नरगिस हमेशा सफेद साड़ी पहना करती थीं। बालों में मोंगरे के फूल और सफेद साड़ी उनकी पहचान से लिपट गए थे। लोगों के बीच ‘लेडी इन व्हाइट’ से प्रसिद्ध थीं। लेकिन नरगिस हमेशा सफेद साड़ी ही क्यों पहना करती थीं? इसके पीछे फिल्मी दुनिया में यह कहानी मशहूर रही कि राजकपूर को सफेद साड़ी पहनी महिलाएं अच्छी लगती है। बरसात, अवारा, श्री 420 समेत कई फिल्मोंं में अपनी नायिकाओं को सफेद साड़ी पहनाया करते थे। कहा जाता है कि राजकपूर के किशोर वय में जीवन में पहले प्यार के समान आई स्त्री भी सफेद साड़ी पहने थी। लिहाजा अपनी तमाम नायिकाओं को उन्होंने सफेद साड़ी पहनाई।
सफेद साड़ी, नरगिस और नेहरू
लेकिन क्या यह सच है? मशहूर फिल्म पत्रकार जय प्रकाश चौकसे ने एक बार अपने एक लेख में इस तथ्य से पर्दा उठाया था। उन्होंने पत्रकार बी.के. करंजिया की पुस्तक ‘ब्लंडरिंग इन वॉन्डरलैंड’ का हवाला दिया। उन्होंने लिखा कि पत्रकार बी.के. करंजिया की पुस्तक में इस तथ्य का उजागर किया है कि नरगिस सफेद साड़ी इसलिए पहनती थीं कि उन्हें पंडित जवाहरलाल नेहरू से प्रेरणा मिली थी। नरगिस जवाहर लाल नेहरू की अनन्य भक्त थीं। नेहरू भी नरगिस को बहुत स्नेह करते थे।
नेहरू से नरगिस की पहली मुलाकात बंबई हुई थी। नेहरू बंबई मे राज्यपाल द्वारा आयोजित एक पार्टी में शरीक होने आए थे। नरगिस को पता चला तो उन्होंने निमंत्रण पत्र का जुगाड़ लगाकर वहाँ पहुंचीं। जय प्रकाश चौकसे लिखते हैं कि बंबई के राज्यपाल द्वारा आयोजित एक चाय पार्टी में नरगिस ने जैसे-तैसे निमंत्रण पत्र प्राप्त किया था। और शामिल हुईं। खद्दर की सफेद साड़ी में नरगिस बला की खूबसूरत लग रही थीं।
पार्टी समाप्त होने के बाद नेहरूजी चलकर नरगिस के पास आए और ऑटोग्राफ दिया। वहां नेहरू ने उन्हें सफेद साड़ी पहनने की सलाह दी और ताउम्र नरगिस ने सफेद साड़ी पहनी। इसके बाद वे जब कभी बंबई जाते, नरगिस को लंच पर बुलाना नहीं भुलते थे। नरगिस हर बार सफेद साड़ी पहनकर जातीं। एक बार नरगिस ने हँसते हुए नेहरू से कहा- आप जानते हैं कि आप कितने सुंदर हैं। जय प्रकाश चौकसे के मुताबिक, तब नेहरूजी ने जवाब में गालिब का शेर पढ़ा था- ‘उनको देखने से जो आती है मुँह पर रौनक, वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है।’
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— Movies N Memories (@BombayBasanti) February 22, 2024
नरगिस ने अभिनय से मदर-इंडिया को महानतम फिल्म बनाया
1957 में महबूब खान और नरगिस की मदर-इंडिया फिल्म प्रदर्शित हुई। नरगिस ने इस फिल्म में अपने जीवन का सर्वश्रेष्ठ अभिनय किया। मदर इंडिया में 16 साल की युवती से सत्तर साल की दादी माँ तक विशाल कैनवास था। नरगिस ने अपने अभिनय से इस फिल्म को महानतम भारतीय फिल्म बना दिया। गौरतलब है कि महबूब खान ने इसी कहानी पर 1939 में औरत नाम से फिल्म बनाई थी। इस फिल्म में महबूब खान की पत्नी सरदार अख्तर ने काम किया था। मदर इंडिया का प्रीमियर दिल्ली में भी रखा गया जिसमें प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने शिरकत की थी। फिल्मों में नरगिस के योगदान के लिए उसी साल पद्मश्री से सम्मानित किया गया। 1957 में फिल्म को विदेशी भाषा श्रेणी में ऑस्कर के लिए नामाँकित किया गया। मदर इंडिया के लिए नरगिस को सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का फिल्मफेयर पुरस्कार भी प्रदान किया गया।
नरगिस ने भारतीय सिनेमा के तीन महारथियों के साथ काम किया
नरगिस अभिनेत्री के बजाय डॉक्टर बनना चाहती थीं। लेकिन जब फिल्मों में आईं तो उन्हें यहां काफी प्रतिष्ठा मिली। नरगिस ने भारतीय सिनेमा के तीन महारथियों के साथ काम किया। दिलीप कुमार, राजकपूर और महबूब खान। तीनों नरगिस के आभा मंडल से मंत्रमुग्ध थे। दिलीप कुमार और राजकपूर में नरगिस को लेकर व्यक्तिगत प्रतिस्पर्धा थी लेकिन महबूब खान के साथ सृजनात्मक रिश्ता था। महबूब खान को एक बार भारी ठेस लगा था जब नरगिस ने आन फिल्म में काम करने से मना कर दिया था। दिलीप कुमार के साथ उन्होंने 7 से अधिक तो राजकपूर के साथ 17 फिल्में कीं। दिलीप के साथ उनकी अंदाज, मेला, हलचल, दीदार और जोगन काफी हिट रहीं। राजकपूर के साथ उनकी फिल्मों में- अंदाज, आवारा, श्री 420, अनहोनी, चोरी-चोरी, अंबर महत्वपूर्ण फिल्में रहीं। जबकि महबूब खान के साथ नरगिस ने तकदीर, हुमायूँ, और मदर इंडिया जैसी प्रसिद्ध फिल्में कीं। आज नरगिस की पुण्यतिथि है। कैंसर से जूझ रही नरगिस ने 03 मई, 1981 को दुनिया को अलविदा कह दिया था।