नेटफ्लिक्स पर 30 अगस्त को रिलीज हुई क्राइम थ्रिलर मिनी सीरीज ‘आईसी 814: द कंधार हाईजैक’ ( ‘IC 814 – The Kandahar Hijack’ ) विवादों में आ गई है। सीरीज के मेकर्स पर हाईजैक करने वालों को जानबूझकर हिंदू नाम दिए जाने के आरोप लगे हैं जिसको लेकर सोशल मीडिया पर इसकी काफी आलोचना हो रही है।
वहीं जारी विवाद के बीच सरकार ने नेटफ्लिक्स इंडिया की कंटेंट हेड को सरकार ने नोटिस भेजा है। केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने कंटेंट हेड मोनिका शेरगिल को तलब किया है। इस वेब सीरीज में 1999 में भारतीय एयरलाइंस की उड़ान को पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन हर्कत-उल-मुजाहिदीन द्वारा हाईजैक करने की कहानी है।
सोशल मीडिया पर सैकड़ों यूजर्स ने वेब सीरीज के निर्माताओं पर हाईजैकरों के नाम जानबूझकर बदलने का आरोप लगाया है। सीरीज में हाईजैकरों के नाम भोला और शंकर रखे गए हैं। अनुभव सिन्हा के निर्देशन में बनी यह सीरीज फ्लाइट के कैप्टन देवी शरण और पत्रकार सृंजॉय चौधरी की किताब ‘Flight Into Fear: The Captain’s Story’ पर आधारित है। इसमें नसीरुद्दीन शाह, विजय वर्मा और पंकज कपूर मुख्य भूमिकाओं में हैं।
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वेब सीरीज ने 24 दिसंबर 1999 को भारतीय एयरलाइंस की उड़ान 814 के हाईजैक की घटना को दिखाया है। आतंकवादी संगठन हरकत-उल-मुजाहिदीन के छह आतंकवादियों—इब्राहिम अतहर, शाहिद अख्तर सईद, सनी, अहमद काजी, जहूर मिस्त्री और शाकिर—ने भारत की जेल में बंद पाकिस्तानी आतंकवादियों—अहमद उमर सईद शेख, मसूद अजहर और मुश्ताक अहमद जरगर—की रिहाई की मांग को लेकर फ्लाइट को हाईजैक किया था।
क्या वाकई IC 814 सीरीज में आतंकियों के नाम बदले गए हैं?
हालांकि, स्ट्रीमिंग सीरीज को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के अपराधों को छिपाने, आतंकवादियों को मानवीय रूप देने और भ्रामक कंटेंट के आरोपों का सामना करना पड़ रहा है। कई यूजर्स का कहना है कि निर्माताओं ने जानबूझकर अपहरणकर्ताओं के नाम बदल दिए हैं। किसी ने कहा कि हाईजैकर काफी क्रूर थे, लेकिन नेटफ्लिक्स सीरीज में उन्हें मानवीय दिखाने की कोशिश की गई है जो सही नहीं है।
एक यूजर ने IC 814 के निर्देशक अनुभव सिन्हा को टैग करके पूछा कि हाईजैकर के नाम भोला और शंकर है, यह क्या बेहूदगी है। इस पर गीतकार और लेखक नीलेश मिसरा ने लिखा कि ”शंकर/ भोला/बर्गर/डॉक्टर और चीफ, जो उस समय जेल में बंद मसूद अजहर का भाई था। सभी अपहरणकर्ताओं ने झूठे नाम रखे थे। अपहरण के दौरान वे इन्हीं नामों से एक-दूसरे को बुलाते थे और यात्रियों ने भी इन्हें इन्हीं नामों से पुकारा था।— सादर, आईसी-814 अपहरण पर पहली पुस्तक के लेखक।”
गौरतलब है कि नीलेश मिसरा ने भी कंधार हाईजैक पर एक किताब लिखी है जिसका नाम है- ‘173 ऑवर्स इन कैप्टिविटी: द हाइजैकिंग ऑफ आईसी814’। लिहाजा सोशल मीडिया पर कइयों ने सीरीज को इसी किताब से प्रेरित भी बताया। लेकिन नीलेश मिसरा ने साफ किया कि यह सीरीज उनकी किताब पर आधारित नहीं है। और न ही उन्होंने अभी तक सीरीज देखी है।
नीलेश मिसरा ने एक्स पोस्ट में लिखा, मेरी किताब में आतंकवादियों के असली नाम, उनकी फोटो, उनके शहर, उनके कोड नेम, सब हैं। मैं किसी तौर पर इसका हिस्सा हूँ। अगर सीरीज में पाकिस्तानी आतंकवादियों के असली नाम नहीं बताये गए हैं तो ये तो ऐसी बात है जिसकी मैं कल्पना भी नहीं कर सकता। मैं सिर्फ तथ्य बता सकता हूँ कि हाँ, पाकिस्तानी आतंकवादियों ने हिंदू कोड नेम रखे थे हाइजैकिंग के दौरान।
मेरी किताब में आतंकवादियों के असली नाम, उनकी फोटो, उनके शहर, उनके कोड नेम, सब हैं।
ये वेब सीरीज मेरी किताब पर आधारित नहीं है। न मैंने ये सीरीज देखी है और न मैं किसी तौर पर इसका हिस्सा हूँ। अगर सीरीज में पाकिस्तानी आतंकवादियों के असली नाम नहीं बताये गए हैं तो ये तो ऐसी बात है… https://t.co/fbetQx0WJQ— Neelesh Misra (@neeleshmisra) September 1, 2024
बता दें कि हालांकि, जनवरी 2000 की विदेश मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, अपहरणकर्ता एक-दूसरे को शंकर, भोला, डॉक्टर, बर्गर और चीफ जैसे नामों से संबोधित करते थे।
‘आईसी 814 हाईजैक’ की क्या है असल कहानी
यह घटना 24 दिसंबर 1999 की है। नेपाल की राजधानी काठमांडू के त्रिभुवन इंटरनेशनल एयरपोर्ट से इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट आईसी 814 ने नई दिल्ली के लिए उड़ान भरी। हालांकि, जैसे ही फ्लाइट हवा में पहुंची, विमान में सवार पांच आतंकियों ने उसे हाईजैक कर लिया। इस विमान में 176 यात्री सवार थे।
विमान को शाम के समय नई दिल्ली एयरपोर्ट पर पहुंचना था, लेकिन थोड़ी देर बाद ही उसके हाईजैक होने की खबर मिली। फ्लाइट को बंदूक की नोक पर दिल्ली की बजाए अमृतसर ले जाया गया। क्योंकि आईसी 814 में ईंधन खत्म हो रहा था। कुछ समय तक विमान अमृतसर रुका रहा फिर भी वो काम नहीं हुआ जिसके लिए उतारा गया था। नतीजतन आंतकियों के निर्देश पर पायलट विमान को लाहौर लेकर पहुंचा।
लाहौर पहुंचने पर वहां की एयरपोर्ट अथॉरिटी ने आईसी 814 को लैंड की अनुमति नहीं दी। लेकिन थोड़ी देर बाद विमान को उतरने की परमिशन मिली। यहां विमान में ईंधन भरा गया और फिर इसे संयुक्त अरब अमीरात के अल मिन्हाद एयर बेस पर उतारा गया। यहां अपहरणकर्ताओं ने 27 यात्रियों को रिहा कर दिया। वहां से विमान सीधे अफगानिस्तान के कंधार के लिए रवाना हो गया।
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जिन पांच आतंकियों ने फ्लाइट को हाईजैक किया था, वह सभी पाकिस्तानी थे। आईसी 814 हाईजैक के पीछे का मकसद भारत की जेल में बंद मसूद अजहर, अहमद उमर सईद शेख और मुश्ताक अहमद जरगर को रिहा करना था। जनवरी 2000 की विदेश मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, विमान में सवार अपहरणकर्ताओं ने अपने नाम को छिपाया था और वे काल्पनिक नाम चीफ, डॉक्टर, बर्गर, भोला और शंकर नाम से एक-दूसरे को संबोधित करते थे। ये सभी आतंकवादी संगठन हरकत-उल-मुजाहिदीन के सदस्य थे। और इनका असल नाम इब्राहिम अतहर, शाहिद अख्तर सईद, सनी अहमद काजी, मिस्त्री जहूर इब्राहिम और शाकिर था।
25 और 26 दिसंबर को भारत की ओर से बातचीत का दौर शुरु हुआ। 27 दिसंबर को भारत सरकार ने गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव विवेक काटजू की अध्यक्षता में एक टीम को कंधार के लिए रवाना किया। इसमें गृह मंत्रालय के अधिकारी अजीत डोभाल और सीडी सहाय भी शामिल थे।
हाईजैक के लगभग आठ दिन के बाद 31 दिसंबर 1999 को सभी नागरिकों को रिहा कर दिया गया। नागरिकों की रिहाई के बदले में अपहरणकर्ताओं को मसूद अजहर, अहमद उमर सईद शेख और मुश्ताक अहमद जरगर को सौंपा गया। खौफ भरे 8 दिन के बाद सभी नागरिकों को सकुशल भारत लाया गया। जिस वक्त विमान हाईजैक हुआ था, उस समय भारत में एनडीए की सरकार थी और अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे। आतंकियों की रिहाई के लिए सरकार को आलोचना का सामना करना पड़ा था।
इस मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने की थी। उन्होंने 10 लोगों को आरोपी बनाया था, इनमें पांच अपहरणकर्ताओं सहित सात आरोपी अभी भी फरार हैं और उनके ठिकानों के बारे में आज तक पता नहीं लग पाया है।
आईएएनएस इनपुट के साथ