बेंगलुरु: कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में चार पाकिस्तानी नागरिकों को सोमवार को गिरफ्तार किया गया है। ये लोग भारतीय पहचान के साथ पिछले 10 सालों से देश में रह रहे थे। इन लोगों ने यहां पर हिंदू नाम भी रख लिया था।
एक अधिकारी ने बताया कि गिरफ्तार किए गए चार लोगों में दो महिलाएं भी शामिल हैं। चारों पाकिस्तान के कराची और लाहौर के रहने वाले हैं।
गिरफ्तार किए गए आरोपियों से पूछताछ के बाद खुलासा हुआ कि कैसे वे पाकिस्तान से बांग्लादेश गए थे और फिर अवैध रूप से भारत आए थे। पुलिस को आरोपियों के पास से आधार कार्ड और पासपोर्ट सहित अन्य नकली भारतीय दस्तावेज भी मिले हैं।
आरोपी को अपने खर्च के लिए मेहदी फाउंडेशन से पैसे मिलते थे। फाउंडेशन के सदस्य भारत सहित पूरी दुनिया से ताल्लुक रखते है।
पुलिस ने क्या कहा है
मामले में बोलते हुए एक अधिकारी ने कहा है, “चारों पाकिस्तानी नागरिकों ने फर्जी पहचान बताकर भारतीय पासपोर्ट बनवा लिया था और यहां धर्म प्रचार में शामिल हो गए थे। सभी आरोपियों ने खुद को हिंदू बताया था।”
पुलिस के मुताबिक, गिरफ्तार किए गए लोगों की पहचान पाकिस्तान के कराची निवासी राशिद अली सिद्दीकी उर्फ शंकर शर्मा, पाकिस्तान के लाहौर निवासी आयशा उर्फ आशा रानी, लाहौर निवासी हनीफ मोहम्मद उर्फ रामबाबू शर्मा और लाहौर निवासी रुबीना उर्फ रानी शर्मा के रूप में हुई है।
कोर्ट ने सभी आरोपियों को 10 दिन के लिए हिरासत में भेजा है
बेंगलुरु पुलिस ने सभी आरोपियों को अदालत में पेश किया, जहां कोर्ट ने उन्हें 10 दिनों की पुलिस हिरासत में भेज दिया। इसके साथ ही पुलिस ने आरोपियों के अन्य साथियों की तलाश शुरू कर दी है।
पाकिस्तानी नागरिकों की गिरफ्तारी के बाद खुफिया ब्यूरो (आईबी) के अधिकारियों ने जिगनी थाने का दौरा किया और आरोपियों के बारे में जानकारी हासिल की है।
पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ कई धाराओं में मामला दर्ज किया है। साथ ही उन पर पासपोर्ट अधिनियम, 1967 की धारा 12(1)(बी), 12,1ए (बी), 12(2) के तहत भी मामला दर्ज किया है।
पुलिस को कैसे पता चला था
29 सितंबर को बेंगलुरु के जिगनी पुलिस को राजापुरा गांव में रहने वाले पाकिस्तानी नागरिकों के बारे में सूचना मिली थी। इसके बाद पुलिस ने कार्रवाई करते हुए सभी आरोपियों को गिरफ्तार किया है।
इससे पहले चेन्नई पुलिस ने उनके दो रिश्तेदारों को गिरफ्तार किया था। जब पुलिस आरोपी राशिद अली सिद्दीकी उर्फ शंकर शर्मा के घर गई थी तब वह और उसका परिवार घर खाली कर वहां से जा रहे थे।
पुलिस पूछताछ के दौरान राशिद ने दावा किया कि वह नई दिल्ली का रहने वाला है और पिछले छह साल से यहां रह रहा है। पुलिस ने जब उससे पूछताछ की तो पता चला कि सभी आरोपियों के पास हिंदू नाम से पासपोर्ट भी हैं।
आरोपी ने पूछताछ पर और क्या खुलासा किया है
गिरफ्तारी के दौरान पुलिस को घर की दीवार पर ‘मेहंदी फाउंडेशन इंटरनेशनल- जश्न-ए-यूनुस’ लिखा मिला है। इसके अलावा पुलिस को उनके घर से एक मुस्लिम धार्मिक नेता की तस्वीर भी मिली है। पूछताछ में उन्होंने बताया कि वे पाकिस्तान से हैं और चेन्नई में गिरफ्तार किए गए लोग उनके रिश्तेदार हैं।
आरोपी राशिद अली सिद्दीकी ने बताया कि वह कराची के पास लियाकताबाद का रहने वाला है और अपनी पत्नी तथा उसके माता-पिता के साथ हिंदू बनकर रह रहा है।
भारत से पहले राशिद रहता था बांग्लादेश
राशिद ने यह भी बताया कि वह साल 2011 में आयशा से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से मिला था और शादी के समय उसका परिवार बांग्लादेश में रहता था।
आरोपी ने यह भी खुलासा किया कि पाकिस्तान में धार्मिक नेताओं से पीड़ित होने के बाद वह अपनी पत्नी के साथ बांग्लादेश रहने के लिए चला गया था।
पिछले 10 साल से रह रहा है भारत में
पुलिस जांच के दौरान पता चला कि सिद्दीकी और उसका परिवार मूल रूप से पाकिस्तान के कराची और लाहौर का रहने वाला है। उसने यह भी बताया कि पिछले 10 सालों से वह और उसका पूरा परिवार भारत में रह रहा है।
सिद्दीकी ने बताया कि धार्मिक उत्पीड़न के कारण वह पाकिस्तान से भाग कर बांग्लादेश चला गया था। बांग्लादेश में कुछ साल बिताने के बाद वह साल 2014 में गैर कानूनी तरीके से भारत आया था। वह और उसका पूरा परिवार पश्चिम बंगाल के मालदा से एजेंटों के जरिए बॉर्डर पार किया था।
अवैध रूस से बांग्लादेश से आया था भारत
जांच के दौरान पता चला कि सिद्दीकी और उनका परिवार मूल रूप से पाकिस्तान के कराची और लाहौर का रहने वाला था। अपनी नेपाल यात्रा के दौरान आरोपी दो बेंगलुरु निवासियों से मिला था जिनसे दिल्ली में रहते हुए उसकी बात हुई थी। इसके बाद पूरे परिवार समेत वह साल 2018 में बेंगलुरु शिफ्ट हो गया था।
यहां उसने अपने और अपने परिवार वालों का बैंक का खाता खुलवाया था। आरोपी मेहंदी फाउंडेशन के लिए काम करता है और वह इसका प्रचारक है। उसके बेगलुरु में रहने का खर्ज उसे बेगंलुरु बुलाने वाले साथी करते हैं साथ ही मेहंदी फाउंडेशन से भी उसे पैसे मिलता था।
ये भी पढ़ें: बुलडोजर कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट का असम सरकार को अवमानना नोटिस, जानें क्या है पूरा मामला
मेहदी फाउंडेशन के अध्यक्ष ने क्या अनुरोध किया है
बेंगलुरु में आरोपी फाउंडेशन से संबद्ध अलरा टीवी यूट्यूब चैनल से अपना प्रचार करता था। आरोपी और उसके परिवार के गिरफ्तारी पर बोलते हुए मेहदी फाउंडेशन इंटरनेशनल के अध्यक्ष अमजद गोहर ने उसके भारत में अवैध तरीके से रहने को गलत बताया है।
गोहर ने भारत सरकार से अनुरोध किया है कि वे उसे और उसके परिवार वालों को वापस पाकिस्तान न भेजे नहीं तो वहां उनकी हत्या हो जाएगी।
बता दें कि मेहदी फाउंडेशन इंटरनेशनल एक ऐसा संगठन जो सूफी आध्यात्मिक नेता यूनुस अलगोहर की शिक्षाओं को बढ़ावा देता है। यूनुस अलगोहर को मानने वाले पूरी दुनिया में फैले हुए हैं।
समाचार एजेंसी आईएएनएस के इनपुट के साथ