्ष विश्वविद्यालय में बढ़ती फीस और बेहतर सुविधाओं की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ। जैसे ही यह आंदोलन तेज हुआ प्रशासन ने विश्वविद्यालय परिसर में राजनैतिक गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया।
इससे पहले जनवरी 2024 में भी ऐसा ही एक आंदोलन हुआ था जिसमें छात्रों ने आरोप लगाया था कि सेमेस्टर फीस के नाम पर हर तीन-चार महीने में लाखों रुपये वसूले जा रहे हैं। छात्रों के इन प्रदर्शनों में बाद में पीओके के शिक्षण और प्रशासनिक कर्मचारी भी अपनी मांगों को लेकर इसमें शामिल हुए। शिक्षक और कर्मचारी लंबे समय से लंबित वेतन की मांग कर रहे थे।
पीओके में हो रहे विरोध प्रदर्शनों में क्या हैं मुख्य मांगे?
पीओके में मौजूदा समय में हो रहे विरोध प्रदर्शनों में इंटरमीडिएट के छात्र भी शामिल हो गए हैं। उनकी शिकायत नए शैक्षणिक वर्ष में मैट्रिक और इंटरमीडिएट स्तर पर नई ई-मार्किंग या डिजिटल मूल्यांकन प्रणाली की शुरुआत से है।
बीती 30 अक्टूबर को छह महीने की देरी के बाद इंटरमीडिएट की परीक्षा के परिणाम जारी किए गए। हालांकि नतीजे जारी किए जाने के बाद छात्रों में भारी आक्रोश फैल गया क्योंकि उन्होंने अप्रत्याशित रूप से कम अंक दिए जाने की शिकायत की। छात्रों ने इसका कारण ई-मार्किंग प्रणाली को बताया।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कुछ मामले ऐसे भी आए जिनमें छात्रों को उन विषयों में भी पास कर दिया गया जिनकी उन्होंने परीक्षा ही नहीं दी थी। सरकार की तरफ से इस मामले में अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। वहीं, मीरपुर शिक्षा बोर्ड ने ई – मार्किंग प्रणाली का आकलन करने के लिए एक समिति का गठन किया है।
प्रदर्शनकारियों ने पुनर्मूल्यांकन के लिए मांगे जा रहे शुल्क को माफ करने की मांग की। यह शुल्क प्रति विषय 1,500 रुपये मांगा गया है। ऐसे में जो छात्र सभी विषयों में पुनर्मूल्यांकन कराना चाहते हैं उन्हें 10,500 रुपये देने होंगे।
लाहौर में भी गूंजा यह मुद्दा
पीओके के अलावा यह मुद्दा लाहौर में भी गूंजा है। पिछले महीने इंटरमीडिएट के छात्रों ने प्रेस क्लब के बाहर धरना दिया था। छात्रों की शिकायतों की सूची अब कक्षा से बढ़कर आगे पहुंच गई है। खराब बुनियादी ढांचा, स्वास्थ्य व्यवस्था में गिरावट और परिवहन की कमी ने युवाओं की हताशा को और भी बढ़ा दिया है।
पीओके में हो रहे इस आंदोलन को प्रभावशाली समूह संयुक्त अवामी एक्शन कमेटी (जेएएसी) का समर्थन प्राप्त है। अक्टूबर में हुए हिंसक प्रदर्शनों में यह संगठन सबसे आगे था।
हालांकि इस दौरान हुए प्रदर्शनों में 12 से अधिक लोग मारे गए थे। 30 मांगों का एक चार्टर था जिसमें कर राहत के साथ-साथ आटे और बिजली पर सब्सिडी की मांग की गई थी। इसके अलावा विकास परियोजनाओं को भी पूरा करने की मांग की गई थी।
पाकिस्तानी सरकार ने गोलीबारी के जरिए प्रदर्शन को कुचलने की कोशिश की थी। यह सेना प्रमुख असीम मुनीर के नेतृत्व में सेना की ज्यादतियों और भ्रष्टाचार के खिलाफ एक व्यापक आंदोलन में बदल गया जिससे क्षेत्र में ठहराव आ गया।
यह अशांति तब समाप्त हुई जब शरीफ सरकार ने प्रदर्शनकारियों के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए और उनकी कुछ मांगों पर सहमति व्यक्त की।

