सुप्रीम कोर्ट का 'उदयपुर फाइल्स' पर तत्काल सुनवाई से इनकार, कन्हैया लाल मर्डर केस पर बनी है फिल्म

कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह गर्मी की छुट्टियों के बाद अदालत के फिर से खुलने पर इस मामले को नियमित पीठ के समक्ष उठाएं। कन्हैया लाल हत्याकांड के आठवें आरोपी मोहम्मद जावेद ने यह याचिका दायर की थी।

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Photograph: (IANS/X)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने फिल्म 'उदयपुर फाइल्स' के रिलीज को चुनौती देने वाली याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया है। यह फिल्म राजस्थान के दर्जी कन्हैया लाल हत्याकांड पर आधारित है। जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने बुधवार को याचिकाकर्ता से कहा, 'फिल्म को रिलीज होने दीजिए।' 

साथ ही कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह गर्मी की छुट्टियों के बाद अदालत के फिर से खुलने पर इस मामले को नियमित पीठ के समक्ष उठाएं। कन्हैया लाल हत्याकांड के आठवें आरोपी मोहम्मद जावेद ने यह याचिका दायर की थी। जावेद ने दावा किया था कि फिल्म की रिलीज से चल रहे मुकदमे पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है और निष्पक्ष सुनवाई का उसका अधिकार प्रभावित हो सकता है। 

मोहम्मद जावेद की ओर से तर्क दिया कि फिल्म का ट्रेलर और प्रचार 'सांप्रदायिक रूप से भड़काऊ' लग रही है और अदालत के फैसले से पहले ही आरोपी को दोषी के रूप में चित्रित किया गया है। फिल्म 11 जुलाई को रिलीज़ होने वाली है। जावेद ने अदालत से मुकदमा समाप्त होने तक रिलीज पर रोक लगाने का आग्रह किया था।

दिल्ली हाई कोर्ट फिल्म की स्क्रिनिंग के निर्देश दिए

इस बीच दिल्ली उच्च न्यायालय ने 'उदयपुर फाइल्स' के निर्माताओं को निर्देश दिया है कि वे उन याचिकाकर्ताओं के लिए फिल्म की स्क्रीनिंग की व्यवस्था करें जो इसकी रिलीज पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहे हैं। मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय और न्यायमूर्ति अनीश दयाल की खंडपीठ ने याचिकाओं पर सुनवाई की। 

जमीयत उलमा-ए-हिंद के मौलाना अरशद मदनी और पत्रकार प्रशांत टंडन द्वारा दायर याचिकाओं में तर्क दिया गया है कि फिल्म नफरत फैलाने वाली भाषा को बढ़ावा देती है और एक खास समुदाय को निशाना बना रही है।

याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है, लेकिन यह फिल्म सांप्रदायिक तनाव भड़काने वाली प्रतीत होती है। उन्होंने अदालत से पूरी फिल्म देखने का आग्रह किया। इन चिंताओं पर जवाब देते हुए, मंत्रालय और सीबीएफसी की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने कहा कि सेंसर बोर्ड ने प्रमाणन प्रक्रिया के दौरान चिह्नित आपत्तिजनक सामग्री को पहले ही हटा दिया है।

उदयपुर फाइल्स: क्या है कन्हैया लाल मर्डर केस

यह फिल्म राजस्थान के उदयपुर के एक दर्जी कन्हैया लाल की हत्या पर आधारित है, जिनकी जून 2022 में कथित तौर पर मोहम्मद रियाज और मोहम्मद गौस ने गला काटकर हत्या कर दी थी। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार हमलावरों ने दावा किया कि यह हत्या कन्हैया लाल द्वारा पूर्व भाजपा नेता नूपुर शर्मा की पैगंबर मुहम्मद पर टिप्पणी का समर्थन करने वाले एक सोशल मीडिया पोस्ट का बदला लेने के लिए की गई थी। 

इस मामले में राष्ट्रीय जाँच एजेंसी ने जाँच की और संदिग्धों पर गैरकानूनी गतिविधियाँ रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं के तहत आरोप लगाए गए। वर्तमान में, जयपुर की विशेष एनआईए अदालत में मामले की सुनवाई चल रही है।

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