नई दिल्लीः भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने अभिनेता अरशद वारसी, उनकी पत्नी मारिया गोरेटी और 57 अन्य लोगों पर शेयर बाजार में हेराफेरी का दोषी मानते हुए कड़ी कार्रवाई की है।
सेबी की 109 पन्नों की अंतिम रिपोर्ट के अनुसार, इन सभी ने 'साधना ब्रॉडकास्ट' (अब क्रिस्टल बिजनेस सिस्टम लिमिटेड) नामक कंपनी के शेयरों की कीमतों में जानबूझकर उछाल लाने और फिर उसे बेचकर मुनाफा कमाने की “पंप-एंड-डंप” साजिश रची।
अरशद वारसी और पत्नी पर क्या हैं आरोप?
सेबी ने अरशद वारसी और उनकी पत्नी मारिया पर 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है और उन्हें एक वर्ष के लिए शेयर बाजार से प्रतिबंधित कर दिया है। सेबी के अनुसार, अरशद वारसी ने इस हेराफेरी से 41.70 लाख रुपये, जबकि उनकी पत्नी मारिया ने 50.35 लाख रुपये का मुनाफा कमाया।
इनके साथ ही अन्य 57 संस्थाओं पर भी 5 लाख से लेकर 5 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया गया है। सेबी ने सभी दोषियों को 58.01 करोड़ रुपये का अवैध मुनाफा 12% वार्षिक ब्याज के साथ वापस लौटाने का आदेश दिया है।
कैसे हुआ था घोटाला?
सेबी की जांच के मुताबिक, यूट्यूब चैनलों पर भ्रामक और आकर्षक वीडियो डाले गए जिनमें आम निवेशकों को साधना ब्रॉडकास्ट के शेयर खरीदने के लिए उकसाया गया। इस प्रचार का उद्देश्य था कि खुद इन लोगों ने पहले सस्ते दामों पर शेयर खरीद लिए और फिर कीमतें बढ़ने पर उन्हें ऊंचे दामों पर बेच दिया।
सेबी के पूर्णकालिक सदस्य अश्विनी भाटिया ने कहा, “यह एक सुव्यवस्थित पंप-एंड-डंप योजना थी जिसमें पहले मिलीभगत से शेयर की कीमतें ऊपर चढ़ाईं गईं, फिर यूट्यूब जैसे माध्यमों से प्रचार कर आम निवेशकों को लुभाया गया और अंत में एक साथ शेयर बेच दिए गए।”
साजिशकर्ता कौन थे?
जांच में गौरव गुप्ता, राकेश कुमार गुप्ता और मनीष मिश्रा को इस घोटाले का मुख्य योजनाकार माना गया। मनीष मिश्रा ने ‘मनीवाइज’, ‘द एडवाइजर’, और ‘प्रॉफिट यात्रा’ जैसे यूट्यूब चैनल चलाए, जिनके जरिए निवेशकों को भ्रमित किया गया। वहीं, साधना ब्रॉडकास्ट की रजिस्ट्रार एजेंसी के निदेशक सुभाष अग्रवाल ने इन योजनाकारों और प्रमोटरों के बीच संपर्क की कड़ी के रूप में भूमिका निभाई। इसके अलावा पीयूष अग्रवाल (चॉइस नामक फर्म के डीलर), लोकेश शाह (दिल्ली स्थित ब्रोकरेज एजेंसी) और जतिन शाह भी इस पूरे नेटवर्क का हिस्सा पाए गए।
इस घोटाले को दो चरणों में अंजाम दिया गया। सबसे पहले, कुछ जुड़े हुए समूहों ने आपस में शेयर खरीद-बेचकर शेयर की कीमत को धीरे-धीरे बढ़ाया। क्योंकि इस शेयर में बहुत कम खरीद-बिक्री होती थी, इसलिए छोटे-छोटे सौदों से भी कीमत में बड़ा अंतर आ जाता था। दूसरे चरण में, निवेशकों को लुभाने के लिए भ्रामक वीडियो जारी किए गए।
यह घोटाला तब सामने आया जब नियामक संस्था (सेबी) को जुलाई से सितंबर 2022 के बीच शेयर की कीमतों में असामान्य उतार-चढ़ाव और कंपनी को बढ़ावा देने वाले भ्रामक ऑनलाइन सामग्री के बारे में शिकायतें मिलीं।
कैसे हुआ पर्दाफाश?
जुलाई से सितंबर 2022 के बीच साधना ब्रॉडकास्ट के शेयरों में को जुलाई से सितंबर 2022 के बीच असामान्य उतार-चढ़ाव और भ्रामक प्रचार संबंधी शिकायतें सेबी को मिलीं। इसके बाद, सेबी ने 8 मार्च, 2022 से 30 नवंबर, 2022 तक की अवधि की विस्तृत जांच शुरू की। इससे पहले, मार्च 2023 में 31 कंपनियों के खिलाफ एक अंतरिम आदेश जारी किया गया था।
एक प्रमोटर कंपनी, वरुण मीडिया प्राइवेट लिमिटेड पर चल रही दिवालियेपन कार्यवाही के कारण जुर्माना नहीं लगाया गया है, लेकिन उसे अभी भी अवैध मुनाफे का अपना हिस्सा वापस करना होगा। सेबी ने कहा कि इस मामले में आगे के फैसले अलग से किए जाएंगे। 109 पन्नों के सेबी के आदेश में निष्कर्ष निकाला गया कि सभी 59 संस्थाओं ने बाजार में धोखाधड़ी और अनुचित व्यवहार को रोकने के लिए बनाए गए नियमों का उल्लंघन किया।